प्रयागराज : पहाड़ी इलाकों में हो रही लगातार बारिश से संगम में गंगा-यमुना के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. जलस्तर बढ़ने से घाटों पर कटान हो रहे हैं. कटान से एक बार फिर कोरोना काल में दफनाई गई लाशें दिखने लगी हैं. ऐसे में घाटों पर शवों का अनादार न होने पाए, इसके लिए शव नियंत्रण कमेटी के सदस्य 24 घंटे मुस्तैदी के साथ निगरानी कर रहे हैं. साथ ही जो लाशें रेत से बाहर आ रही हैं उनका नगर निगम के अधिकारी पूरे रीति-रिवाजों के साथ मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार कर रहे हैं.
जिले के फाफामऊ, दारागंज समेत अन्य घाटों गंगा के बढ़े जलस्तर के कारण अंतिम संस्कार रोकना पड़ा था, लेकिन कटान के कारण गंगा की रेती में दफन शव रेत से बाहर दिखने लगे हैं. ऐसे में नगर निगम के कर्मचारी घाटों की निगरानी कर रहे हैं. साथ ही बीते एक सप्ताह के भीतर 50 से ज्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार पूरे रीति रिवाज से करवाया गया है. शव नियंत्रण कमेटी की सदस्य नीलम यादव ने बताया गंगा और यमुना का जलस्तर जब से बढ़ा है. नगर निगम की टीम पूरी मुस्तैदी के साथ लगी हुई है. इसके साथ ही जल पुलिस, सिविल डिफेंस, पीएसी और शव नियंत्रण कमेटी की टीम लगातार सभी घाटों की निगरानी कर रही है. जिस घाट से शव बाहर आ रहे हैं, उस शव का विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार कर किया जा रहा है.
प्रयागराज नगर निगम के जोनल अधिकारी सत्य नारायण सिंह ने कहा कि नदियों में जलस्तर जबसे बढ़ा है. तब से जिस भी घाटों पर लाशें दिखी हैं, चाहे वह छतनाग घाट, देवरख घाट, फाफामऊ घाट हो नगर निगम की टीम ने इन लावारिस शवों को निकलवा कर अंतिम संस्कार करवाया है. जोनल अधिकारी के अनुसार नगर निगम अब तक 350, लावारिस शवों का हिन्दू धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार करवाया जा चुका है. उन्होंने कहा कि नगर निगम अब जल्द ही एक भोज का आयोजन भी करवाएगा. ये उन लोगों की शांति के लिए होगा, जिनके शवों को दोबारा रीति-रिवाजों के साथ अंतिम संस्कार करवाया जा रहा है.
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महापौर अभिलाषा गुप्ता नंदी का कहना शव का अनादर न हो ऐसे में शासन ने एक कमेटी गठित किया था. इसमें महापौर अभिलाषा गुप्ता को अध्यक्ष तो नगर आयुक्त को सचिव गया था. इस कमेटी में नगर निगम के दो अधिकारी नियुक्त किए गए और शहर के पार्षद जिनके वार्ड घाट में आते हैं. सभी को घाटों पर निगरानी करने को कहा गया है. महापौर ने बताया कोरोना काल में जो भी मौत हुई और जिन परिवारों में रीति रिवाज के तहत शव को बालू की रेत पर दफनाया दिया था. कटान होने के कारण शव बाहर आ रहे हैं. उन शवों का क्षेत्र के जोनल अधिकारी दाह संस्कार कर रहे हैं. गंगा में प्रदूषण न फैले इस बात पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.