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बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के शोध में शामिल हुए भोपाल AIIMS और सुल्तानिया अस्पताल, 116 देशों में एक साथ हुआ रिसर्च

कोरोना पर रिसर्च करने के लिए बर्मिंघम यूनिवर्सिटी ने शोध (Research) के लिए विश्व के कई अस्पतालों से डेटा लिया था. इसमें भोपाल के सुल्तानिया और एम्स को भी शामिल किया गया था.

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Published : Sep 5, 2021, 1:17 AM IST

बर्मिंघम यूनिवर्सिटी
बर्मिंघम यूनिवर्सिटी

भोपाल : शोध के आधार पर कोरोना मरीज के ऑपरेशन के लिए बनी अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन में भोपाल एम्स (Bhopal AIIMS) और सुल्तानिया अस्पताल (Sultania Hospital) का नाम भी शामिल है. इन अस्पतालों में बीते समय हुए शोध (Research) के बाद जारी 1,000 से अधिक अस्पतालों की लिस्ट में इनका नाम भी शामिल है. यह रिसर्च 116 देशों में होकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है.

कोरोना के शुरूआती दौर में इलाज को लेकर अनिश्चिताओं को देखते हुए अमेरिका की बर्मिंघम यूनिवर्सिटी (Birmingham University) ने क्लीनिकल ट्रायल ग्लोबल सर्जरी यूनिट (ग्लोबल सर्च-कोविड सर्च) रिसर्च शुरू किया. इस रिसर्च में सुल्तानिया आस्पताल और एम्स भोपाल के अलावा दुनिया के 116 देशों के 1647 चिकित्सा संस्थान शामिल हुए. शोध में करीब पांच लाख कोरोना मरीजों की स्थिति और उनके लक्षणों के आधार पर जुटाए अंतरराष्ट्रीय आंकड़ों के आधार पर नतीजे निकाले गए. यह दुनिया का पहला शोध है जिसमें एक साथ इतने देश और अस्पताल शामिल हुए. शोध को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया.

चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने जताई खुशी.

बर्मिंघम यूनिवर्सिटी (Birmingham University) के शोध (Research) में शामिल सभी चिकित्सा संस्थानों को एक प्रपत्र जारी किया. इसे इंटरनेशनल मल्टीसेंटर प्रोस्पेक्टिव स्टडी कहा गया. इसमें कोरोना मरीजों की जानकारी के साथ, उनमें होने वाले बदलावों की जानकारी भी दी गई. आंकड़ों के आधार पर तय किया गया कि कोरोना के चार हफ्ते के भीतर अन्य बीमारियों का ऑपरेशन करने पर मरीजों खासा खतरा रहता है.

ये भी पढ़ें - केंद्र ने पूर्वोत्तर के राज्यों, जम्मू कश्मीर से वरिष्ठ नागरिकों के टीकाकरण पर ध्यान देने को कहा

रिसर्च में पता चला है कि इन मरीजों में पोस्ट ऑपरेटिव कॉम्प्लीकेशन के साथ खून में धक्का जमने जैसी दिक्कत हो सकती है. यहीं नहीं इससे मरीजों को मौत का भी खतरा था. ऐसे में तय किया कि कोरोना संक्रमण में कम से कम 6 सप्ताह बाद ही कोई इलेक्टिव सर्जरी की जाए. शोध के आधार पर भारत के केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे कोरोना ट्रीटमेंट गाइडलाइन में शामिल किया.

शोध के बाद ऑपरेशन के लिए तय की गई समय सीमा

  • एसिम्प्टोमेटिक (लक्षण रहित) मरीजों के कोरोना से रिकवर होने के 6 हफ्ते बाद
  • ब्लड़ प्रेशर, शुगर, कैंसर जैसी कोमॉबिज़्डिटी से ग्रस्त मरीजों के कोरोना से रिकवर होने के 8 हफ्ते बाद
  • आईसीयू, वेंटिलेटर सपोर्ट पर रहे मरीज के कोरोना से रिकवर होने के 12 हफ्ते बाद

इस मामले में मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग (Medical Education Minister Vishwas Sarang) ने खुशी जाहिर की है. मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि यह भोपाल, मध्य प्रदेश और पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है.

भोपाल : शोध के आधार पर कोरोना मरीज के ऑपरेशन के लिए बनी अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन में भोपाल एम्स (Bhopal AIIMS) और सुल्तानिया अस्पताल (Sultania Hospital) का नाम भी शामिल है. इन अस्पतालों में बीते समय हुए शोध (Research) के बाद जारी 1,000 से अधिक अस्पतालों की लिस्ट में इनका नाम भी शामिल है. यह रिसर्च 116 देशों में होकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है.

कोरोना के शुरूआती दौर में इलाज को लेकर अनिश्चिताओं को देखते हुए अमेरिका की बर्मिंघम यूनिवर्सिटी (Birmingham University) ने क्लीनिकल ट्रायल ग्लोबल सर्जरी यूनिट (ग्लोबल सर्च-कोविड सर्च) रिसर्च शुरू किया. इस रिसर्च में सुल्तानिया आस्पताल और एम्स भोपाल के अलावा दुनिया के 116 देशों के 1647 चिकित्सा संस्थान शामिल हुए. शोध में करीब पांच लाख कोरोना मरीजों की स्थिति और उनके लक्षणों के आधार पर जुटाए अंतरराष्ट्रीय आंकड़ों के आधार पर नतीजे निकाले गए. यह दुनिया का पहला शोध है जिसमें एक साथ इतने देश और अस्पताल शामिल हुए. शोध को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया.

चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने जताई खुशी.

बर्मिंघम यूनिवर्सिटी (Birmingham University) के शोध (Research) में शामिल सभी चिकित्सा संस्थानों को एक प्रपत्र जारी किया. इसे इंटरनेशनल मल्टीसेंटर प्रोस्पेक्टिव स्टडी कहा गया. इसमें कोरोना मरीजों की जानकारी के साथ, उनमें होने वाले बदलावों की जानकारी भी दी गई. आंकड़ों के आधार पर तय किया गया कि कोरोना के चार हफ्ते के भीतर अन्य बीमारियों का ऑपरेशन करने पर मरीजों खासा खतरा रहता है.

ये भी पढ़ें - केंद्र ने पूर्वोत्तर के राज्यों, जम्मू कश्मीर से वरिष्ठ नागरिकों के टीकाकरण पर ध्यान देने को कहा

रिसर्च में पता चला है कि इन मरीजों में पोस्ट ऑपरेटिव कॉम्प्लीकेशन के साथ खून में धक्का जमने जैसी दिक्कत हो सकती है. यहीं नहीं इससे मरीजों को मौत का भी खतरा था. ऐसे में तय किया कि कोरोना संक्रमण में कम से कम 6 सप्ताह बाद ही कोई इलेक्टिव सर्जरी की जाए. शोध के आधार पर भारत के केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे कोरोना ट्रीटमेंट गाइडलाइन में शामिल किया.

शोध के बाद ऑपरेशन के लिए तय की गई समय सीमा

  • एसिम्प्टोमेटिक (लक्षण रहित) मरीजों के कोरोना से रिकवर होने के 6 हफ्ते बाद
  • ब्लड़ प्रेशर, शुगर, कैंसर जैसी कोमॉबिज़्डिटी से ग्रस्त मरीजों के कोरोना से रिकवर होने के 8 हफ्ते बाद
  • आईसीयू, वेंटिलेटर सपोर्ट पर रहे मरीज के कोरोना से रिकवर होने के 12 हफ्ते बाद

इस मामले में मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग (Medical Education Minister Vishwas Sarang) ने खुशी जाहिर की है. मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि यह भोपाल, मध्य प्रदेश और पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है.

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