हैदराबाद : आंध्र प्रदेश के बंटवारे के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्रालय 17 फरवरी को वर्चुअल बैठक (virtual meeting of the Ministry of Home Affairs) करेगा. इस महीने की 8 तारीख को एक बैठक में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश-तेलंगाना विभाजन के मुद्दों पर एक समिति का गठन किया है. केंद्रीय गृह सचिव आशीष कुमार, आंध्र प्रदेश के वित्त सचिव एसएस रावत और तेलंगाना के विशेष मुख्य सचिव के रामकृष्ण राव इस समिति के सदस्य हैं.
समिति की पहली बैठक इसी माह की 17 तारीख (First meeting 17th of this month) को लगभग 11 बजे करने का निर्णय लिया गया. बताया जा रहा है कि इस बैठक में वे आंध्र प्रदेश द्विभाजन अधिनियम की अनुसूचियों 9 और 10 में संपत्ति के वितरण के बारे में चर्चा करेंगे. दोनों राज्यों के बीच आर्थिक मुद्दों पर भी चर्चा होगी. चर्चा मुख्य रूप से दो तेलुगु राज्यों के बीच अनसुलझे मुद्दों पर केंद्रित होगी. गृह मंत्रालय ने पहले ही अधिकारियों को बैठक में चर्चा वाले मुद्दों के बारे में सूचित कर दिया है.
बैठक में इन मुद्दों पर होगी चर्चा
जानकारी के अनुसार बैठक के दौरान एपी फाइनेंस कॉर्पोरेशन डिवीजन, बिजली की खपत, कर मामलों में संशोधन, APSCSCL व TSCSCL में वित्तीय मामले, संसाधनों का समायोजन, 7 पिछड़े जिलों में विकास निधि का मामला, राज्य को विशेष दर्जा और कर प्रोत्साहन के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.
पीएम मोदी के बयान पर विरोध
संसद में यूनाइटेड आंध्र प्रदेश के विभाजन पर पीएम मोदी ने बयान दिया था. प्रधानमंत्री ने कहा था कि कांग्रेस सरकार के समय आंध्र प्रदेश का विभाजन गलत तरीके से हुआ. उनके बयान के बाद तेलंगाना के नेताओं ने पीएम मोदी के खिलाफ प्रदर्शन किया था. सत्तारुढ़ टीआरएस पार्टी ने भी राज्य भर में प्रदर्शन किया और बाइक रैली निकाली गई. तेलंगाना के गृह मंत्री महमूद अली ने हैदराबाद में अपने कार्यकर्ताओं के साथ विरोध प्रदर्शन किया.
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बीजेपी को बताया तेलंगाना विरोधी
तेलंगाना के गृहमंत्री महमूद अली ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि जब यूनाइटेड आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ था, उस समय मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. उनको इस बारे में कुछ नहीं पता. तेलंगाना राज्य बनाने के लिए 1200 लोगों ने अपनी जान दी. बीजेपी हमेशा से तेलंगाना की विरोधी रही है. वहीं मंत्री तलसानी श्रीनिवास यादव ने कहा कि पीएम मोदी समझ गए हैं कि यूपी हारने वाले हैं. इसीलिए मुद्दा भटकाने के लिए आठ साल बाद संसद में आंध्र प्रदेश के विभाजन और तेलंगाना के बारे में बयान दिया.