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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चाय की मार्केटिंग करने की संसदीय समिति की सिफारिश

संसदीय समिति ने केंद्र सरकार से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चाय की मार्केटिंग करने की सिफारिश की है. बता दें कि चाय के कुल उत्पादन में पूर्वोत्तर के आठ राज्यों के द्वारा 54 प्रतिशत उत्पादन किया जाता है.

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Published : Dec 17, 2022, 7:34 PM IST

tea production
चाय उत्पादन

नई दिल्ली: देश में चाय के कुल उत्पादन में आठ चाय उगाने वाले पूर्वोत्तर राज्यों का बड़ा योगदान है. इन राज्यों के द्वारा 54 प्रतिशत उत्पादन किया जाता है. इसको देखते हुए एक संसदीय समिति ने केंद्र सरकार से उत्पादों के लिए निरंतर अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग के प्रयास करने की सिफारिश की है. गौरतलब है कि पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में असम के द्वारा सबसे अधिक चाय का उत्पादन किया जाता है. असम में वर्ष 2021 में 672.14 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन किया गया. वहीं इसी अवधि के दौरान 8.30 मिलियन किलोग्राम चाय का निर्यात किया गया.

पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्रालय की अपनी 241 कार्रवाई रिपोर्ट में, गृह मामलों की संसदीय समिति ने कहा है कि लगभग 1.18 लाख छोटे चाय उत्पादक हैं जो पूर्वोत्तर राज्यों में चाय के उत्पादन में 24 प्रतिशत का योगदान करते हैं. संसदीय समिति ने मंगलवार को राज्यसभा में पेश की रिपोर्ट में कहा, 'ये राज्य बहुत अच्छी गुणवत्ता वाली सीटीसी और ऑर्थोडॉक्स चाय और ग्रीन टी जैसी विशेष चाय के उत्पादन के लिए भी उपयुक्त है. असम की चाय अपनी गुणवत्ता, विशेष रूप से स्वाद और रंग के लिए जानी जाती है. बता दें कि वर्ष 2016 में सरकार ने सिक्किम को पूरी तरह से जैविक घोषित किया है और टेमी टी स्टेट में उत्पादित चाय को वर्ष 2018 में 100 प्रतिशत जैविक चाय के रूप में प्रमाणित किया गया है.

देश के 5वें सबसे बड़े चाय उत्पादक राज्य के रूप में पहचाने जाने वाले त्रिपुरा में लगभग 60 टी स्टेट, 21 चाय प्रसंस्करण कारखाने और 3,000 छोटे चाय उत्पादक सालाना लगभग 7.5 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन करते हैं. उल्लेखनीय है कि चाय विकास एवं संवर्धन योजना (TDPS) को 2021-22 से 2025-26 तक पांच वर्षों के लिए 967.78 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ कार्यान्वयन के लिए अनुमोदित किया गया है. वहीं कुल स्वीकृत राशि में से 93.06 करोड़ रुपये विशेष रूप से पूर्वोत्तर के लिए एक क्षेत्र विशिष्ट कार्य योजना को लागू करने के लिए आवंटित किया गया है, जिससे चाय उत्पादन और जैविक चाय पर जोर देने के साथ निर्यात को बढ़ावा देकर क्षेत्र की क्षमता का उपयोग किया जा सके. समिति का मानना ​​है कि चाय उत्पादन और निर्यात के विकास के लिए इस तरह की दीर्घकालिक रणनीतियों की योजना निश्चित रूप से इस क्षेत्र को बढ़ावा देगी और भारतीय चाय बाजार के लिए अवसरों का विस्तार करेगी.

ये भी पढ़ें - संसद सत्र में दूसरे सप्ताह तवांग में चीनी अति क्रमण का प्रयास, आर्थिक मुद्दे छाये रहे

नई दिल्ली: देश में चाय के कुल उत्पादन में आठ चाय उगाने वाले पूर्वोत्तर राज्यों का बड़ा योगदान है. इन राज्यों के द्वारा 54 प्रतिशत उत्पादन किया जाता है. इसको देखते हुए एक संसदीय समिति ने केंद्र सरकार से उत्पादों के लिए निरंतर अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग के प्रयास करने की सिफारिश की है. गौरतलब है कि पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में असम के द्वारा सबसे अधिक चाय का उत्पादन किया जाता है. असम में वर्ष 2021 में 672.14 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन किया गया. वहीं इसी अवधि के दौरान 8.30 मिलियन किलोग्राम चाय का निर्यात किया गया.

पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्रालय की अपनी 241 कार्रवाई रिपोर्ट में, गृह मामलों की संसदीय समिति ने कहा है कि लगभग 1.18 लाख छोटे चाय उत्पादक हैं जो पूर्वोत्तर राज्यों में चाय के उत्पादन में 24 प्रतिशत का योगदान करते हैं. संसदीय समिति ने मंगलवार को राज्यसभा में पेश की रिपोर्ट में कहा, 'ये राज्य बहुत अच्छी गुणवत्ता वाली सीटीसी और ऑर्थोडॉक्स चाय और ग्रीन टी जैसी विशेष चाय के उत्पादन के लिए भी उपयुक्त है. असम की चाय अपनी गुणवत्ता, विशेष रूप से स्वाद और रंग के लिए जानी जाती है. बता दें कि वर्ष 2016 में सरकार ने सिक्किम को पूरी तरह से जैविक घोषित किया है और टेमी टी स्टेट में उत्पादित चाय को वर्ष 2018 में 100 प्रतिशत जैविक चाय के रूप में प्रमाणित किया गया है.

देश के 5वें सबसे बड़े चाय उत्पादक राज्य के रूप में पहचाने जाने वाले त्रिपुरा में लगभग 60 टी स्टेट, 21 चाय प्रसंस्करण कारखाने और 3,000 छोटे चाय उत्पादक सालाना लगभग 7.5 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन करते हैं. उल्लेखनीय है कि चाय विकास एवं संवर्धन योजना (TDPS) को 2021-22 से 2025-26 तक पांच वर्षों के लिए 967.78 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ कार्यान्वयन के लिए अनुमोदित किया गया है. वहीं कुल स्वीकृत राशि में से 93.06 करोड़ रुपये विशेष रूप से पूर्वोत्तर के लिए एक क्षेत्र विशिष्ट कार्य योजना को लागू करने के लिए आवंटित किया गया है, जिससे चाय उत्पादन और जैविक चाय पर जोर देने के साथ निर्यात को बढ़ावा देकर क्षेत्र की क्षमता का उपयोग किया जा सके. समिति का मानना ​​है कि चाय उत्पादन और निर्यात के विकास के लिए इस तरह की दीर्घकालिक रणनीतियों की योजना निश्चित रूप से इस क्षेत्र को बढ़ावा देगी और भारतीय चाय बाजार के लिए अवसरों का विस्तार करेगी.

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