ETV Bharat / bharat

कोविड-19 : विश्व मौसम संगठन ने जताई चिंता, अवलोकन प्रभावित

विश्व मौसम संगठन ने मौसम संबंधी जानकारियों पर कोरोना वायरस महामारी के संभावित प्रभाव पर चिंता व्यक्त की है. वैश्विक अवलोकन प्रणाली पर इस महामारी के दौरान लगातार नजर बनी हुई है. विश्व मौसम संगठन संयुक्त राष्ट्र का मौसम निकाय है.

world meteorological organisation
डिजाइन फोटो
author img

By

Published : May 10, 2020, 4:44 PM IST

Updated : May 10, 2020, 4:58 PM IST

हैदराबाद : विश्वभर में कोरोना वायरस का कहर जारी है. इस वजह से मौसम से जुड़ी जानकारी मिलने में बाधा आ रही है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने जानकारी की उपलब्धता और गुणवत्ता को लेकर चिंता जताई है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा समन्वित वैश्विक अवलोकन प्रणाली मौसम से जुड़ी जानकारी देती है.

विमान से लिए गए आकड़े सामान्य दिनों की तुलना में 75-80 प्रतिशत कम हो गए हैं. दक्षिणी गोलार्ध में यह आंकड़ा 90 प्रतिशत तक है. ऐसा देखा गया है कि सतह से मिलने वाले आकड़ों में भी कमी आई है. यह अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका जैसे देशों में देख गया है, जहां आंकड़े जमा करने की प्रणाली स्वचालित नहीं है. ज्यादातर विकसित देशों में सतह से मौसम के आंकड़े जमा करने की प्रणाली स्वचालित है.

डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेट्री तालास ने कहा कि राष्ट्रीय मौसम विज्ञान और जल विज्ञान सेवाएं अपना कार्य 24/7 कर रहीं हैं. हालांकि उन्हें कोरोना वायरस से फैली महामारी की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. यह दिक्कतें विकासशील देशों में ज्यादा हैं.

तालास ने कहा कि वह जान-माल की सुरक्षा में दिन-रात लगे लोगों की निष्ठा को सलाम करते हैं. उन्होंने क्षमता और संसाधनों पर लगातार बढ़ते दबाव पर चिंता जताई है. जलवायु परिवर्तन और मौसम संबंधी आपदाएं बढ़ीं हैं. यह प्रशांत में उष्णकटिबंधीय चक्रवात हेरोल्ड और पूर्वी अफ्रीका में आई बाढ़ में देखा गया है.

उन्होंने कहा कि अटलांटिक तूफान का मौसम आ रहा है. कोविड-19 महामारी इसके खतरे को और बढ़ा देती है. इससे कुछ देशों को ज्यादा नुकसान हो सकता है. इसलिए यह जरूरी है कि सरकारें मौसम को लेकर जानकारी और चेतावनी देने वाली प्रणाली पर ध्यान दें.

विश्व मौसम विज्ञान संगठन समुद्री अवलोकन प्रणालियों से मिल रही जानकारी की निगरानी भी कर रहा है. यह महासागरों द्वारा ढकी हुई 2/3 पृथ्वी की सतह से महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती हैं. ज्यादातर समुद्री अवलोकन प्रणाली स्वचालित होती है. इसके ज्यादातर पुर्जे बिना रखरखाव के कई महीनों तक ठीक से काम कर सकते हैं.

इस समय स्वैच्छिक अवलोकन जहाजों के कार्यक्रम पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है. यहां जानकारी की उपलब्धता में 20 प्रतिशत की कमी देखी गई है.

तत्कालीन परिस्थिति अंतरिक्ष-आधारित अवलोकन प्रणाली की महत्ता और स्थिरता को दर्शाती है. इस समय 30 से ज्यादा मौसम विज्ञान और 200 अनुसंधान उपग्रह मौसम से जुड़ी जानकारियां प्रदान कर रहे हैं. यह सभी अत्याधुनिक तकनीक द्वारा स्वचालित हैं.

विश्व मौसम विज्ञान संगठन की वैश्विक अवलोकन प्रणाली दुनिया के करीब 200 देशों को मौसम से जुड़ी जानकारी प्रदान करती है. इस जानकारी से मौसम का विश्लेषण किया जाता है. मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता है. मौसम से जुड़ी सलाह और चेतावनी दी जाती है. समय पर मिली जानकारी से लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है.

पढ़ें-द्वितीय विश्व युद्ध की 75वीं बरसी, जानें परत दर परत कहानियां

हैदराबाद : विश्वभर में कोरोना वायरस का कहर जारी है. इस वजह से मौसम से जुड़ी जानकारी मिलने में बाधा आ रही है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने जानकारी की उपलब्धता और गुणवत्ता को लेकर चिंता जताई है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा समन्वित वैश्विक अवलोकन प्रणाली मौसम से जुड़ी जानकारी देती है.

विमान से लिए गए आकड़े सामान्य दिनों की तुलना में 75-80 प्रतिशत कम हो गए हैं. दक्षिणी गोलार्ध में यह आंकड़ा 90 प्रतिशत तक है. ऐसा देखा गया है कि सतह से मिलने वाले आकड़ों में भी कमी आई है. यह अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका जैसे देशों में देख गया है, जहां आंकड़े जमा करने की प्रणाली स्वचालित नहीं है. ज्यादातर विकसित देशों में सतह से मौसम के आंकड़े जमा करने की प्रणाली स्वचालित है.

डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेट्री तालास ने कहा कि राष्ट्रीय मौसम विज्ञान और जल विज्ञान सेवाएं अपना कार्य 24/7 कर रहीं हैं. हालांकि उन्हें कोरोना वायरस से फैली महामारी की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. यह दिक्कतें विकासशील देशों में ज्यादा हैं.

तालास ने कहा कि वह जान-माल की सुरक्षा में दिन-रात लगे लोगों की निष्ठा को सलाम करते हैं. उन्होंने क्षमता और संसाधनों पर लगातार बढ़ते दबाव पर चिंता जताई है. जलवायु परिवर्तन और मौसम संबंधी आपदाएं बढ़ीं हैं. यह प्रशांत में उष्णकटिबंधीय चक्रवात हेरोल्ड और पूर्वी अफ्रीका में आई बाढ़ में देखा गया है.

उन्होंने कहा कि अटलांटिक तूफान का मौसम आ रहा है. कोविड-19 महामारी इसके खतरे को और बढ़ा देती है. इससे कुछ देशों को ज्यादा नुकसान हो सकता है. इसलिए यह जरूरी है कि सरकारें मौसम को लेकर जानकारी और चेतावनी देने वाली प्रणाली पर ध्यान दें.

विश्व मौसम विज्ञान संगठन समुद्री अवलोकन प्रणालियों से मिल रही जानकारी की निगरानी भी कर रहा है. यह महासागरों द्वारा ढकी हुई 2/3 पृथ्वी की सतह से महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती हैं. ज्यादातर समुद्री अवलोकन प्रणाली स्वचालित होती है. इसके ज्यादातर पुर्जे बिना रखरखाव के कई महीनों तक ठीक से काम कर सकते हैं.

इस समय स्वैच्छिक अवलोकन जहाजों के कार्यक्रम पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है. यहां जानकारी की उपलब्धता में 20 प्रतिशत की कमी देखी गई है.

तत्कालीन परिस्थिति अंतरिक्ष-आधारित अवलोकन प्रणाली की महत्ता और स्थिरता को दर्शाती है. इस समय 30 से ज्यादा मौसम विज्ञान और 200 अनुसंधान उपग्रह मौसम से जुड़ी जानकारियां प्रदान कर रहे हैं. यह सभी अत्याधुनिक तकनीक द्वारा स्वचालित हैं.

विश्व मौसम विज्ञान संगठन की वैश्विक अवलोकन प्रणाली दुनिया के करीब 200 देशों को मौसम से जुड़ी जानकारी प्रदान करती है. इस जानकारी से मौसम का विश्लेषण किया जाता है. मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता है. मौसम से जुड़ी सलाह और चेतावनी दी जाती है. समय पर मिली जानकारी से लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है.

पढ़ें-द्वितीय विश्व युद्ध की 75वीं बरसी, जानें परत दर परत कहानियां

Last Updated : May 10, 2020, 4:58 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.