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प. बंगाल : राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच सियासी 'टेंशन'

पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच सियासी आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं. राज्यपाल की बैठक में राज्य सरकार के अधिकारियों ने शिरकत नहीं की. इसके बाद राज्यपाल ने राज्य सरकार पर तंज कसा है. इसे लेकर सीएम भी हमलावर हैं. पढ़ें, विस्तार से पूरी खबर.

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Published : Oct 22, 2019, 2:44 PM IST

Updated : Oct 22, 2019, 10:02 PM IST

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल सरकार और राजभवन के बीच ताजा राजनीतिक गतिरोध पैदा हो गया है. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को सरकारी अधिकारियों द्वारा मुलाकात से इनकार के बाद आरोप लगाया कि उनके साथ 'असंवैधानिक व्यवहार' हुआ है और ऐसा प्रतीत होता है कि पश्चिम बंगाल में किसी प्रकार की सेंशरशिप है.

धनखड़ ने कहा कि उन्हें जिला अधिकारियों ने बताया कि उनके साथ बैठक करने के लिए उन्हें राज्य सरकार से अनुमति की जरूरत है.

राज्यपाल ने कहा कि अधिकारियों ने उन्हें बताया कि उनके साथ बैठक के लिए उनके पास अनुमति उपलब्ध नहीं हो पाई थी क्योंकि सभी वरिष्ठ अधिकारी उत्तरी बंगाल में हैं, जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रशासनिक यात्रा पर हैं.

धनखड़ ने अधिकारियों के इनकार को 'असंवैधानिक' बताया है. राज्यपाल ने पिछले हफ्ते उत्तर तथा दक्षिण 24 परगना जिलों के जिला मजिस्ट्रेट, नौकरशाहों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ बैठकें करने की इच्छा जताई थी. उन्होंने मंगलवार से यहां का दौरा प्रारंभ किया है.

राज भवन के सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल कार्यालय को सोमवार शाम दो जिलों के मजिस्ट्रेटों के पत्र मिले जिनमें कहा गया था कि अधिकारी मुख्यमंत्री के उत्तर बंगाल के दौरे में व्यस्तता के चलते राज्यपाल की बैठकों में शामिल नहीं हो पाएंगे.

सूत्रों के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि उनके (राज्यपाल) दौरे के मद्देनजर वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी.

राज्यपाल ने बताया, 'जिला अधिकारियों के पत्र देखकर मैं हैरान हूं. पत्रों में उन्होंने बैठकों में शामिल होने में असमर्थता जताई है. वह भी तब जबकि उन्हें चार दिन पहले इस बाबत सूचना दी गई थी. पता नहीं, लेकिन ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल में किसी तरह की सेंसरशिप है.'

ये भी पढ़ें : बंगाल में राज्यपाल और मुख्यमंत्री आमने-सामने, भड़की भाजपा

उन्होंने कहा, 'इसके बावजूद मैं जिलों का अपना दौरा जारी रखूंगा.' जिला अधिकारियों द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है, ' आपको यह सूचित किया जाता है कि निर्धारित बैठकों में लोगों को आमंत्रित करने के आग्रह के लिए अधोहस्ताक्षरी को सरकार की अनुमति लेने की आवश्यकता है.'

बाद में संवाददाताओं से बातचीत में धनखड़ ने आश्चर्य जताया कि जब मुख्यमंत्री जिले के दौरे पर होती हैं तो क्या राज्य सरकार अवकाश पर चली जाती है?

धनखड़ ने कहा, 'क्या यह उचित है कि जब राज्यपाल किसी से मुलाकात करना चाहते हों तो इस पर सेंसरशिप हो या फिर राज्य सरकार से मंजूरी लेने की जरूरत हो? मैं राज्य सरकार के मातहत नहीं हूं. मेरे हिसाब से यह असंवैधानिक है.'

वहीं, इस घटनाक्रम पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि राज्य सरकार जिस तरह से राज्यपाल का अपमान कर रही है, ऐसा पूरे देश में कहीं भी, पहले कभी भी नहीं हुआ.

उन्होंने कहा, 'कुछ संवैधानिक नियम-कायदे होते हैं, जिनका पालन हर राज्य सरकार को करना होता है. लेकिन राज्यपाल जगदीप धनखड़ के साथ जिस तरह का बर्ताव किया जा रहा है, उससे लगता है कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल सरकार ने नए नियम कायदे गढ़ लिए हैं और वह भारत के संविधान का पालन नहीं करना चाहती है.'

इस मुद्दे पर तृणमूल नेतृत्व ने कोई टिप्पणी नहीं की है. धनखड़ और राज्य सरकार के बीच कई मुद्दों पर विवाद चल रहा है.

नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल सरकार और राजभवन के बीच ताजा राजनीतिक गतिरोध पैदा हो गया है. राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को सरकारी अधिकारियों द्वारा मुलाकात से इनकार के बाद आरोप लगाया कि उनके साथ 'असंवैधानिक व्यवहार' हुआ है और ऐसा प्रतीत होता है कि पश्चिम बंगाल में किसी प्रकार की सेंशरशिप है.

धनखड़ ने कहा कि उन्हें जिला अधिकारियों ने बताया कि उनके साथ बैठक करने के लिए उन्हें राज्य सरकार से अनुमति की जरूरत है.

राज्यपाल ने कहा कि अधिकारियों ने उन्हें बताया कि उनके साथ बैठक के लिए उनके पास अनुमति उपलब्ध नहीं हो पाई थी क्योंकि सभी वरिष्ठ अधिकारी उत्तरी बंगाल में हैं, जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रशासनिक यात्रा पर हैं.

धनखड़ ने अधिकारियों के इनकार को 'असंवैधानिक' बताया है. राज्यपाल ने पिछले हफ्ते उत्तर तथा दक्षिण 24 परगना जिलों के जिला मजिस्ट्रेट, नौकरशाहों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ बैठकें करने की इच्छा जताई थी. उन्होंने मंगलवार से यहां का दौरा प्रारंभ किया है.

राज भवन के सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल कार्यालय को सोमवार शाम दो जिलों के मजिस्ट्रेटों के पत्र मिले जिनमें कहा गया था कि अधिकारी मुख्यमंत्री के उत्तर बंगाल के दौरे में व्यस्तता के चलते राज्यपाल की बैठकों में शामिल नहीं हो पाएंगे.

सूत्रों के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि उनके (राज्यपाल) दौरे के मद्देनजर वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी.

राज्यपाल ने बताया, 'जिला अधिकारियों के पत्र देखकर मैं हैरान हूं. पत्रों में उन्होंने बैठकों में शामिल होने में असमर्थता जताई है. वह भी तब जबकि उन्हें चार दिन पहले इस बाबत सूचना दी गई थी. पता नहीं, लेकिन ऐसा लगता है कि पश्चिम बंगाल में किसी तरह की सेंसरशिप है.'

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उन्होंने कहा, 'इसके बावजूद मैं जिलों का अपना दौरा जारी रखूंगा.' जिला अधिकारियों द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है, ' आपको यह सूचित किया जाता है कि निर्धारित बैठकों में लोगों को आमंत्रित करने के आग्रह के लिए अधोहस्ताक्षरी को सरकार की अनुमति लेने की आवश्यकता है.'

बाद में संवाददाताओं से बातचीत में धनखड़ ने आश्चर्य जताया कि जब मुख्यमंत्री जिले के दौरे पर होती हैं तो क्या राज्य सरकार अवकाश पर चली जाती है?

धनखड़ ने कहा, 'क्या यह उचित है कि जब राज्यपाल किसी से मुलाकात करना चाहते हों तो इस पर सेंसरशिप हो या फिर राज्य सरकार से मंजूरी लेने की जरूरत हो? मैं राज्य सरकार के मातहत नहीं हूं. मेरे हिसाब से यह असंवैधानिक है.'

वहीं, इस घटनाक्रम पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि राज्य सरकार जिस तरह से राज्यपाल का अपमान कर रही है, ऐसा पूरे देश में कहीं भी, पहले कभी भी नहीं हुआ.

उन्होंने कहा, 'कुछ संवैधानिक नियम-कायदे होते हैं, जिनका पालन हर राज्य सरकार को करना होता है. लेकिन राज्यपाल जगदीप धनखड़ के साथ जिस तरह का बर्ताव किया जा रहा है, उससे लगता है कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल सरकार ने नए नियम कायदे गढ़ लिए हैं और वह भारत के संविधान का पालन नहीं करना चाहती है.'

इस मुद्दे पर तृणमूल नेतृत्व ने कोई टिप्पणी नहीं की है. धनखड़ और राज्य सरकार के बीच कई मुद्दों पर विवाद चल रहा है.

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Last Updated : Oct 22, 2019, 10:02 PM IST
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