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Watch : भाजपा सांसद ने उठाई धार्मिक जनगणना की मांग, जानिए अमित शाह को लिखे पत्र में क्या बताया कारण

देश में जातिगत जनगणना के बाद अब धार्मिक जनगणना की मांग उठी है. ये मांग विपक्षी दल के किसी नेता ने नहीं बल्कि देश की सत्ताधारी पार्टी के सांसद सुब्रत पाठक ने की है. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना से खास बातचीत में जानिए उन्होंने इसके पीछे क्या कारण बताया.

BJP MP Subrata Pathak
भाजपा सांसद सुब्रत पाठक
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Published : Aug 11, 2023, 11:01 PM IST

खास बातचीत

नई दिल्ली : भाजपा सांसद सुब्रत पाठक (BJP MP Subrata Pathak) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखकर धार्मिक जनगणना की मांग की है. इसके बारे में ईटीवी भारत को जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि आजादी के बाद हिंदुओं की जनसंख्या घटी है, जबकि मुस्लिमों की आबादी काफी बढ़ी है, जिसमें अवैध घुसपैठ भी शामिल है. इसलिए देश में धार्मिक जनगणना की जरूरत है, ताकि ये पता चल सके कि अल्पसंख्यक वाकई में अल्पसंख्यक रह गए हैं या नहीं.

देश के गृह मंत्री अमित शाह के नाम पत्र में भाजपा सांसद ने लिखा है कि जाति जनगणना से पहले सरकार धार्मिक जनगणना करवाए ताकि हिंदू, बौद्ध, मुस्लिम, सिख, जैन आदि की सही संख्या पता चल सके. इस पत्र में ये भी मांग की गई है कि अगर मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक पाई जाए तो उनका अल्पसंख्यक का दर्जा वापस लिया जाए.

पत्र
पत्र

बीजेपी सांसद ने चिट्ठी के माध्यम से गृह मंत्री को लिखा है कि आंकड़ों के अनुसार 1947 में हुए भारत के विभाजन के समय अल्पसंख्यकों की आबादी लगभग 7 प्रतिशत थी, जिसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन संप्रदाय के लोग भी थे. इसके अलावा 93 प्रतिशत हिंदू थे, जिनमें अगड़ी, पिछड़ी, अनुसूचित जाति और जन जाति के लोग शामिल थे, जिनकी देशभर में सैकड़ों-हजारों जातियां होंगी.

उन्होंने लिखा है कि देश की आजादी के 75 साल हो रहे हैं और इस दौरान बांग्लादेशी, रोहिंग्या और पाकिस्तानी घुसपैठ भी काफी हुई है. वोटबैंक पॉलिटिक्स के लिए उनके आधार कार्ड भी बना दिए गए हैं इसलिए एकबार धार्मिक जनगणना की आवश्यकता देश में है ताकि मुस्लिमों के अनुपात और बाकी अल्पसंख्यकों के अनुपात में कितनी बढ़ोतरी हुई, इसका पता लग सके.

उन्होंने चिट्ठी में विदेशी फंड का इस्तेमाल कर देश में बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन कराए जाने का भी जिक्र किया है, साथ ही इसे रोके जाने की मांग की है. उन्होंने लिखा कि लव जेहाद, गेम जेहाद जैसी साजिश भी देश के विरुद्ध रची जा रही है और इसी कारण कश्मीर, केरल, असम और बंगाल जैसे कई राज्यों में मुस्लिमों की आबादी बेतहाशा बढ़ी है. वर्तमान में देश के 200 से अधिक जिले मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं. ऐसे में मांग है कि जाति जनगणना से पहले धार्मिक जनगणना की जाए.

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खास बातचीत

नई दिल्ली : भाजपा सांसद सुब्रत पाठक (BJP MP Subrata Pathak) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखकर धार्मिक जनगणना की मांग की है. इसके बारे में ईटीवी भारत को जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि आजादी के बाद हिंदुओं की जनसंख्या घटी है, जबकि मुस्लिमों की आबादी काफी बढ़ी है, जिसमें अवैध घुसपैठ भी शामिल है. इसलिए देश में धार्मिक जनगणना की जरूरत है, ताकि ये पता चल सके कि अल्पसंख्यक वाकई में अल्पसंख्यक रह गए हैं या नहीं.

देश के गृह मंत्री अमित शाह के नाम पत्र में भाजपा सांसद ने लिखा है कि जाति जनगणना से पहले सरकार धार्मिक जनगणना करवाए ताकि हिंदू, बौद्ध, मुस्लिम, सिख, जैन आदि की सही संख्या पता चल सके. इस पत्र में ये भी मांग की गई है कि अगर मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक पाई जाए तो उनका अल्पसंख्यक का दर्जा वापस लिया जाए.

पत्र
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बीजेपी सांसद ने चिट्ठी के माध्यम से गृह मंत्री को लिखा है कि आंकड़ों के अनुसार 1947 में हुए भारत के विभाजन के समय अल्पसंख्यकों की आबादी लगभग 7 प्रतिशत थी, जिसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन संप्रदाय के लोग भी थे. इसके अलावा 93 प्रतिशत हिंदू थे, जिनमें अगड़ी, पिछड़ी, अनुसूचित जाति और जन जाति के लोग शामिल थे, जिनकी देशभर में सैकड़ों-हजारों जातियां होंगी.

उन्होंने लिखा है कि देश की आजादी के 75 साल हो रहे हैं और इस दौरान बांग्लादेशी, रोहिंग्या और पाकिस्तानी घुसपैठ भी काफी हुई है. वोटबैंक पॉलिटिक्स के लिए उनके आधार कार्ड भी बना दिए गए हैं इसलिए एकबार धार्मिक जनगणना की आवश्यकता देश में है ताकि मुस्लिमों के अनुपात और बाकी अल्पसंख्यकों के अनुपात में कितनी बढ़ोतरी हुई, इसका पता लग सके.

उन्होंने चिट्ठी में विदेशी फंड का इस्तेमाल कर देश में बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन कराए जाने का भी जिक्र किया है, साथ ही इसे रोके जाने की मांग की है. उन्होंने लिखा कि लव जेहाद, गेम जेहाद जैसी साजिश भी देश के विरुद्ध रची जा रही है और इसी कारण कश्मीर, केरल, असम और बंगाल जैसे कई राज्यों में मुस्लिमों की आबादी बेतहाशा बढ़ी है. वर्तमान में देश के 200 से अधिक जिले मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं. ऐसे में मांग है कि जाति जनगणना से पहले धार्मिक जनगणना की जाए.

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