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12 साल पहले हुए बाल विवाह को कोर्ट ने किया निरस्त, किशोरी ने जताई खुशी

राजस्थान के भीलवाड़ा में पारिवारिक न्यायालय ने बाल विवाह के एक मामले की सुनवाई करते हुए 12 साल पहले हुए विवाह को निरस्त कर दिया है. बाल विवाह का दंश झेल रही किशोरी कोर्ट के इस फैसले से काफी खुश है.

बाल विवाह
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Published : Sep 4, 2021, 7:35 PM IST

भीलवाड़ा : राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के पारिवारिक न्यायालय ने शनिवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए 12 साल पहले हुए बाल विवाह को निरस्त कर दिया. बालिका की शादी 12 साल पहले उस समय हुई थी, जब उसकी उम्र महज सात वर्ष थी.

बड़ी होने पर किशोरी ने जोधपुर के सारथी ट्रस्ट की मदद से भीलवाड़ा में विवाह निरस्त करने की गुहार लगाई. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बाल विवाह को निरस्त कर दिया.

सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी एवं पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ. कृति भारती ने कहा कि बालिका का बाल विवाह 2009 में बनेड़ा तहसील निवासी युवक के साथ हुआ था. उसने करीब 12 साल तक बाल विवाह का दंश झेला. इस दौरान जाति पंचों व अन्य की ओर से लगातार गौना (बाल विवाह के बाद बालिग होने पर लड़की को ससुराल लाने की रस्म) कराने के लिए दबाव बनाया जाता रहा.

भारती ने बताया कि मगर किशोरी ने ससुराल जाने से इनकार कर दिया. इस पर उसे धमकियां मिलने लगीं. उन्होंने बताया कि कोर्ट ने बाल विवाह निरस्त कर दिया है. इस पर हमें भी खुशी मिली है.

यह भी पढ़ें- माता-पिता ने 70 हजार रुपए लेकर कराया मेरा विवाह, नाबालिग ने लगाए आरोप

किशोरी ने भी कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई. उसका कहना है कि वह काफी खुशी है कि उसे बाल विवाह के दलदल से मुक्ति मिल गई है. आने वाले समय में वह भी बाल विवाह के दलदल में फंसी बालिकाओं की मदद करना चाहती है, जो इस बालिका वधु की कुरीतियों में फंसी हुई हैं.

भीलवाड़ा : राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के पारिवारिक न्यायालय ने शनिवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए 12 साल पहले हुए बाल विवाह को निरस्त कर दिया. बालिका की शादी 12 साल पहले उस समय हुई थी, जब उसकी उम्र महज सात वर्ष थी.

बड़ी होने पर किशोरी ने जोधपुर के सारथी ट्रस्ट की मदद से भीलवाड़ा में विवाह निरस्त करने की गुहार लगाई. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बाल विवाह को निरस्त कर दिया.

सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी एवं पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ. कृति भारती ने कहा कि बालिका का बाल विवाह 2009 में बनेड़ा तहसील निवासी युवक के साथ हुआ था. उसने करीब 12 साल तक बाल विवाह का दंश झेला. इस दौरान जाति पंचों व अन्य की ओर से लगातार गौना (बाल विवाह के बाद बालिग होने पर लड़की को ससुराल लाने की रस्म) कराने के लिए दबाव बनाया जाता रहा.

भारती ने बताया कि मगर किशोरी ने ससुराल जाने से इनकार कर दिया. इस पर उसे धमकियां मिलने लगीं. उन्होंने बताया कि कोर्ट ने बाल विवाह निरस्त कर दिया है. इस पर हमें भी खुशी मिली है.

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किशोरी ने भी कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई. उसका कहना है कि वह काफी खुशी है कि उसे बाल विवाह के दलदल से मुक्ति मिल गई है. आने वाले समय में वह भी बाल विवाह के दलदल में फंसी बालिकाओं की मदद करना चाहती है, जो इस बालिका वधु की कुरीतियों में फंसी हुई हैं.

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