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बिहार में 90 हजार शिक्षकों की नौकरी पर लटक रही है तलवार, जानें क्यों?

बिहार में करीब 90 लाख से अधिक शिक्षकों की नौकरी पर संकट मंडरा (Bihar Teacher Vacancy 2022) रहा है. यहां हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं होने से शिक्षकों की सेवा समाप्त हो सकती है. सरकार के बार-बार मौका देने के बाद भी एक लाख शिक्षकों ने नियोजन फोल्डर उपलब्घ नहीं कराया है. पढ़ें पूरी खबर..

Education Minister Vijay Kumar Choudhary
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी (फाइल फोटो)
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Published : Feb 5, 2022, 7:34 PM IST

पटना: बिहार में करीब 90 हजार शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक (90 Thousand Teachers In Bihar May Lose Job) रही है. राज्य के 90 हजार से अधिक नियोजित शिक्षकों के फोल्डर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को उपलब्ध नहीं कराया गया है. इस कारण इनके प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं हो पा रहा है. निगरानी जांच की पूरी प्रक्रिया बाधित है. ऐसे शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक रही है. उनकी बर्खास्तगी हो सकती है.

हाईकोर्ट के आदेश पर निगरानी ब्यूरो राज्यभर की नियोजन इकाइयों में 2006 से 2015 के बीच नियुक्त शिक्षकों के प्रमाण पत्रों पर उठाए गए सवालों की जांच कर रहा है. आरोप है कि बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाण पत्रों पर बहाली की गई है. गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक बुलाई थी. बैठक में शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की निगरानी जांच का मामला भी उठा.

एक लाख शिक्षकों के नियोजन फोल्डर नहीं: इस दौरान शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी (Education Minister Vijay Kumar Choudhary) ने कहा है कि 2006 से 2015 के बीच नियोजित हुए करीब 90 हजार शिक्षकों से संबंधित मेधा सूची और नियुक्ति संबंधी फोल्डर नहीं मिल पाए हैं. शिक्षा विभाग अब यह मामला अब हाइकोर्ट में ले जाएगा. उन्होंने साफ किया है कि हाइकोर्ट से मार्ग दर्शन लेने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

अब शिक्षकों की सेवा हो सकती है समाप्त: शिक्षा मंत्री चौधरी ने कहा कि पोर्टल पर अपलोड दस्तावेजों की मेधा सूची और नियोजन फोल्डर के जरिए ही यह साबित हो पाएगा कि शिक्षकों की तरफ से दिए दस्तावेज सही हैं कि नहीं. उन्होंने कहा कि हाइकोर्ट के संज्ञान में लाने के बाद ऐसे शिक्षक जिनकी मेधा सूची अथवा फोल्डर नहीं मिल पा रहे हैं, उनके नियोजन को रद्द करने की कार्रवाई भी शुरू की जा सकती है.

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हालांकि, उन्होंने कहा कि नियोजन पत्रों के फोल्डर और मेधा सूची उपलब्ध कराने के लिए एक और मौका दिया जाएगा. इस संदर्भ में जल्दी ही समय सीमा तय की जाएगी. इसके बाद फर्जी दस्तावेज पर नियुक्त हुए शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी. जानकारी के मुताबिक, शिक्षा विभाग इस बारे में फैसला कर चुका है कि जिन शिक्षकों ने फर्जी तरीके से नौकरी पाई है उन्हें हटाने की कार्रवाई होगी. हालांकि एक आखिरी मौका उन्हें दिया जाएगा ताकि वे उस समय की मेरिट लिस्ट और नियोजन इकाई का फोल्डर सरकार को उपलब्ध कराएं.

इससे पहले, जुलाई 2020 तक शिक्षकों को फोल्डर उपलब्ध कराने के लिए अंतिम मौका दिया गया था. वेबसाइट की कुछ तकनीकी खराबी के कारण अगस्त 2021 में भी एक सप्ताह के लिए इसे खोला गया था ताकि शिक्षक अपनी डिग्री अपलोड कर सकें. इसके बावजूद भी एक लाख शिक्षकों की डिग्रियों का अता-पता नहीं है. दरअसल, बिहार सरकार ने 90 हजार शिक्षकों से उनके दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड करवाए थे, लेकिन बड़ी बात यह है कि इन दस्तावेजों की पुष्टि के लिए किसी भी नियोजन इकाई में ना तो मेरिट लिस्ट उपलब्ध है और ना ही कोई अन्य रिकॉर्ड. ऐसे में बिहार सरकार अब हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई की मांग करने वाली है.

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बता दें कि पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर बिहार में निगरानी विभाग वर्ष 2006 से वर्ष 2015 के बीच नियोजित हुए शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच कर रहा है. ऐसे शिक्षकों की संख्या एक लाख से ज्यादा है. हालांकि इनमें से करीब 10 हजार से ज्यादा शिक्षकों ने या तो नौकरी से रिजाइन कर दिया है या उनकी मौत हो चुकी है. अब बचे करीब 90 हजार शिक्षकों ने पिछले साल शिक्षा विभाग के द्वारा निर्देशित वेबसाइट पर अपने दस्तावेज अपलोड किए, लेकिन अब परेशानी यह है कि उन दस्तावेजों का सत्यापन तभी हो पाएगा जब नियोजन इकाई में जमा रिकॉर्ड से उनका मिलान होगा. लेकिन किसी भी नियोजन इकाई के पास ना तो उस वक्त जारी हुई मेरिट लिस्ट है और ना ही इन शिक्षकों से जुड़े कोई और रिकॉर्ड, जिससे इन दस्तावेजों का मिलान किया जा सके. बता दें कि राज्य में शिक्षक नियोजन नियमावली 2006 में लागू हुई.

पटना: बिहार में करीब 90 हजार शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक (90 Thousand Teachers In Bihar May Lose Job) रही है. राज्य के 90 हजार से अधिक नियोजित शिक्षकों के फोल्डर निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को उपलब्ध नहीं कराया गया है. इस कारण इनके प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं हो पा रहा है. निगरानी जांच की पूरी प्रक्रिया बाधित है. ऐसे शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक रही है. उनकी बर्खास्तगी हो सकती है.

हाईकोर्ट के आदेश पर निगरानी ब्यूरो राज्यभर की नियोजन इकाइयों में 2006 से 2015 के बीच नियुक्त शिक्षकों के प्रमाण पत्रों पर उठाए गए सवालों की जांच कर रहा है. आरोप है कि बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाण पत्रों पर बहाली की गई है. गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक बुलाई थी. बैठक में शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की निगरानी जांच का मामला भी उठा.

एक लाख शिक्षकों के नियोजन फोल्डर नहीं: इस दौरान शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी (Education Minister Vijay Kumar Choudhary) ने कहा है कि 2006 से 2015 के बीच नियोजित हुए करीब 90 हजार शिक्षकों से संबंधित मेधा सूची और नियुक्ति संबंधी फोल्डर नहीं मिल पाए हैं. शिक्षा विभाग अब यह मामला अब हाइकोर्ट में ले जाएगा. उन्होंने साफ किया है कि हाइकोर्ट से मार्ग दर्शन लेने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

अब शिक्षकों की सेवा हो सकती है समाप्त: शिक्षा मंत्री चौधरी ने कहा कि पोर्टल पर अपलोड दस्तावेजों की मेधा सूची और नियोजन फोल्डर के जरिए ही यह साबित हो पाएगा कि शिक्षकों की तरफ से दिए दस्तावेज सही हैं कि नहीं. उन्होंने कहा कि हाइकोर्ट के संज्ञान में लाने के बाद ऐसे शिक्षक जिनकी मेधा सूची अथवा फोल्डर नहीं मिल पा रहे हैं, उनके नियोजन को रद्द करने की कार्रवाई भी शुरू की जा सकती है.

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हालांकि, उन्होंने कहा कि नियोजन पत्रों के फोल्डर और मेधा सूची उपलब्ध कराने के लिए एक और मौका दिया जाएगा. इस संदर्भ में जल्दी ही समय सीमा तय की जाएगी. इसके बाद फर्जी दस्तावेज पर नियुक्त हुए शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी. जानकारी के मुताबिक, शिक्षा विभाग इस बारे में फैसला कर चुका है कि जिन शिक्षकों ने फर्जी तरीके से नौकरी पाई है उन्हें हटाने की कार्रवाई होगी. हालांकि एक आखिरी मौका उन्हें दिया जाएगा ताकि वे उस समय की मेरिट लिस्ट और नियोजन इकाई का फोल्डर सरकार को उपलब्ध कराएं.

इससे पहले, जुलाई 2020 तक शिक्षकों को फोल्डर उपलब्ध कराने के लिए अंतिम मौका दिया गया था. वेबसाइट की कुछ तकनीकी खराबी के कारण अगस्त 2021 में भी एक सप्ताह के लिए इसे खोला गया था ताकि शिक्षक अपनी डिग्री अपलोड कर सकें. इसके बावजूद भी एक लाख शिक्षकों की डिग्रियों का अता-पता नहीं है. दरअसल, बिहार सरकार ने 90 हजार शिक्षकों से उनके दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड करवाए थे, लेकिन बड़ी बात यह है कि इन दस्तावेजों की पुष्टि के लिए किसी भी नियोजन इकाई में ना तो मेरिट लिस्ट उपलब्ध है और ना ही कोई अन्य रिकॉर्ड. ऐसे में बिहार सरकार अब हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई की मांग करने वाली है.

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बता दें कि पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर बिहार में निगरानी विभाग वर्ष 2006 से वर्ष 2015 के बीच नियोजित हुए शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच कर रहा है. ऐसे शिक्षकों की संख्या एक लाख से ज्यादा है. हालांकि इनमें से करीब 10 हजार से ज्यादा शिक्षकों ने या तो नौकरी से रिजाइन कर दिया है या उनकी मौत हो चुकी है. अब बचे करीब 90 हजार शिक्षकों ने पिछले साल शिक्षा विभाग के द्वारा निर्देशित वेबसाइट पर अपने दस्तावेज अपलोड किए, लेकिन अब परेशानी यह है कि उन दस्तावेजों का सत्यापन तभी हो पाएगा जब नियोजन इकाई में जमा रिकॉर्ड से उनका मिलान होगा. लेकिन किसी भी नियोजन इकाई के पास ना तो उस वक्त जारी हुई मेरिट लिस्ट है और ना ही इन शिक्षकों से जुड़े कोई और रिकॉर्ड, जिससे इन दस्तावेजों का मिलान किया जा सके. बता दें कि राज्य में शिक्षक नियोजन नियमावली 2006 में लागू हुई.

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