नई दिल्ली : केंद्र सरकार की एक अधिसूचना से भारत में आधुनिक चिकित्सा के डॉक्टरों और आयुष वैज्ञानिकों के बीच रस्साकशी शुरू हो गई है. हाल ही में जारी केंद्र सरकार की अधिसूचना के अनुसार शल्य और शलाक्य (आयुर्वेद) से स्नातकोत्तर आयुर्वेद चिकित्सक सामान्य सर्जरी कर सकते हैं. अधिसूचना में कहा गया है कि अध्ययन की अवधि के दौरान शल्य और शलाक्य के पीजी विद्यार्थियों को सामान्य सर्जरी करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा. इससे पीजी की डिग्री पूरी होने के बाद शल्य और शलाक्य के पीजी विद्यार्थी स्वतंत्र रूप से सर्जरी करने में सक्षम हो सकेंगे.
सरकार की यह पहल लोगों के खिलाफ
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा ने मंगलवार को ईटीवी भारत से कहा कि सरकार की यह पहल भारत के लोगों के हित के खिलाफ है. यह लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा के खिलाफ काम करेगी. आयुर्वेद के विद्यार्थियों द्वारा सर्जरी संभव नहीं है. डॉ. शर्मा ने कहा कि मैं सरकार से जानना चाहता हूं कि एनेस्थीसिया के लिए कौन सी दवा का इस्तेमाल किया जाएगा?
सांसदों से मिलने की योजना
सर्जरी के बाद किस तरह के एंटी बायोटिक का इस्तेमाल किया जाएगा और कौन आयुर्वेद के विद्यार्थियों को सर्जरी सिखाएगा? उन्होंने कहा कि आईएमए की केंद्रीय कार्यकारी समिति 30 नवंबर को बैठक करेगी. आईएमए सरकार के इस कदम का विरोध करने वाले सांसदों से मिलने की योजना भी बना रही है. बैठक के बाद आईएमए की सभी 38 राज्य शाखाएं अपनी राज्य कार्यसमिति की बैठकें आयोजित करेंगी.
इस तरह बढ़ावा देना ठीक नहीं
डॉ. शर्मा ने कहा कि आयुष मंत्रालय को आयुष पर व्यापक शोध करना चाहिए. सरकार आयुष को बढ़ावा दे सकती है लेकिन इस तरह से नहीं. कोविड के समय में आयुष मंत्री सहित कई केंद्रीय मंत्री स्वयं आधुनिक चिकित्सा पद्धति से ठीक हुए. नीति आयोग आयुर्वेद, योग और यूनानी के साथ आधुनिक चिकित्सा का एकीकरण करने के लिए चार कमिटियां बनाने जा रही है.
चिकित्सा शिक्षा और अभ्यास का खिचड़ीकरण
हाल ही में, आयुष मंत्रालय ने एक स्पष्टीकरण जारी किया है और आधुनिक घटनाक्रम मानव जाति की एक सामान्य विरासत है. इसे आईएमए द्वारा अस्वीकार कर दिया गया था. आईएमए ने कहा कि यह और कुछ नहीं, चिकित्सा शिक्षा और अभ्यास के खिचड़ीकरण का एक कठोर प्रयास है. भारत के सभी 600 मेडिकल कॉलेज 2030 तक खिचड़ी चिकित्सा शिक्षा प्रणाली के डॉक्टरों को बाहर कर देंगे.
आईएमए का दावा आयुर्वेद वैज्ञानिकों ने किया खारिज
आईएमए का दावा आयुर्वेद वैज्ञानिकों द्वारा खारिज किया जा रहा है. ईटीवी भारत से आयुष वैज्ञानिक डॉ. वीके शाही ने कहा कि आईएमए ने जो आपत्ति उठाई है, वह बिल्कुल तर्कसंगत नहीं है. वर्तमान स्थिति में एकीकरण एक महत्वपूर्ण पहलू है. प्रधानमंत्री से लेकर नीति आयोग तक हर कोई भारत में डॉक्टरों के संकट को हल करना चाहता है और इसीलिए सरकार मेडिसिन की सभी प्रणालियों को एक करने की कोशिश कर रही है.
एकीकरण भारत के लोगों के पक्ष में होगा
डॉ. शाही ने कहा कि भारत में 7 लाख आयुष के डॉक्टरों को सभी प्रकार का प्रशिक्षण मिलता है. यदि आयुष डॉक्टरों को अधिक प्रशिक्षण के साथ मुख्यधारा में लाया जाता है, तो डॉक्टरों का कोई संकट नहीं होगा. उन्होंने कहा कि मेडिसिन की सभी प्रणालियों का एकीकरण भारत के लोगों के पक्ष में होगा. आयुष पीजी विद्यार्थियों को शरीर रचना, शरीर विज्ञान, दंत चिकित्सा, आर्थोपेडिक पर भी प्रशिक्षण मिलता है.