जालोर. जिले के मोदरान गांव में शुक्रवार देर रात को दो देवरों ने सगाई नहीं करवाने की बात को लेकर हंगामा किया. देवरों और भाभी के बीच विवाद हाथापाई तक पहुंचा. इसके बाद कुंआरे देवरों ने भाभी की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी. इसके साथ बीच बचाव करने आए पड़ोसी हरी सिंह की भी हत्या कर दी. घटना की जानकारी के बाद जालोर एसपी किरण कंग सिद्धू, डीवाईएसपी सीमा चौपड़ा मौके पर पहुंचे. दोनों आरोपियों को हिरासत में लिया गया.
खुदकुशी की कोशिश
इस घटना के बाद एक आरोपी ने आत्महत्या करने का प्रयास भी किया. इस दरम्यान एक बच्ची ने घर से मात्र 200 मीटर दूरी पर स्थित पुलिस चौकी जाकर घटना की सूचना दी. जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची. रामसीन थाना पुलिस के प्रभारी अरविंद राजपुरोहित ने बताया कि रतनसिंह की पत्नी इंद्रा कंवर (उम्र 45 ) अपनी बेटी और बेटे के साथ घर में थी. उस दौरान उसके सगे देवर डुंगरसिंह और पहाड़सिंह अपनी शादी नहीं होने और आटे - साटे की प्रथा में सगाई करवाने की बात को लेकर झगड़ा करने लगे.
भतीजी का कराना चाहते थे विवाह
दोनों कुंवारे देवर अपनी भतीजी की शादी करा दूसरे घर की लड़की को ब्याह कर लाना चाहते थे. मां इंद्रा आटा साटा के लिए तैयार नहीं हुई. बस विवाद इसी को लेकर बढ़ा. महिला के पति का नाम रतन सिंह है और वो हैदराबाद में व्यवसाय करता है.
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लगातार किए कई वार
विवाद बढ़ने पर दोनों ने अपनी सगी भाभी पर कुल्हाड़ी से हमला बोल दिया. इस घटना के दौरान पड़ोसी हरिसिंह ने भाभी से झगड़ रहे दोनों देवरों को समझाने का प्रयास किया. जिसके चलते दोनों ने हरी सिंह पर भी कुल्हाड़ी से हमला कर दिया. जिससे भाभी इंद्रा कंवर व पड़ोसी हरिसिंह की मौत हो गई. घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस के आलाधिकारी मौके पर पहुंचे और दोनों आरोपियों को हिरासत में लिया. अब दोनों आरोपियों से पूछताछ की जा रही है. वहीं मृतकों के शव राजकीय अस्पताल की मोर्चरी में रखवाए हैं जिनका आज पोस्टमार्टम करवाया जाएगा.
क्या है आटा साटा प्रथा?
राजस्थान के कई जिलों में आटा साटा प्रथा का प्रचलन है. इसे लड़कियों की अदला बदली होती है. दरअसल, लिंगानुपात की बढ़ती खाई के बीच शादी की इस नई परंपरा को जन्म दिया गया. प्रथा के मुताबिक, दुल्हन के परिवार वाले अपनी बेटी की शादी तब तक नहीं करवाते जब तक कि दुल्हे के परिवार की कोई लड़की उनके परिवार के किसी सदस्य से शादी नहीं कर लेती. इस प्रथा में लड़की की उम्र तक का ख्याल नहीं रखा जाता है. यह प्रथा राजस्थान के सूखाग्रस्त इलाकों में बहुतायत देखी जाती है. अनुमान के मुताबिक ये प्रथा सबसे ज्यादा प्रदेश के 3 जिलों झुंझुनू, चुरू और सीकर में फैली हुई है. सरल भाषा में समझें तो यहां पति की बहन या भतीजी को अपनी भाभी के परिवार के किसी सदस्य के साथ विवाह सूत्र में बंधना होता है.