नई दिल्ली/पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार का कहर जारी है. मरने वालों का आंकड़ा 173 पहुंच चुका है. शहर के प्रमुख अस्पताल में मरीजों की संख्या अभी भी ज्यादा है. इसके बावजूद अस्पताल की सुविधा बढ़ाने के बजाए नेताओं के आने का सिलसिला जारी है. इससे वहां के मरीजों को परेशानी हो रही है, लेकिन उनकी कोई नहीं सुनने वाला है.
शनिवार को मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच (अस्पताल) में सीपीआई नेता कन्हैया कुमार आए. उनके साथ 200 छात्रों का समर्थक भी मौजूद था. उन्होंने अस्पताल के अधीक्षक से बात की. स्थानीय लोगों के मुताबिक इस दौरान कुछ देर तक अस्पताल के अंदर मरीजों को प्रवेश की इजाजत नहीं दी गई.
मरीजों के परिजनों ने बाद में नारेबाजी शुरू कर दी. मामला तूल पकड़ते देख कन्हैया कुमार जल्द ही वहां से चल दिए.
कन्हैया कुमार ने क्या कहा
कन्हैया ने मीडिया से कहा कि बिहार में ये आपदा की घड़ी है. छोटे बच्चों की मौतें हो रही हैं. सभी को प्रार्थना करनी चाहिए, ये राजनीति करने का समय नहीं है. साथ ही सभी लोगों के सहयोग की भी बात कही है. आगे कहा कि रैलियों का वक्त नहीं ये जन सहयोग का समय है. कन्हैया ने ये भी बताया कि वे और उनके समर्थक गांव-गांव जा कर लोगों को जागरूक करेंगे, जिसके लिए प्रशासन से भी उन्होंने सहयोग मांगा है.
आपको बता दें कि यह कोई पहला मामला नहीं है. इस अस्पताल में नेताओं और मंत्रियों के आने का सिलसिला जारी है.
शरद यादव भी पहुंचे थे SKMCH
तीन दिन पहले शरद यादव भी यहां आए थे. उनके साथ 19 गाड़ियों का काफिल मौजूद था. उस समय अस्पताल में अफरा-तफरी जैसी स्थिति बन गई थी. लेकिन उन्हें इसकी परवाह नहीं थी.
मरीजों का कहना है कि वीआईपी नेताओं को यहां आने के बजाए, उन्हें हम लोगों की मदद करनी चाहिए. गांवों में जाकर जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए. गरीब परिवारों के बीच ग्लूकोज बांटने की व्यवस्था करवानी चाहिए. यहां आकर मीडिया में सुर्खियां बटोकर वे मरीजों की मदद नहीं कर सकते हैं. उलटे उनके आने से मरीजों को परेशानी होती है. इलाज में देरी हो जाती है. डॉक्टर दबाव में रहते हैं. वो वीआईपी नेताओं के पीछे घूमने लगते हैं.
लीची नहीं है बीमारी की वजह
एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ सुनील शाही ने कहा कि चमकी लीची की वजह से नहीं हो रहा है. यह शोध का विषय है. उसके बाद ही सही कारण पता चल पाएगा.
अब तक 173 बच्चों की राज्यभर में मौत
बता दें, उत्तर बिहार में मुजफ्फरपुर समेत कई इलाकों में फैला बच्चों के दिमाग में होने वाला बुखार आज भी पहेली बना हुआ है. चमकी या एईएस (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) के नाम से जाना जा रहा ये बुखार अब तक 173 बच्चों की सांसे थाम चुकी हैं.
डॉ कफील खान की प्रतिक्रिया
गोरखपुर में ऐसी ही घटना हुई थी, जिसमें कई बच्चों की जान चली गई थी. उस समय चर्चा में आए डॉ कफील खान ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश में ऐसी घटना दोबारा हो रही है. पिछली बार भी सरकार ने इस मामले पर संचालन में सुधार और ICU में बिस्तर की संख्या बढ़ांने की बात कही थी, जिस पर अमल नहीं किया गया और एक बार फिर सरकार वो वादे दोहरा रही है.
ये सिलसिला शुरू हुए आज 22 दिन हो गए हैं और मरीजों की संख्या में हर दिन इजाफा ही होता जा रहा है.
अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) होता क्या है?
अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी AES शरीर के मुख्य नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. वह भी खासतौर पर बच्चों में.
चमकी बुखार से कौन होता है प्रभावित
एईएस आम तौर पर 15 साल से कम उम्र के बच्चों को अपनी चपेट में लेता है. यह बीमारी बिहार, उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र, पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में बच्चों को अपना निशाना बनाती रही है.
चमकी बुखार के लक्षण
- अत्यधिक बुखार, उल्टी, सिर में दर्द, रोशनी में चिड़चिड़ापन
- गर्दन और पीठ में दर्द
- उबकाई और व्यवहार में परिवर्तन
- बोलने एवं सुनने में परेशानी
- बुरे सपने, सुस्ती और याददाश्त कमजोर होना
- गंभीर हालत में लकवा मार जाना और कोमा की स्थिति