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इशरत जहां मुठभेड़ मामला: वंजारा की अर्जी पर 29 अप्रैल को आ सकता है फैसला - D.G Vanzara

14 जून 2004 में इशरत जहां समेत तीन लोगों की पुलिस द्वारा मुठभेड़ में मौत हो गई थी. इस संबंध में गुजरात की एक विशेष अदालत 29 अप्रैल को अपना फैसला सुना सकती है. पढ़िए क्या है पूरा मामला...

इशरत जहां. (फाइल फोटो)
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Published : Apr 17, 2019, 8:49 AM IST

अहमदाबाद: गुजरात की एक विशेष अदालत इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ मामले की याचिका पर 29 अप्रैल को फैसला सुना सकती है. अदालत दो वरिष्ठ पूर्व पुलिस अधिकारियों की अपने खिलाफ कार्यवाही को निरस्त करने की मांग करने वाली याचिका पर ये सुनवाई करेगी.

आपको बता दें, वरिष्ठ पूर्व पुलिस अधिकारी डीजी वंजारा और एनके अमीन की अपने खिलाफ अदालत फैसला सुनाएगी. गौरतलब है कि, 2004 के एक एनकाउंटर मामले में उन्होंने अपने खिलाफ जारी कारवाई खत्म करने का अनुरोध किया था.

पढ़ें - गाजियाबाद में 100 लोगों पर FIR, बिना इजाजत निकाल रहे थे बाइक रैली

इस बाबत दोनों अधिकारियों के वकील और इशरत जहां की मां शमीमा कौसर की ओर से पेश हुए अधिवक्ता के बीच बहस मंगलवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश जे के पांड्या के सामने पूरी हो गई.

बता दें कि 14 जून 2004 में इशरत जहां समेत तीन लोगों को मुठभेड़ में मार दिया गया था. कौसर ने पूर्व अधिकारियों की अर्जियों का विरोध किया. बहरहाल, गुजरात सरकार ने वंजारा और अमीन के खिलाफ अभियोजन चलाने की इजाजत नहीं दी है.

कौसर की याचिका में कहा गया है कि सीआरपीसी की धारा 197 के तहत लोक सेवक पर अभियोजन की मंजूरी की जरूरत होती है लेकिन यह इस मामले पर लागू नहीं होता है क्योंकि यह अपहरण, कैद रखने और हत्या का मामला है, जो लोक सेवक की आधिकारिक ड्यूटी के दायरे में नहीं आता है.

अहमदाबाद: गुजरात की एक विशेष अदालत इशरत जहां कथित फर्जी मुठभेड़ मामले की याचिका पर 29 अप्रैल को फैसला सुना सकती है. अदालत दो वरिष्ठ पूर्व पुलिस अधिकारियों की अपने खिलाफ कार्यवाही को निरस्त करने की मांग करने वाली याचिका पर ये सुनवाई करेगी.

आपको बता दें, वरिष्ठ पूर्व पुलिस अधिकारी डीजी वंजारा और एनके अमीन की अपने खिलाफ अदालत फैसला सुनाएगी. गौरतलब है कि, 2004 के एक एनकाउंटर मामले में उन्होंने अपने खिलाफ जारी कारवाई खत्म करने का अनुरोध किया था.

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इस बाबत दोनों अधिकारियों के वकील और इशरत जहां की मां शमीमा कौसर की ओर से पेश हुए अधिवक्ता के बीच बहस मंगलवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश जे के पांड्या के सामने पूरी हो गई.

बता दें कि 14 जून 2004 में इशरत जहां समेत तीन लोगों को मुठभेड़ में मार दिया गया था. कौसर ने पूर्व अधिकारियों की अर्जियों का विरोध किया. बहरहाल, गुजरात सरकार ने वंजारा और अमीन के खिलाफ अभियोजन चलाने की इजाजत नहीं दी है.

कौसर की याचिका में कहा गया है कि सीआरपीसी की धारा 197 के तहत लोक सेवक पर अभियोजन की मंजूरी की जरूरत होती है लेकिन यह इस मामले पर लागू नहीं होता है क्योंकि यह अपहरण, कैद रखने और हत्या का मामला है, जो लोक सेवक की आधिकारिक ड्यूटी के दायरे में नहीं आता है.

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ishrat jahan


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