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केरल की सुबीना ने पेश की अनोखी मिसाल, श्मशान में कर रहीं दाह संस्कार

केरल के त्रिशूर जिले की निवासी सुबीना एक महिला होकर शवों का दाह संस्कार करने का काम कर रही हैं. सुबीना बिना किसी डर के यह काम कर रही हैं.

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Published : Jun 7, 2021, 3:52 PM IST

केरल की सुबीना ने पेश की अनोखी मिसाल
केरल की सुबीना ने पेश की अनोखी मिसाल

तिरुवनंतपुरम : कोरोना महामारी के कारण हर रोज लोगों की जान जा रही है. इन सबके बीच केरल की सुबीना ने अनोखी मिसाल पेश की है.

हमने हमेशा देखा होगा कब्रिस्तान और श्मशान में पुरुष ही काम करते हैं, लेकिन केरल के त्रिशूर जिले की निवासी सुबीना एक महिला होकर शवों का इलेक्ट्रिक मशीन से दाह संस्कार करने का काम कर रही है. सुबीना बिना किसी डर के यह काम कर रही हैं.

केरल की सुबीना ने पेश की अनोखी मिसाल

पढ़ें : कोरोना से मौत का आंकड़ा बढ़ा, तरावड़ी-असंध के श्मशान घाट में लगी दाह संस्कार की इलेक्ट्रिक मशीन

सुबीना बताती हैं कि जब उन्होंने यह काम शुरू किया था, तो मुस्लिम महिला होने के कारण उन्हें बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. कई लोगों ने उनसे पूछा था - 'क्या आप मुस्लिम नहीं हैं? सुबीना ने बताया उनकी आर्थिक हालत ठीक नहीं थी, पेड़ गिरने के कारण पिता की सर्जरी हुई थी. सुबीना को अपनी छोटी बहन की शादी की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ी. इन सभी चुनौतियों के बीच उनके पति रहमान उनके साथ खड़े रहे.

सुबीना ने बताया जब उसे पता चला कि इरिंजालकुड़ा मुक्तिधाम में काम करने वालों की जरूरत है, तो उन्होंने वहां संपर्क किया. यह पूछे जाने पर कि जब शवों को दाह संस्कार के लिए लाया जाता है, तो क्या उन्हें डर लगता है?, तो सुबीना का जवाब सिर्फ एक मुस्कान थी.

तिरुवनंतपुरम : कोरोना महामारी के कारण हर रोज लोगों की जान जा रही है. इन सबके बीच केरल की सुबीना ने अनोखी मिसाल पेश की है.

हमने हमेशा देखा होगा कब्रिस्तान और श्मशान में पुरुष ही काम करते हैं, लेकिन केरल के त्रिशूर जिले की निवासी सुबीना एक महिला होकर शवों का इलेक्ट्रिक मशीन से दाह संस्कार करने का काम कर रही है. सुबीना बिना किसी डर के यह काम कर रही हैं.

केरल की सुबीना ने पेश की अनोखी मिसाल

पढ़ें : कोरोना से मौत का आंकड़ा बढ़ा, तरावड़ी-असंध के श्मशान घाट में लगी दाह संस्कार की इलेक्ट्रिक मशीन

सुबीना बताती हैं कि जब उन्होंने यह काम शुरू किया था, तो मुस्लिम महिला होने के कारण उन्हें बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. कई लोगों ने उनसे पूछा था - 'क्या आप मुस्लिम नहीं हैं? सुबीना ने बताया उनकी आर्थिक हालत ठीक नहीं थी, पेड़ गिरने के कारण पिता की सर्जरी हुई थी. सुबीना को अपनी छोटी बहन की शादी की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ी. इन सभी चुनौतियों के बीच उनके पति रहमान उनके साथ खड़े रहे.

सुबीना ने बताया जब उसे पता चला कि इरिंजालकुड़ा मुक्तिधाम में काम करने वालों की जरूरत है, तो उन्होंने वहां संपर्क किया. यह पूछे जाने पर कि जब शवों को दाह संस्कार के लिए लाया जाता है, तो क्या उन्हें डर लगता है?, तो सुबीना का जवाब सिर्फ एक मुस्कान थी.

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