नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने बुधवार को एक बार फिर साफ किया कि रेलवे के निजीकरण की उसकी कोई योजना नहीं है. लेकिन साथ ही यह भी कहा कि उसे बेहतर बनाने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) पर विचार किया जा रहा है.
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में कहा कि सरकार का रेलवे के निजीकरण का कोई विचार या प्रस्ताव नहीं है. उन्होंने बताया कि 2018 से 2030 तक रेलवे के बुनियादी ढांचे पर 50 लाख करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत है. इस निवेश के लिए पीपीपी के इस्तेमाल की योजना बनाई जा रही है. इसके तहत नेटवर्क का तेज विकास, चल संपत्ति का विनिर्माण और यात्री तथा मालवहन सेवा प्रदान करने की योजना है.
गोयल ने लोकसभा में प्रतापराव जाधव के प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि सिक्किम को छोड़कर भारत के सभी राज्य इस समय भारतीय रेल नेटवर्क के साथ जुड़े हुए हैं.
उन्होंने कहा कि भारतीय रेल नेटवर्क के साथ सिक्किम राज्य का संपर्क स्थापित करने के लिए सिवोक (पश्चिम बंगाल) से रंगपो (सिक्किम) तक 44 किलोमीटर लंबी नई लाइन के काम को 2008-09 के बजट में शामिल किया गया था एवं परियोजना की कुल लागत 4086 करोड़ रुपये है.
ये भी पढ़ें-'किसान रेल' की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए समिति गठित
गोयल ने लिखित उत्तर में कहा कि मार्च, 2019 तक 646 करोड़ रुपये खर्च किये गए. परियोजना पर काम शुरू कर दिया गया है और इसमें कड़ी निगरानी रखी जा रही है.