जयपुर : राजस्थान पुलिस और उत्तर प्रदेश(यूपी) पुलिस के बीच तकरार का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. विवाद की वजह यह रही कि यूपी, बिहार और झारखंड के कुछ मजदूर वापस अपने राज्य में जाना चाहते थे. यूपी पुलिस ने यूपी के मजदूरों को तो अपनी सीमा में ले लिया, लेकिन बिहार और झारखंड के मजदूरों को आने की अनुमति नहीं दी. इस बात को लेकर राजस्थान और यूपी पुलिस में बहस हो गई. इसके बाद बात हाथापाई तक पहुंच गई. मथुरा पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके दो पुलिसकर्मियों को चोट भी आई है.
इस झड़प के बाद भरतपुर जिला कलेक्टर और मथुरा के अधिकारियों के बीच वार्ता हुई और मामले को शांत कराया गया. जिसके बाद अब मथुरा-भरतपुर सीमा पर शांति का माहौल है. उत्तर प्रदेश पुलिस और राजस्थान पुलिस में सुलह तो हो गई, लेकिन मजदूर अभी भी सीमा पर फंसे हुए हैं. उनके निकलने का कोई भी इंतजाम नहीं हो पाया है.
दरअसल सरकार के निर्देश के बाद सभी जिलों के सीमाएं सीज कर दिए गए. जिसके बाद भरतपुर पुलिस और मथुरा पुलिस ने बैरिकेडिंग लगा दी, लेकिन नौ तारीख को कुछ मजदूर जोधपुर से बिहार और झारखंड जाने के लिए भरतपुर के बॉर्डर पर पहुंचे. इनमें कुछ मजदूर उत्तर प्रदेश के भी रहने वाले थे. यूपी पुलिस ने इन मजदूरों को राज्य में आने दिया, लेकिन बिहार और झारखंड के मजदूरों को वहीं भरतपुर की सीमा में छोड़ दिया.
जिसके बाद नाराज मजदूरों ने बॉर्डर पर ही धरना शुरू कर दिया. उत्तर प्रदेश पुलिस से काफी बातचीत के बाद भी बिहार और झारखंड के मजदूरों को मथुरा के सीमा में प्रवेश नहीं मिला. जिसके बाद सभी मजदूरों को जिले के रारह गांव के एक स्कूल में ठहरा दिया गया. जहां उनके खाने-पीने की भी व्यवस्था जिला और ग्रामीणों के सहयोग से करवाई गई.
मथुरा पुलिस की बैरिकेडिंग राजस्थान की सीमा में है. इस बात पर भरतपुर पुलिस ने जब आपत्ति जताई तो दोनों राज्यों की पुलिस के बीच बैरिकेडिंग हटाने को लेकर काफी तनातनी हुई. क्योंकि इस बैरिकेडिंग की वजह से भरतपुर जिले के सांतरुक गांव का रास्ता रुका हुआ है और ग्रामीणों को गांव में जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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इस तनातनी के बाद मथुरा प्रशासन और भरतपुर प्रशासन के बीच वार्ता हुई. दोनों राज्यों की पुलिस ने एक दूसरे के खिलाफ की गई अभद्रता के वीडियो साक्ष्य के तौर पर पेश किए. जिसके बाद जिला कलेक्टर और एसपी हैदर अली जैदी ने ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है. फिलहाल मजदूरों की स्थिति भी जस की तस बनी हुई है. अभी भी दोनों सरकारें यह फैसला नहीं कर पाई हैं कि प्रवासी मजदूरों को उनके घर किस तरह भेजा जाए.