गांधीनगर: गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Elections) की आधिकारिक घोषणा इस महीने के अंत तक या नवंबर के पहले सप्ताह में होने की संभावना है. गुजरात में सभी राजनीतिक दलों द्वारा तैयारियां शुरू कर दी गई हैं और एक दल से दूसरे दल में नेताओं की हेराफेरी शुरू हो गई है. 2017 के विधानसभा चुनाव में पाटीदार आंदोलन के असर से बीजेपी 99 सीटों पर अटकी हुई थी. अब 2022 के चुनाव में बीजेपी की जीत के लिए हार्दिक पटेल (Hardik Patel) के बाद प्रमुख चेहरे अल्पेश कथिरिया (Alpesh Kathiria) को बीजेपी में लाने की तैयारी शुरू हो गई है.
यह भी पता चला है कि अल्पेश कथिरिया को दक्षिण गुजरात में पाटीदारों को मजबूत करने और उनके वोटों को भाजपा (BJP) की ओर मोड़ने के लिए भाजपा में ले जाया जाएगा. ऐसी खबरें हैं कि आम आदमी पार्टी दक्षिण गुजरात में जोरदार प्रचार कर रही है, और अच्छी पकड़ बना ली है. इसलिए चर्चा हो रही है कि बीजेपी में अल्पेश कथिरिया को लेकर बीजेपी आम आदमी का वोट बैंक काटने के लिए टिकट देगी. बीजेपी ने विधानसभा चुनाव से पहले अल्पेश कथिरिया को बीजेपी में लाने की पुरजोर कोशिश शुरू कर दी है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अल्पेश कथिरिया के साथ भी बैठक हो चुकी है. ईटीवी भारत से टेलीफोन पर विशेष बातचीत में अल्पेश कथिरिया ने कहा कि भाजपा में शामिल होने के लिए कहा गया है. भाजपा ने प्रत्यक्ष प्रस्ताव नहीं दिया है, लेकिन मेरे आसपास के लोगों ने मुझे भाजपा में शामिल होने की पेशकश की है, लेकिन मेरी कुछ शर्तें हैं. जब उन शर्तों को पूरा किया जाएगा, उसके बाद ही मैं भाजपा में शामिल होऊंगा और भाजपा में शामिल होने से पहले नेताओं से चर्चा कर अंतिम फैसला लूंगा.
शर्तों के बारे में बात करते हुए अल्पेश कथिरिया ने कहा, मेरे मामले लंबित हैं. उस केस को वापस लिया जाना चाहिए और जो पाटीदार आंदोलन में शहीद हुए हैं. मेरी मुख्य शर्त यह है कि उनके परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी मिले. इसके बाद ही मैं भाजपा में शामिल होने पर विचार करूंगा. इसके अलावा, मामला वापस ले लिया जाएगा और यदि प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है, तो भी टीम के साथ चर्चा के बाद फैसला किया जाएगा. 2017 के विधानसभा चुनाव में पाटीदार आंदोलन के असर से बीजेपी 99 सीटों पर अटकी हुई थी.
अब 2022 के चुनाव में बीजेपी की जीत के लिए हार्दिक पटेल के बाद पास के प्रमुख चेहरे अल्पेश कथिरिया को बीजेपी में लाने की तैयारी शुरू हो गई है. यह भी पता चला है कि अल्पेश कथिरिया को दक्षिण गुजरात में पाटीदारों (Patidar vote of South Gujarat) को मजबूत करने और उनके वोटों को भाजपा की ओर मोड़ने के लिए भाजपा में ले जाया जाएगा. ऐसी खबरें हैं कि आम आदमी पार्टी दक्षिण गुजरात में जोरदार प्रचार कर रही है और अच्छी पकड़ बना ली है. इसलिए चर्चा हो रही है कि बीजेपी में अल्पेश कथिरिया को लेकर बीजेपी आम आदमी का वोट बैंक काटने के लिए टिकट देगी.
पाटीदार आंदोलन (Patidar Movement) में जो स्थिति पैदा हुई, उसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने अल्पेश कथिरिया और हार्दिक पटेल के खिलाफ देशद्रोह का आरोप लगाया. अब हार्दिक पटेल बीजेपी में शामिल हो गए हैं और विरमगाम से चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है. जबकि एक ही देशद्रोह मामले में अल्पेश कथिरिया और हार्दिक पटेल का नाम एक साथ है. इसलिए हार्दिक को राहत देना है, तो अल्पेश कथिरिया को अनिवार्य रूप से भाजपा में लाना होगा.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संभावना है कि अल्पेश कथिरिया को भाजपा द्वारा सूरत ग्रामीण या सूरत शहर से टिकट दिया जा सकता है. भाजपा के मुख्य प्रवक्ता यमल व्यास ने अल्पेश कथिरिया को शामिल किए जाने पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा कि अल्पेश कथिरिया भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं. इसकी कोई जानकारी नहीं है. मैं इस तरह की अटकलों पर टिप्पणी नहीं करूंगा, लेकिन भाजपा में सभी लोगों का स्वागत है, अगर वे विकास के एजेंडे और राष्ट्रवाद के एजेंडे से सहमत हैं और गुजरात के विकास में अच्छा करना चाहते हैं.
हार्दिक पटेल और अल्पेश कथिरिया के नेतृत्व में पाटीदार आंदोलन 2015 में शुरू हुआ और उसे भारी प्रतिक्रिया मिली और तत्कालीन पाटीदार मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को इस्तीफे के लिए मजबूर कर दिया. तब पाटीदार आंदोलन का असर 2017 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था, जिसमें बीजेपी सिर्फ 99 सीटें ही जीत पाई थी, लेकिन अब 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी अध्यक्ष सी.आर. पाटिल ने 150 से ज्यादा सीटें जीतने का टारगेट दिया है. फिर साल 2017 में बीजेपी की हार के बजाय अब बीजेपी उन सभी लोगों को मिलाकर ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की योजना बना रही है जो बीजेपी को ज्यादा फायदा पहुंचा सकें.
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महत्वपूर्ण बात यह है कि गुजरात की राजनीति में पाटीदार समुदाय हमेशा से ही शक्तिशाली रहा है. राज्य के कुल मतदाताओं में 15 फीसदी यानी विधानसभा की 71 सीटों पर पाटीदारों का दबदबा है. अब पाटीदारों को नाराज करना और उन्हें दरकिनार करना भाजपा के हाथ में नहीं है. अब बीजेपी येनकेन अंदाज में पार्टी को पाटीदारों से भर रही है. बीजेपी के आंतरिक सर्वे में ही पता चला था कि 2017 के चुनाव में पाटीदारों की वजह से बीजेपी को कुल 8 सीटों का नुकसान हुआ था.
राज्य की कुल आबादी में कड़वा और लेउवा पाटीदारों की आबादी 15 फीसदी है, जिसका सीधा असर चुनाव पर पड़ता है. साल 2016 में पाटीदार आंदोलन हुआ था. फिर राज्य का सारा समीकरण ही बदल गया. वहीं, कांग्रेस की पाटीदार सीटों में इजाफा हुआ है. 2017 के चुनाव में बीजेपी के 28 पाटीदार विधायक और कांग्रेस के 20 विधायक जीते थे.