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PACL chit fund scam: सीबीआई ने 11 लोगों को किया गिरफ्तार

CBI) ने पीएसीएल चिटफंड घोटाले के सिलसिले में बड़ी कार्रवाई करते हुए 11 लोगों को गिरफ्तार किया है.

सीबीआई
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Published : Dec 23, 2021, 10:38 AM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation-CBI) ने पीएसीएल चिटफंड घोटाले (PACL chit fund scam) को लेकर एक बार फिर से बड़ी कार्रवाई की है. इस चिटफंड घोटाले में CBI ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया है. हालांकि, PACL चिट फंड घोटाले में पहले ही कंपनी के संस्थापक निर्मल सिंह बांगू और अन्य पीएसीएल निदेशकों की गिरफ्तारी हो चुकी है.

गौरतलब है कि PACL कंपनी को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने 18 सालों में निवेशकों से कम से कम 49,100 करोड़ रुपये अवैध रूप से इकट्ठा करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया था. इसे भारत की सबसे बड़ी चिटफंड लूट भी कहा जाता है.

कंपनी ने 49,100 करोड़ रुपये 58 मिलियन निवेशकों को फायदा पहुंचाने के नाम पर ठगे थे. 2015 में बाजार नियामक ने निवेशकों से करोडो़ं की रकम इकट्ठा करने के लिए PACL को प्रतिबंधित कर दिया गया था. 2015 में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस आर.एम. लोढ़ा ने PACL की संपत्ति का निपटान करने और पैसे वापस करने के लिए कहा था.

समिति ने आठ फरवरी 2019 को एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से PACL निवेशकों से रिफंड के लिए ऑनलाइन आवेदन जमा करने को कहा था.

बता दें कि PACL पर सबसे पहला केल 1997 में SEBI ने दर्ज किया था. कंपनी के कामकाज को संदेहास्पद मानते हुए SEBI ने ये केस दर्ज किया था. 2003 में SEBI राजस्थान हाईकोर्ट से कंपनी के खिलाफ मामला जीत गई थी.

नई दिल्ली : केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation-CBI) ने पीएसीएल चिटफंड घोटाले (PACL chit fund scam) को लेकर एक बार फिर से बड़ी कार्रवाई की है. इस चिटफंड घोटाले में CBI ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया है. हालांकि, PACL चिट फंड घोटाले में पहले ही कंपनी के संस्थापक निर्मल सिंह बांगू और अन्य पीएसीएल निदेशकों की गिरफ्तारी हो चुकी है.

गौरतलब है कि PACL कंपनी को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने 18 सालों में निवेशकों से कम से कम 49,100 करोड़ रुपये अवैध रूप से इकट्ठा करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया था. इसे भारत की सबसे बड़ी चिटफंड लूट भी कहा जाता है.

कंपनी ने 49,100 करोड़ रुपये 58 मिलियन निवेशकों को फायदा पहुंचाने के नाम पर ठगे थे. 2015 में बाजार नियामक ने निवेशकों से करोडो़ं की रकम इकट्ठा करने के लिए PACL को प्रतिबंधित कर दिया गया था. 2015 में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस आर.एम. लोढ़ा ने PACL की संपत्ति का निपटान करने और पैसे वापस करने के लिए कहा था.

समिति ने आठ फरवरी 2019 को एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से PACL निवेशकों से रिफंड के लिए ऑनलाइन आवेदन जमा करने को कहा था.

बता दें कि PACL पर सबसे पहला केल 1997 में SEBI ने दर्ज किया था. कंपनी के कामकाज को संदेहास्पद मानते हुए SEBI ने ये केस दर्ज किया था. 2003 में SEBI राजस्थान हाईकोर्ट से कंपनी के खिलाफ मामला जीत गई थी.

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