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वैश्विक जल संकट : बूंद-बूंद गिरते पानी से बढ़ेगी चुनौती

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Published : Feb 29, 2020, 9:57 PM IST

Updated : Mar 3, 2020, 11:34 PM IST

आज दुनिया के सामने जो चुनौतियां हैं, उनमें सबसे बड़ी चुनौती है जल संकट. एक अनुमान के अनुसार विश्वभर में दो अरब से अधिक लोग अब भी गंभीर जल संकट का सामना करने वाले देशों में रहते हैं, जबकि चार अरब लोग वर्ष में कम से कम एक महीने के लिए जल की गंभीर कमी का सामना करते हैं. पानी की खराब गुणवत्ता भी इस समस्या को बढ़ा देती है.

कॉन्सेप्ट इमेज
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हैदराबाद : आज दुनिया के सामने जो चुनौतियां हैं, उनमें सबसे बड़ी चुनौती है जल संकट. एक अनुमान के अनुसार विश्वभर में दो अरब से अधिक लोग अब भी गंभीर जल संकट का सामना करने वाले देशों में रहते हैं, जबकि चार अरब लोग वर्ष में कम से कम एक महीने के लिए जल की गंभीर कमी का सामना करते हैं. पानी की खराब गुणवत्ता भी इस समस्या को बढ़ा देती है.

क्रेडिट सुइस ग्रुप के निदेशक और क्रेडिट सुइस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष उर्स रोनर का कहना है कि यह पूरी तरह से साफ हो गया है कि दुनियाभर में पानी की कमी है और आने वाले वर्षों में दुनिया के सामने यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना रहेगा.

उन्होंने कहा कि जनसंख्या में लगातार वृद्धि हुई है, जिससे पानी की किल्लत और बढ़ी है, अब इस समस्या से निबटने के लिए एक वैश्विक प्रयास का जरूरत है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

वहीं ग्लोबल ईएसजी और थीमैटिक रिसर्च के प्रमुख यूजीन क्लार्क का कहना है कि जल की कमी संयुक्त राष्ट्र के स्थिर विकास लक्ष्यों (SDG) के उन मुख्य क्षेत्रों में एक है, जिस पर संयुक्त राष्ट्र ने ध्यान केंद्रित कर रखा है.

पानी की मांग : एक चुनौती
एक रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले दशकों में संरचनात्मक विकास के लिए जो तीन चीजें पानी की मांग सबसे अधिक बढ़ाएंगी. उनमें सबसे पहली जनसंख्या वृद्धि है. एक अनुमान के मुताबिक 2050 तक पूरी दुनिया की जनसंख्या 10 अरब तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसके लिए 2050 तक 5.3 ट्रिलियन वर्ग मीटर पानी की आवश्यक्ता है, जबकि इस समय 3 ट्रिलियन वर्ग मीटर पानी का उपयोग किया जाता है.

उपलब्ध पानी
उपलब्ध पानी

उसके बाद लगातार बढ़ रहे शहरीकरण से आने वाले समय में पानी की मांग बढ़ेगी. प्रत्येक वर्ष शहरी क्षेत्रों में वितरित किए गए पानी में से अधिकांश का उपयोग हमारे घरों के भीतर और आसपास किया जाता है, कुल शहरी उपयोग के 64% के लिए आवासीय पानी का उपयोग होता है. आने वाले समय में बढ़ते शहरीकरण के लिए अधिक पानी की जरूरत पड़ेगी.

उपलब्ध पानी
उपलब्ध पानी

तीसरी उभरता हुआ मध्यम वर्ग है. दरअसल, उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में मध्यम वर्ग भी लगातार बढ़ रहा है. मध्यम वर्ग के बढ़ने के साथ साथ प्रति व्यक्ति भोजन और कैलोरी की मात्रा बढ़ने की संभावना है क्योंकि उच्च आय भोजन पर अधिक खर्च की अनुमति देती है, साथ ही पानी की खपत में वृद्धि भी होती है.

पानी की आपूर्ति : एक स्थिर समस्या
बाहरी संसाधनों को छोड़कर, मीठे पानी के संसाधनों का उपयोग करके पानी की आपूर्ति, आमतौर पर बहुत स्थिर है. पानी की कमी के मुद्दे पर वैश्विक समुदाय द्वारा आज तक आवश्यक ध्यान नहीं दिया गया है, क्योंकि पानी की कमी को जलवायु परिवर्तन की तुलना में अधिक स्थानीय मुद्दा माना जाता है. लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि आज विशेष रूप से, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्वी देश, भारत जैसे कुछ एशियाई देशों के साथ उच्च तनाव के स्तर का सामना कर रहे हैं. इसलिए इस पर वैश्विक दृष्टिकोण की आवश्यकता है.

जलवायु परिवर्तन और पानी की कमी
पानी की कमी और जलवायु परिवर्तन आंतरिक रूप से जुड़े हुए हैं - एक तरफ जहां बारिश की कमी से जलवायु में बदलाव होता है, जिससे सूखा ,बाढ़ और तापमान पर गहरा प्रभाव पड़ता है. वहीं दूसरी ओर जल वाष्प में वृद्धि होती है, जिससे पानी का बहाव बढ़ जाता है और मिट्टी का कटाव शुरू हो जाता है.

इससे उभरते बाजार और कम आय वाले ओईसीडी देश अत्यधिक रूप से प्रभावित होते हैं क्योंकि वह चरम मौसम की घटनाओं का सामना करते हैं.

अकेले 2019 में बाढ़, सूखा, गर्मी, चक्रवात/ तूफान/टाइफून और आग से कई चरम मौसम की घटनाओं को देखा.

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बाढ़ और सूखे दोनों से अनुमानित जल उपलब्धता प्रभावित होती है. 2050 तक 1.6 अरब लोगों की वृद्धि हो जाएगी. हालांकि, बाढ़ के छिटपुट प्रभावों की तुलना में सूखा एक दीर्घकालिक और निश्चित रूप से जलवायु परिवर्तन का सबसे घातक परिणाम है.

पढ़ें- अफगानिस्तान : हर घूंघट के पीछे एक मानवीय इच्छा, जिसे पूरा करना है

पानी की कमी और भू-राजनीतिक तनाव
जैसे-जैसे पानी की कमी होती जा रही है, वैसे-वैसे पानी की मांग बढ़ती जा रही है. देशों के बीच जल संसाधनों को कैसे साझा किया जाएगा, यह आने वाले समय में और अधिक विवादास्पद हो जाएगा.

हालांकि अतीत में भी पानी को लेकर संघर्ष हो चुके हैं, लेकिन वह बहुत ही सीमित हैं. लेकिन अब पानी की आपूर्ति और मांग के असंतुलन के कारण, जल सुरक्षा मुद्दों पर देशों के बीच और भीतर तनाव बढ़ने की उम्मीद है.

निवेश की आवश्यकताएं और चुनौतियां
पानी की समस्या से निबटने के लिए बड़े निवेश की जरूरत है और यह एक बड़ी चुनौती भी है.

पानी की बुनियादी ढांचागत निवेश आवश्यकताओं और पूंजीगत लागतों के बीच किसी तरह का कोई मेल दिखाई नहीं देता.

अलग-अलग पूर्वानुमानों की समीक्षा करने वाला ओईसीडी का अनुमान है कि इसके लिए 13.6 ट्रिलियन निवेश की आवश्यकता है.

हैदराबाद : आज दुनिया के सामने जो चुनौतियां हैं, उनमें सबसे बड़ी चुनौती है जल संकट. एक अनुमान के अनुसार विश्वभर में दो अरब से अधिक लोग अब भी गंभीर जल संकट का सामना करने वाले देशों में रहते हैं, जबकि चार अरब लोग वर्ष में कम से कम एक महीने के लिए जल की गंभीर कमी का सामना करते हैं. पानी की खराब गुणवत्ता भी इस समस्या को बढ़ा देती है.

क्रेडिट सुइस ग्रुप के निदेशक और क्रेडिट सुइस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष उर्स रोनर का कहना है कि यह पूरी तरह से साफ हो गया है कि दुनियाभर में पानी की कमी है और आने वाले वर्षों में दुनिया के सामने यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना रहेगा.

उन्होंने कहा कि जनसंख्या में लगातार वृद्धि हुई है, जिससे पानी की किल्लत और बढ़ी है, अब इस समस्या से निबटने के लिए एक वैश्विक प्रयास का जरूरत है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

वहीं ग्लोबल ईएसजी और थीमैटिक रिसर्च के प्रमुख यूजीन क्लार्क का कहना है कि जल की कमी संयुक्त राष्ट्र के स्थिर विकास लक्ष्यों (SDG) के उन मुख्य क्षेत्रों में एक है, जिस पर संयुक्त राष्ट्र ने ध्यान केंद्रित कर रखा है.

पानी की मांग : एक चुनौती
एक रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले दशकों में संरचनात्मक विकास के लिए जो तीन चीजें पानी की मांग सबसे अधिक बढ़ाएंगी. उनमें सबसे पहली जनसंख्या वृद्धि है. एक अनुमान के मुताबिक 2050 तक पूरी दुनिया की जनसंख्या 10 अरब तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसके लिए 2050 तक 5.3 ट्रिलियन वर्ग मीटर पानी की आवश्यक्ता है, जबकि इस समय 3 ट्रिलियन वर्ग मीटर पानी का उपयोग किया जाता है.

उपलब्ध पानी
उपलब्ध पानी

उसके बाद लगातार बढ़ रहे शहरीकरण से आने वाले समय में पानी की मांग बढ़ेगी. प्रत्येक वर्ष शहरी क्षेत्रों में वितरित किए गए पानी में से अधिकांश का उपयोग हमारे घरों के भीतर और आसपास किया जाता है, कुल शहरी उपयोग के 64% के लिए आवासीय पानी का उपयोग होता है. आने वाले समय में बढ़ते शहरीकरण के लिए अधिक पानी की जरूरत पड़ेगी.

उपलब्ध पानी
उपलब्ध पानी

तीसरी उभरता हुआ मध्यम वर्ग है. दरअसल, उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में मध्यम वर्ग भी लगातार बढ़ रहा है. मध्यम वर्ग के बढ़ने के साथ साथ प्रति व्यक्ति भोजन और कैलोरी की मात्रा बढ़ने की संभावना है क्योंकि उच्च आय भोजन पर अधिक खर्च की अनुमति देती है, साथ ही पानी की खपत में वृद्धि भी होती है.

पानी की आपूर्ति : एक स्थिर समस्या
बाहरी संसाधनों को छोड़कर, मीठे पानी के संसाधनों का उपयोग करके पानी की आपूर्ति, आमतौर पर बहुत स्थिर है. पानी की कमी के मुद्दे पर वैश्विक समुदाय द्वारा आज तक आवश्यक ध्यान नहीं दिया गया है, क्योंकि पानी की कमी को जलवायु परिवर्तन की तुलना में अधिक स्थानीय मुद्दा माना जाता है. लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि आज विशेष रूप से, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्वी देश, भारत जैसे कुछ एशियाई देशों के साथ उच्च तनाव के स्तर का सामना कर रहे हैं. इसलिए इस पर वैश्विक दृष्टिकोण की आवश्यकता है.

जलवायु परिवर्तन और पानी की कमी
पानी की कमी और जलवायु परिवर्तन आंतरिक रूप से जुड़े हुए हैं - एक तरफ जहां बारिश की कमी से जलवायु में बदलाव होता है, जिससे सूखा ,बाढ़ और तापमान पर गहरा प्रभाव पड़ता है. वहीं दूसरी ओर जल वाष्प में वृद्धि होती है, जिससे पानी का बहाव बढ़ जाता है और मिट्टी का कटाव शुरू हो जाता है.

इससे उभरते बाजार और कम आय वाले ओईसीडी देश अत्यधिक रूप से प्रभावित होते हैं क्योंकि वह चरम मौसम की घटनाओं का सामना करते हैं.

अकेले 2019 में बाढ़, सूखा, गर्मी, चक्रवात/ तूफान/टाइफून और आग से कई चरम मौसम की घटनाओं को देखा.

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बाढ़ और सूखे दोनों से अनुमानित जल उपलब्धता प्रभावित होती है. 2050 तक 1.6 अरब लोगों की वृद्धि हो जाएगी. हालांकि, बाढ़ के छिटपुट प्रभावों की तुलना में सूखा एक दीर्घकालिक और निश्चित रूप से जलवायु परिवर्तन का सबसे घातक परिणाम है.

पढ़ें- अफगानिस्तान : हर घूंघट के पीछे एक मानवीय इच्छा, जिसे पूरा करना है

पानी की कमी और भू-राजनीतिक तनाव
जैसे-जैसे पानी की कमी होती जा रही है, वैसे-वैसे पानी की मांग बढ़ती जा रही है. देशों के बीच जल संसाधनों को कैसे साझा किया जाएगा, यह आने वाले समय में और अधिक विवादास्पद हो जाएगा.

हालांकि अतीत में भी पानी को लेकर संघर्ष हो चुके हैं, लेकिन वह बहुत ही सीमित हैं. लेकिन अब पानी की आपूर्ति और मांग के असंतुलन के कारण, जल सुरक्षा मुद्दों पर देशों के बीच और भीतर तनाव बढ़ने की उम्मीद है.

निवेश की आवश्यकताएं और चुनौतियां
पानी की समस्या से निबटने के लिए बड़े निवेश की जरूरत है और यह एक बड़ी चुनौती भी है.

पानी की बुनियादी ढांचागत निवेश आवश्यकताओं और पूंजीगत लागतों के बीच किसी तरह का कोई मेल दिखाई नहीं देता.

अलग-अलग पूर्वानुमानों की समीक्षा करने वाला ओईसीडी का अनुमान है कि इसके लिए 13.6 ट्रिलियन निवेश की आवश्यकता है.

Last Updated : Mar 3, 2020, 11:34 PM IST
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