नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र का आज 5वां दिन रहा. आज लोक सभा से दो विधेयकों को मंजूरी दी गई. लोक सभा में हंगामे और नारेबाजी के बीच राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंध संस्थान विधेयक, 2021 को मंजूरी मिली. यह विधेयक राज्य सभा से पहले ही पारित हो चुका है.
दिलचस्प यह रहा कि पहली बार केंद्रीय मंत्री बने पशुपति कुमार पारस ने लोक सभा में खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंध संस्थान विधेयक, 2021 पेश किया. इस विधेयक के माध्यम से राष्ट्रीय खाद्य उद्यमिता और प्रबंध संस्थान विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें हरियाणा के कुंडली और तमिलनाडु के तंजावुर स्थित खाद्य प्रौद्योगिकी क्षेत्र के दो संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा देने का प्रावधान किया गया है.
विधेयक के दस्तावेज के अनुसार, इसके उपबंधों के अधीन रहते हुए प्रत्येक संस्थान कई शक्तियों का प्रयोग कर सकेगा. इसके तहत आहार विज्ञान और खाद्य प्रौद्योगिकी की ऐसी शाखाओं से और इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकी विज्ञान एवं प्रबंध की ऐसी अन्य शाखाओं में ज्ञान के प्रसार का उपबंध किया गया है.
राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंध संस्थान विधेयक, 2021 (National Institute of Food Technology Entrepreneurship and Management, Bill) में परीक्षाएं आयोजित करना और डिग्रियां, डिप्लोमा, प्रमाणपत्र और अन्य ज्ञान संबंधी विशेष उपाधियां या पदवियां तथा मानद डिग्रियां प्रदान करने का उपबंध है.
बता दें कि पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) को गत सात जुलाई को हुए मोदी मंत्रिमंडल विस्तार के बाद केंद्रीय खाद्य और प्रसंस्करण मंत्री बनाया गया था. पारस ने अगले दिन खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय का पदभार संभाला था. इस मौके पर ईटीवी भारत से बात करते हुए पशुपति कुमार पारस ने कहा था कि उन्होंने कहा कि मैं पीएम मोदी को धन्यवाद देता हूं. उन्होंने मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है. उनके मार्गदर्शन में काम करता रहूंगा.
केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार (Union cabinet expansion) में दलित सेना (Dalit Sena) को राष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले लोजपा नेता पशुपति पारस को जगह दिए जाने की खबर सुर्खियों में रही. पशुपति के बड़े भाई स्वर्गीय रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) भी मोदी सरकार में इसी मंत्रालय को संभालते थे. राजनीति में आने के बाद पशुपति और उनके भतीजे चिराग से लड़ाई की खबर भी सुर्खियों में रही थी.
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कुशल संगठनकर्ता हैं पशुपति
पशुपति पारस ने 2009 के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में हाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. इसके अलावा वो 5 बार विधायक भी रह चुके हैं. राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार मानते हैं कि पशुपति पारस की पहचान रामविलास पासवान को लेकर थी, लेकिन चिराग पासवान से विवाद के बाद वह सुर्खियों में आए. पशुपति पारस मृदुभाषी और कुशल संगठनकर्ता हैं. मृदुभाषी होने का फल भी उन्हें मिला. वह नीतीश कैबिनेट में मंत्री रहे.