नई दिल्ली : एक तरफ कांग्रेस अब राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल करने की मांग कर रही है और पार्टी की कोशिश है कि उनके नेता राहुल संसद में आनेवाले अविश्वास प्रस्ताव में भाग ले पाएं.वहीं दूसरी तरफ इस पर बीजेपी मौन है. उनका कहना है पहले जो कार्रवाई हुई थी वो भी कोर्ट का आदेश था और अब का निर्णय भी कोर्ट का आदेश था. हालांकि सूत्रों की माने तो उस निर्णय के बाद बीजेपी अब अपनी रणनीतियों और प्रचार में कुछ बदलाव जरूर ला रही है.
अभी तक पार्टी जिस तरह राहुल के बयानों को लेकर और उनके भाषण और प्रधानमंत्री पर की गई टिप्पणियों को लेकर हमलावर कैंपेन पर ध्यान केंद्रित कर रही थी और राहुल को मिली हाई कोर्ट से सजा पर प्रचार को केंद्रित करने की योजना थी लेकिन अब स्थिति उलट गई है. शायद सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले की उम्मीद बीजेपी को नहीं थी, जिसमें वादी को अपील तक की गुंजाइश कोर्ट ने नहीं दी है. सूत्रों की माने तो को इसे बीजेपी मुद्दा बनाने वाली थी लेकिन अब कांग्रेस विक्टिम कार्ड की तरह इस्तेमाल कर सकती है क्योंकि आनन-फानन में जिस तरह लोकसभा से राहुल की सदस्यता रद्द की गई और आवंटित मकान खाली करवाया गया अब वो सारी सुविधाएं जल्द ही सरकार को वापिस देनी पड़ सकती हैं और इसे कांग्रेस ने जोर-शोर से मुद्दा बना भी डाला है.
हालांकि बीजेपी के ज्यादातर नेता इसे अदालत का निर्णय बताकर मामले को रफा-दफा कर रहे हैं, मगर इतना तो तय है कि अब कांग्रेस को इस मुद्दे से लोकसभा चुनाव के लिए थोड़ी संजीवनी जरूर मिल गई है. राहुल पर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने जहां राहुल को चुनाव लड़ने से छह साल के लिए प्रतिबंधित करने की उम्मीद भी खत्म कर दी है वहीं अब विपक्षी खेमे I N D I A में भी हलचल बढ़ा दी है. वहीं सभी विपक्षी पार्टियां मिलकर बीजेपी पर इस मुद्दे में हमलावर हों रहीं हैं.
बहरहाल अभी तक यदि देखा जाए तो बीजेपी ने कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है मगर उनके नेताओं का यही कहना है कि राहुल गांधी इस केस में राहत लेकर कम से कम अपनी भाषा में मर्यादा तो लाएंगे. सूत्रों की माने तो पार्टी नेताओं को कोर्ट के निर्णय पर ज्यादा टिप्पणी करने पर भी मनाही है. इतना जरूर है कि अब पार्टी का थिंक टैंक प्रचार-प्रसार की रणनीतियों में बदलाव करते हुए राहुल कि अभद्र भाषा का मुद्दा नहीं बल्कि कांग्रेस के कार्यकाल में हुए घोटालों और तुष्टिकरण की योजनाओं को ज्यादा प्रचारित करेंगे. पार्टी के नेता ने नाम न लेने की शर्त पर कहा कि भले ही राहुल गांधी को फौरी राहत मिली, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि उनका जनता में विश्वास बढ़ा है. जनता तो उन्हें पहले ही अस्वीकार कर चुकी है इसलिए वो प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी को ही वोट करेगी. बहरहाल मामला जो भी हो सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मिली राहत ने विपक्षी पार्टियों को सोच में जरूर डाल दिया है.
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