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हरिद्वार में दीवारें बताएगीं कुंभ की कहानी, संवारने में जुटा प्रशासन - हरिद्वार हरकी पौड़ी तक पैदल मार्ग

हरिद्वार कुंभ को यादगार बनाने के लिए एक कोशिश की जा रही है. प्रयागराज कुंभ की तर्ज पर अब हरिद्वार पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को भी उत्तराखंड की संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलेगा.

दीवारें बताएगीं कुंभ की कहानी
दीवारें बताएगीं कुंभ की कहानी
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Published : Jan 5, 2021, 9:28 PM IST

हरिद्वार : कोरोना महामारी के चलते कुंभ मेले को लेकर भले ही संशय बरकरार हो, लेकिन मेला प्रशासन और नगर निगम अपनी तरफ से हरिद्वार को संवारने में जुटा हुआ है.

कुंभ से पहले हरिद्वार की दीवारें कुंभ की कहानी खुद बोल रही हैं. जनवरी महीने तक हरिद्वार के गंगा घाटों, हवेलियों, आश्रमों और अखाड़ों की दीवारें भगवान राम के वनवास से लेकर राजतिलक की कथा कहेंगी.

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इस बार हरिद्वार में कुंभ भले ही कोरोना वायरस के साए में संपन्न होगा, लेकिन इस बार कुछ तैयारियां बेहद अलग हैं. अगर, आपको हरिद्वार कुंभ में आने का मौका मिले तो, आप देखेंगे कि किस तरह से कलाकारों की मेहनत से धर्मनगरी 'बोल' उठी है.

दीवार पर की गई पेंटिंग
दीवार पर की गई पेंटिंग

हरिद्वार मेला प्रशासन ने उन रास्तों पर खूबसूरत पेंटिंग्स की हैं, जहां से भक्त हरिद्वार में आस्था की डुबकी लगाने आएंगे. श्रद्धालु बस से आ रहे हों या रेल से, यहां आते ही दीवारों पर की गई पेंटिंग्स से कुंभ मेले में आने वाले संतों, अखाड़ों और भगवान राम से जुड़ी सभ्यता-संस्कृति के बारे में जानकारी मिलेगी.

केदार बाबा के सूक्ष्म दर्शन

हरिद्वार की ये दीवारें न केवल दिन में सभी को आकर्षित कर रही हैं बल्कि रात को भी बेहद खूबसूरत नजर आ रही हैं. हरिद्वार बस अड्डे के नजदीक आप केदार बाबा के सूक्ष्म दर्शन कर पाएंगे. इतना ही नहीं, जो लोग हाइवे से गुजरेंगे उन्हें भगवान राम की लीलाओं का वर्णन दिखाई देगा, जिसकी तैयारियों में प्रशासन जुटा हुआ है.

दीवारें बताएगीं कुंभ की कहानी
दीवारें बताएगीं कुंभ की कहानी

हरिद्वार कुंभ मेला प्रशासन और नगर निगम हरिद्वार यह जानता है कि अत्याधुनिक समय में शुरू हो रहे इस कुंभ मेले में किस तरह से व्यवस्थाओं को किया जाए. उसके लिए तमाम जगहों पर अलग-अलग लेजर लाइटें और दूसरे आयोजनों की व्यवस्था तो की जा रही है. इसके साथ ही संतों की महिमा बताने के लिए बड़ी-बड़ी पेंटिंग्स भी बनवाई जा रही है.

अगर, आप कुंभ क्षेत्र में घूमते हुए हरिद्वार के अलकनंदा घाट से हरिद्वार हरकी पौड़ी तक पैदल मार्ग तय करेंगे तो, आप देखेंगे कि लगभग 2 किलोमीटर के दायरे में हरिद्वार की दीवारें खुद ही संतों की कहानियां बयां करेंगी. हरिद्वार की 'बीइंग भगीरथ संस्था' को यह काम सौंपा गया है, जिसमें लगभग 25 युवा दीवारों को सजाने का काम कर रहे हैं.

कुंभ मेले की सभ्यता-संस्कृति की होगी जानकारी.
कुंभ मेले की सभ्यता-संस्कृति की होगी जानकारी.

बनाया गया सेल्फी प्वाइंट

इसके साथ ही जूना अखाड़ा सहित निर्वाणी अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा के संतों का आने वाले श्रद्धालु न केवल सामने से दर्शन कर पाएंगे बल्कि हरिद्वार के आश्रम, गंगा घाटों पर उनकी बनी अलौकिक कलाकृति के साथ सेल्फी भी ले सकेंगे. इसके लिए सेल्फी प्वाइंट्स भी बनाये गए हैं.

हरिद्वार को सवारने में जुटा प्रशासन.
हरिद्वार को सवारने में जुटा प्रशासन.

नगर निगम ने इन युवाओं की टीम के लिए 35 रुपये स्क्वायर फीट के हिसाब से रकम तय की है, जिसके बाद इन युवाओं की जिम्मेदारी है कि हरिद्वार की तमाम दीवारों, आश्रमों, होटलों और हाईवे पर भारतीय संस्कृति और कुंभ मेले की सभ्यता को पेंटिंग्स के जरिये समझाएं.

कुंभ मेले का पहला स्नान 14 जनवरी को होना है. लिहाजा, कम समय को देखते हुए युवाओं की एक टीम दिन-रात एक कर हरिद्वार को सजाने और संवारने का काम कर रही है.

हरिद्वार : कोरोना महामारी के चलते कुंभ मेले को लेकर भले ही संशय बरकरार हो, लेकिन मेला प्रशासन और नगर निगम अपनी तरफ से हरिद्वार को संवारने में जुटा हुआ है.

कुंभ से पहले हरिद्वार की दीवारें कुंभ की कहानी खुद बोल रही हैं. जनवरी महीने तक हरिद्वार के गंगा घाटों, हवेलियों, आश्रमों और अखाड़ों की दीवारें भगवान राम के वनवास से लेकर राजतिलक की कथा कहेंगी.

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इस बार हरिद्वार में कुंभ भले ही कोरोना वायरस के साए में संपन्न होगा, लेकिन इस बार कुछ तैयारियां बेहद अलग हैं. अगर, आपको हरिद्वार कुंभ में आने का मौका मिले तो, आप देखेंगे कि किस तरह से कलाकारों की मेहनत से धर्मनगरी 'बोल' उठी है.

दीवार पर की गई पेंटिंग
दीवार पर की गई पेंटिंग

हरिद्वार मेला प्रशासन ने उन रास्तों पर खूबसूरत पेंटिंग्स की हैं, जहां से भक्त हरिद्वार में आस्था की डुबकी लगाने आएंगे. श्रद्धालु बस से आ रहे हों या रेल से, यहां आते ही दीवारों पर की गई पेंटिंग्स से कुंभ मेले में आने वाले संतों, अखाड़ों और भगवान राम से जुड़ी सभ्यता-संस्कृति के बारे में जानकारी मिलेगी.

केदार बाबा के सूक्ष्म दर्शन

हरिद्वार की ये दीवारें न केवल दिन में सभी को आकर्षित कर रही हैं बल्कि रात को भी बेहद खूबसूरत नजर आ रही हैं. हरिद्वार बस अड्डे के नजदीक आप केदार बाबा के सूक्ष्म दर्शन कर पाएंगे. इतना ही नहीं, जो लोग हाइवे से गुजरेंगे उन्हें भगवान राम की लीलाओं का वर्णन दिखाई देगा, जिसकी तैयारियों में प्रशासन जुटा हुआ है.

दीवारें बताएगीं कुंभ की कहानी
दीवारें बताएगीं कुंभ की कहानी

हरिद्वार कुंभ मेला प्रशासन और नगर निगम हरिद्वार यह जानता है कि अत्याधुनिक समय में शुरू हो रहे इस कुंभ मेले में किस तरह से व्यवस्थाओं को किया जाए. उसके लिए तमाम जगहों पर अलग-अलग लेजर लाइटें और दूसरे आयोजनों की व्यवस्था तो की जा रही है. इसके साथ ही संतों की महिमा बताने के लिए बड़ी-बड़ी पेंटिंग्स भी बनवाई जा रही है.

अगर, आप कुंभ क्षेत्र में घूमते हुए हरिद्वार के अलकनंदा घाट से हरिद्वार हरकी पौड़ी तक पैदल मार्ग तय करेंगे तो, आप देखेंगे कि लगभग 2 किलोमीटर के दायरे में हरिद्वार की दीवारें खुद ही संतों की कहानियां बयां करेंगी. हरिद्वार की 'बीइंग भगीरथ संस्था' को यह काम सौंपा गया है, जिसमें लगभग 25 युवा दीवारों को सजाने का काम कर रहे हैं.

कुंभ मेले की सभ्यता-संस्कृति की होगी जानकारी.
कुंभ मेले की सभ्यता-संस्कृति की होगी जानकारी.

बनाया गया सेल्फी प्वाइंट

इसके साथ ही जूना अखाड़ा सहित निर्वाणी अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा के संतों का आने वाले श्रद्धालु न केवल सामने से दर्शन कर पाएंगे बल्कि हरिद्वार के आश्रम, गंगा घाटों पर उनकी बनी अलौकिक कलाकृति के साथ सेल्फी भी ले सकेंगे. इसके लिए सेल्फी प्वाइंट्स भी बनाये गए हैं.

हरिद्वार को सवारने में जुटा प्रशासन.
हरिद्वार को सवारने में जुटा प्रशासन.

नगर निगम ने इन युवाओं की टीम के लिए 35 रुपये स्क्वायर फीट के हिसाब से रकम तय की है, जिसके बाद इन युवाओं की जिम्मेदारी है कि हरिद्वार की तमाम दीवारों, आश्रमों, होटलों और हाईवे पर भारतीय संस्कृति और कुंभ मेले की सभ्यता को पेंटिंग्स के जरिये समझाएं.

कुंभ मेले का पहला स्नान 14 जनवरी को होना है. लिहाजा, कम समय को देखते हुए युवाओं की एक टीम दिन-रात एक कर हरिद्वार को सजाने और संवारने का काम कर रही है.

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