ETV Bharat / bharat

झारखंड चुनाव परिणाम : क्या इन कारणों से पिछड़ी भाजपा ?

author img

By

Published : Dec 23, 2019, 2:55 PM IST

झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम को लेकर विश्लेषण का दौर शुरू हो गया है. बीजेपी के पिछड़ने पर कई कारणों को अहम बताया जा रहा है. बीजेपी की रणनीति पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. जानें पूरा विवरण

etvbharat
रघुवर दास

नई दिल्ली : झारखंड चुनाव परिणाम ने भारतीय जनता पार्टी को सोचने पर विवश अवश्य ही कर दिया होगा. पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली. जाहिर है, ऐसे में यह चर्चा होने लगी है कि आखिर भाजपा ने अपनी चुनावी रणनीति में क्या बदलाव किया, जिससे यह परिणाम देखने को मिला. आइए इस पर एक नजर डालते हैं.

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो भाजपा ने अपने सहयोगियों की अनदेखी की. इनमें सबसे पहला नाम ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (एजेएसयू) का नाम लिया जाता है. 2014 में भाजपा और एजेएसयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था. तब भाजपा को 37 सीटें मिली थीं. एजेएसयू को पांच सीटें हासिल हुई थीं. आपको बता दें कि जब से झारखंड का गठन हुआ है, तब से भाजपा और एजेएसयू मिलकर चुनाव लड़ रहे थे.

दूसरा प्रमुख दल है लोक जनशक्ति पार्टी. एलजेपी यद्यपि एनडीए का हिस्सा है, लेकिन उसने अलग चुनाव लड़ा.

विपक्षी दलों का महागठबंधन
इस बार विपक्षी दलों ने भाजपा के मुकाबले बेहतर गठबंधन बनाया. झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा. 2014 के विधानसभा चुनाव में तीनों ही पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था.

आदिवासी समुदाय की नाराजगी
कहा ये जाता है कि जिस तरह से भाजपा ने हरियाणा में गैर जाट नेता मनोहर लाल खट्टर को आगे किया, महाराष्ट्र में गैर मराठी नेता देवेन्द्र फडणवीस पर दांव लगाया, इसी तर्ज पर झारखंड में रघुबर दास पर दांव लगाया था. दास भी गैर आदिवासी हैं. लेकिन यह दांव भाजपा पर उलटा पड़ता जा रहा है.

jharkhand election
झारखंड की जनसंख्या का समीकरण

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक हो सकता है आदिवासी समुदाय में रघुबर दास को लेकर नाराजगी हो. और इसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ रहा है. दास के नेतृत्व को लेकर पार्टी के अंदर आवाज उठी थी. कुछ लोगों ने अर्जुन मुंडा को आगे करने को भी कहा था, लेकिन पार्टी इससे सहमत नहीं थी.

वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी
तीसरा महत्वूपर्ण कारण माना जा रहा है वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी. इनमें सरयू राय जैसे दिग्गज नेताओं का नाम लिया जा रहा है. राय एक समय सीएम पद के दावेदार में से शामिल थे. लेकिन इस बार उन्होंने बगावत का झंडा बुलंद कर दिया था. इसी तरह से राधाकृष्ण किशोर का नाम लिया जाता है. किशोर ने एजेएसयू का दामन थाम लिया था.

नई दिल्ली : झारखंड चुनाव परिणाम ने भारतीय जनता पार्टी को सोचने पर विवश अवश्य ही कर दिया होगा. पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली. जाहिर है, ऐसे में यह चर्चा होने लगी है कि आखिर भाजपा ने अपनी चुनावी रणनीति में क्या बदलाव किया, जिससे यह परिणाम देखने को मिला. आइए इस पर एक नजर डालते हैं.

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो भाजपा ने अपने सहयोगियों की अनदेखी की. इनमें सबसे पहला नाम ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (एजेएसयू) का नाम लिया जाता है. 2014 में भाजपा और एजेएसयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था. तब भाजपा को 37 सीटें मिली थीं. एजेएसयू को पांच सीटें हासिल हुई थीं. आपको बता दें कि जब से झारखंड का गठन हुआ है, तब से भाजपा और एजेएसयू मिलकर चुनाव लड़ रहे थे.

दूसरा प्रमुख दल है लोक जनशक्ति पार्टी. एलजेपी यद्यपि एनडीए का हिस्सा है, लेकिन उसने अलग चुनाव लड़ा.

विपक्षी दलों का महागठबंधन
इस बार विपक्षी दलों ने भाजपा के मुकाबले बेहतर गठबंधन बनाया. झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा. 2014 के विधानसभा चुनाव में तीनों ही पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था.

आदिवासी समुदाय की नाराजगी
कहा ये जाता है कि जिस तरह से भाजपा ने हरियाणा में गैर जाट नेता मनोहर लाल खट्टर को आगे किया, महाराष्ट्र में गैर मराठी नेता देवेन्द्र फडणवीस पर दांव लगाया, इसी तर्ज पर झारखंड में रघुबर दास पर दांव लगाया था. दास भी गैर आदिवासी हैं. लेकिन यह दांव भाजपा पर उलटा पड़ता जा रहा है.

jharkhand election
झारखंड की जनसंख्या का समीकरण

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक हो सकता है आदिवासी समुदाय में रघुबर दास को लेकर नाराजगी हो. और इसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ रहा है. दास के नेतृत्व को लेकर पार्टी के अंदर आवाज उठी थी. कुछ लोगों ने अर्जुन मुंडा को आगे करने को भी कहा था, लेकिन पार्टी इससे सहमत नहीं थी.

वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी
तीसरा महत्वूपर्ण कारण माना जा रहा है वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी. इनमें सरयू राय जैसे दिग्गज नेताओं का नाम लिया जा रहा है. राय एक समय सीएम पद के दावेदार में से शामिल थे. लेकिन इस बार उन्होंने बगावत का झंडा बुलंद कर दिया था. इसी तरह से राधाकृष्ण किशोर का नाम लिया जाता है. किशोर ने एजेएसयू का दामन थाम लिया था.

Intro:Body:Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.