नई दिल्ली : भारत के प्रमुख दवा नियामक, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने फरवरी में देश भर में विभिन्न फार्मा कंपनियों द्वारा निर्मित 59 दवाओं को घटिया गुणवत्ता वाला पाया. ईटीवी भारत के पास उपलब्ध सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सीडीएससीओ ने फरवरी में 1,251 दवा के नमूनों का परीक्षण किया, जिनमें से 1,192 मानक गुणवत्ता वाले और 59 दवाएं घटिया गुणवत्ता वाली पाई गईं (CDSCO finds 59 drugs of substandard quality across India).
दवाओं का परीक्षण भारत भर में स्थित केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की राष्ट्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं की सात क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं (RDTL) और केंद्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला (CDTL) द्वारा किया गया था.
आरडीटीएल गुवाहाटी ने 16 दवाओं का पता लगाया है, कोलकाता स्थित आरडीटीएल द्वारा ऐसी 29 दवाओं का पता लगाया गया है. इसी तरह से चेन्नई आरडीटीएल ने तीन दवाओं, मुंबई सीडीटीएल ने चार, हैदराबाद सीडीटीएल ने तीन और चंडीगढ़ सीडीटीएल ने चार दवाओं को घटिया पाया.
ओएमसीईआर -20 (Omeprazole Capsules IP), लेवोसेटिरिज़िन टैबलेट I.P जैसी दवाएं, लेवोटेक, लेवोसेटिरिज़िन डायहाइड्रोक्लोराइड सिरप 30 मिली, आरएल 500 मिली, कंपाउंड सोडियम लैक्टेट इंजेक्शन आईपी (इंजेक्शन के लिए रिंगर लैक्टेट सॉल्यूशन), जिंक सल्फेट डिस्पर्सिबल टैबलेट आईपी 20 मिलीग्राम, ओल्बेन क्रीम (सूखी त्वचा के लिए क्रीम), कैल्शियम और विटामिन डी3 टैबलेट आईपी जैसी दवाएं घटिया थीं.
भारत में प्रमुख दवा नियामक होने के नाते सीडीएससीओ विभिन्न फार्मा कंपनियों द्वारा निर्मित दवाओं और दवाओं का परीक्षण करता रहता है. 59 घटिया दवाओं का पता लगाना ऐसे समय में आया है जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 'अवैध' दवाओं के कारोबार में शामिल फार्मा कंपनियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू की है.
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत दवाओं के निर्माण और बिक्री पर नियंत्रण राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरणों द्वारा किया जाता है. उक्त अधिकारियों द्वारा दवा निर्माण प्रतिष्ठानों और बिक्री परिसरों के लिए लाइसेंस प्रदान किए जाते हैं.
एक अधिकारी ने कहा कि 'लाइसेंस की शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए राज्यों द्वारा नियुक्त ड्रग इंस्पेक्टरों द्वारा निरीक्षण और छापे मारे जाते हैं. देश में विपणन की जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता की जांच के लिए औषधि निरीक्षकों द्वारा नमूने लिए जाते हैं. अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए उक्त अधिनियम और नियमों के तहत आवश्यक कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरणों द्वारा की जाती है. कार्रवाई आम तौर पर सरकारी विश्लेषकों की परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर शुरू की जाती है, जिसमें दवा के नमूनों को मानक गुणवत्ता के नहीं होने की घोषणा की जाती है.'