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ट्रिपल तलाक के बाद अब BJP 'लड़कियों की शादी की उम्र' को बनाएगी मुद्दा

भाजपा ने साल 2017 में उत्तर प्रदेश चुनाव (Uttar Pradesh Elections) से ठीक पहले ट्रिपल तलाक को खत्म कर मुस्लिम महिला मतदाताओं पर काफी प्रभाव डाला था. पार्टी ने 100 से ज्यादा ऐसी सीटों पर जीत दर्ज की थी जहां मतदाताओं में मुस्लिम आबादी 20 से 30 फ़ीसदी थी. इसी बात से उत्साहित भारतीय जनता पार्टी ने शादी की उम्र को 18 से 21 साल बढ़ाए जाने संबंधी प्रस्तावित कानून को अब अभियान बनाने का मन बना लिया है. भाजपा कैसे इस प्रस्तावित कानून पर उत्तर प्रदेश में दांव खेलेगी जानते हैं वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की इस रिपोर्ट में.

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प्रतीकात्मक फोटो
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Published : Dec 24, 2021, 9:34 PM IST

नई दिल्ली : लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को भाजपा उत्तर प्रदेश और बाकी चुनावी राज्यों में मुद्दा बनाएगी. इसके लिए बीजेपी अभियान चलाने की तैयारी कर रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रस्तावित कानून के बारे में उत्तर प्रदेश के मंच से अपने भाषण में जिक्र किया था. उसके बाद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अपने भाषणों में लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल किए जाने का कई बार जिक्र कर चुके हैं. अब सत्ताधारी पार्टी बीजेपी इसे बड़े स्तर पर एक अभियान के रूप में शुरू करने जा रही है, क्योंकि बीजेपी को ऐसा लगता है कि 2017 में चुनाव से ठीक पहले ट्रिपल तलाक को खत्म करने का उसे फायदा मिला.

मुस्लिम बहुल क्षेत्र में जीती थी भाजपा

उत्तर प्रदेश की मुस्लिम बहुल वाली 100 सीटें जिनमें 20 से 30 फ़ीसदी मुस्लिम मतदाता थे वहां अंदर खाने मुस्लिम महिलाओं ने भी इस कानून के हटाने पर बीजेपी का साथ दिया. बीजेपी के वोट प्रतिशत को देखते हुए ही बसपा नेता मायावती ने भी मुख्य तौर पर देवबंद, मुरादाबाद ,फूलपुर और पवई जैसे मुस्लिम बहुल आबादी वाले इलाकों में भाजपा के उम्मीदवारों की जीत पर सवाल उठाया था. उनका आरोप था कि ईवीएम हैक की गई, जिस कारण बीजेपी की जीत हुई. इन सीटों पर जीत से उत्साहित बीजेपी एक बार फिर शादी संबंधी प्रस्तावित कानून को कैंपेन का बड़ा हिस्सा बनाने जा रही है.

पार्टी के एक राष्ट्रीय महासचिव का कहना है कि 2017 में ट्रिपल तलाक यूपी चुनाव से ठीक पहले खत्म किया गया था. यूपी में 100 से ज्यादा सीटों पर मुस्लिम महिलाओं ने भाजपा को मतदान किया था. पार्टी को यह उम्मीद है कि जिस कानून का विरोध फिलहाल समाजवादी पार्टी के कुछ मुस्लिम नेता और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी कर रही है इस बार भी यह प्रस्तावित कानून महिलाओं के वोट बैंक पर प्रभाव डाल सकता है.

शुरुआत में ट्रिपल तलाक कानून का 2017 में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने जमकर विरोध किया था. इस कानून को अल्पसंख्यकों के विरुद्ध बताया था जिसका खामियाजा उन्हें चुनाव में भुगतना पड़ा था. यही वजह है कि इस बार शादी की उम्र 18 से 21 साल बढ़ाए जाने संबंधित प्रस्तावित कानून पर पहले ही पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि समाजवादी पार्टी हमेशा से महिलाओं के सशक्तिकरण के समर्थन में है. मगर उनकी पार्टी के कुछ मुस्लिम नेताओं ने इसका जमकर विरोध जरूर किया है.

पढ़ें- वीडियो: स्मृति ईरानी से पानी मांगने पहुंची महिलाओं को भाजपाइयों ने पीटा

बहरहाल बीजेपी के सूत्रों की माने तो महिलाओं की शादी संबंधी प्रस्तावित कानून को लेकर पार्टी सभी नेताओं को जानकारी दे रही है. तमाम राज्य के मंत्रियों समेत केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को भी कहा है कि खासतौर पर उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रचार के दौरान वह इस मुद्दे को उन इलाकों में जोर-शोर से उठाएं जहां महिला वोट बैंक ज्यादा है. उन इलाकों में भी टारगेट करें जहां मुस्लिम बहुल आबादी है.

नई दिल्ली : लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को भाजपा उत्तर प्रदेश और बाकी चुनावी राज्यों में मुद्दा बनाएगी. इसके लिए बीजेपी अभियान चलाने की तैयारी कर रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रस्तावित कानून के बारे में उत्तर प्रदेश के मंच से अपने भाषण में जिक्र किया था. उसके बाद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अपने भाषणों में लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल किए जाने का कई बार जिक्र कर चुके हैं. अब सत्ताधारी पार्टी बीजेपी इसे बड़े स्तर पर एक अभियान के रूप में शुरू करने जा रही है, क्योंकि बीजेपी को ऐसा लगता है कि 2017 में चुनाव से ठीक पहले ट्रिपल तलाक को खत्म करने का उसे फायदा मिला.

मुस्लिम बहुल क्षेत्र में जीती थी भाजपा

उत्तर प्रदेश की मुस्लिम बहुल वाली 100 सीटें जिनमें 20 से 30 फ़ीसदी मुस्लिम मतदाता थे वहां अंदर खाने मुस्लिम महिलाओं ने भी इस कानून के हटाने पर बीजेपी का साथ दिया. बीजेपी के वोट प्रतिशत को देखते हुए ही बसपा नेता मायावती ने भी मुख्य तौर पर देवबंद, मुरादाबाद ,फूलपुर और पवई जैसे मुस्लिम बहुल आबादी वाले इलाकों में भाजपा के उम्मीदवारों की जीत पर सवाल उठाया था. उनका आरोप था कि ईवीएम हैक की गई, जिस कारण बीजेपी की जीत हुई. इन सीटों पर जीत से उत्साहित बीजेपी एक बार फिर शादी संबंधी प्रस्तावित कानून को कैंपेन का बड़ा हिस्सा बनाने जा रही है.

पार्टी के एक राष्ट्रीय महासचिव का कहना है कि 2017 में ट्रिपल तलाक यूपी चुनाव से ठीक पहले खत्म किया गया था. यूपी में 100 से ज्यादा सीटों पर मुस्लिम महिलाओं ने भाजपा को मतदान किया था. पार्टी को यह उम्मीद है कि जिस कानून का विरोध फिलहाल समाजवादी पार्टी के कुछ मुस्लिम नेता और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी कर रही है इस बार भी यह प्रस्तावित कानून महिलाओं के वोट बैंक पर प्रभाव डाल सकता है.

शुरुआत में ट्रिपल तलाक कानून का 2017 में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने जमकर विरोध किया था. इस कानून को अल्पसंख्यकों के विरुद्ध बताया था जिसका खामियाजा उन्हें चुनाव में भुगतना पड़ा था. यही वजह है कि इस बार शादी की उम्र 18 से 21 साल बढ़ाए जाने संबंधित प्रस्तावित कानून पर पहले ही पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि समाजवादी पार्टी हमेशा से महिलाओं के सशक्तिकरण के समर्थन में है. मगर उनकी पार्टी के कुछ मुस्लिम नेताओं ने इसका जमकर विरोध जरूर किया है.

पढ़ें- वीडियो: स्मृति ईरानी से पानी मांगने पहुंची महिलाओं को भाजपाइयों ने पीटा

बहरहाल बीजेपी के सूत्रों की माने तो महिलाओं की शादी संबंधी प्रस्तावित कानून को लेकर पार्टी सभी नेताओं को जानकारी दे रही है. तमाम राज्य के मंत्रियों समेत केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को भी कहा है कि खासतौर पर उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रचार के दौरान वह इस मुद्दे को उन इलाकों में जोर-शोर से उठाएं जहां महिला वोट बैंक ज्यादा है. उन इलाकों में भी टारगेट करें जहां मुस्लिम बहुल आबादी है.

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