श्रीनगर : सुरक्षाबलों ने बुधवार को श्रीनगर के लाहपोरा में तीन आतंकवादियों को मुठभेड़ में मार गिराए जाने का दावा किया. मुठभेड़ मंगलवार शाम को शुरू हुई थी. हालांकि मारे गए आतंकियों के परिवार का दावा है कि उनके बेटे निर्दोष थे और एक फर्जी मुठभेड़ में मारे गए.
सुरक्षाबलों ने कहा कि मंगलवार शाम को उन्हें श्रीनगर-बारामुला के लाहपोरा में एक घर में आतंकवादियों के छिपे होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद उन्होंने इलाके को घेरकर कार्रवाई की.
जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) किलो फोर्स एचएस साहू ने बताया कि पिछले दस दिनों से हमारे पास क्षेत्र में आतंकवादियों के एक समूह की उपस्थिति के बारे में जानकारी थी. मंगलवार को, हमें सूचना मिली कि तीन आतंकवादी श्रीनगर-बारामुला राजमार्ग पर एचएमटी क्षेत्र में लाहपोरा के नूरा अस्पताल के ठीक सामने एक घर में छिपे हैं.
उन्होंने कहा कि सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था, आतंकियों ने ऐसा नहीं किया और सुरक्षाबलों पर गोलीबारी कर दी. सुरक्षाबलों ने भी जवाबी कार्रवाई की. यह मुठभेड़ बुधवार सुबह तक चली. इस दौरान भागने के सभी मार्गों को सील कर दिया गया था.
मंगलवार की शाम वाहनों के आवागमन को श्रीनगर-बारामूला राजमार्ग से मगम-बडगाम मार्ग के पास डायवर्ट किया गया और बुधवार को मुठभेड़ खत्म होने के बाद मार्ग को फिर से शुरू किया गया.
जीओसी ने कहा कि सेना के 2 आरआर, पुलिस और सीआरपीएफ के संयुक्त अभियान के दौरान तीन आतंकवादी मुठभेड़ में मारे गए. इस दौरान कोई भी जवान घायल नहीं हुआ.
विवाद तब बढ़ गया जब मारे गए तीनों आतंकियों के परिजनों को उनकी पहचान के लिए श्रीनगर में पुलिस नियंत्रण कक्ष में बुलाया गया. आतंकियों की पहचान एजाज मकबूल गनी, एथर मुश्ताक वानी और जुबैर अहमद लोन के रूप में हुई.
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एजाज मकबूल के रिश्तेदारों ने बताया कि वह मंगलवार को विश्वविद्यालय जाने के लिए निकला था, उसने हमें दोपहर 3 बजे फोन किया और कहा कि वह श्रीनगर में ही रुकने वाला है. फिर खबर मिली की वह मुठभेड़ में मारा गया है. परिजनों का कहना है कि वह निर्दोष है और उसके खिलाफ एफआईआर या कोई अन्य पुलिस केस दर्ज नहीं है. वह दो महीने से बीमार चल रहा था.
इस दौरान परिवारों ने विरोध किया और अपने बेटों की हत्या पर रोष व्यक्त किया. उन्होंने आरोप लगाया कि सुरक्षाबलों ने एक फर्जी मुठभेड़ में बेटों को मार दिया है.