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स्विस बैंक के खाताधारकों पर बढ़ी सख्ती, 50 भारतीयों को मिलेगा नोटिस

स्विट्जरलैंड सरकार ने भारत सरकार के साथ हुए समझौते के तहत कुछ अघोषित खाते रखने वाले भारतीयों की जानकारी साझा की है. पढ़ें पूरी खबर....

स्विस बैंक ने भारत सरकार के साथ भारतीय खाताधारकों की जानकारी साझा की
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Published : Jun 16, 2019, 5:11 PM IST

नई दिल्लीः अपने बैंक के खाताधारकों की गोपनीयता को बनाए रखने के लिए फेमस स्विस बैंक ने अघोषित खाते रखने वाले भारतीयों के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. इस सिलसिले में स्विट्जरलैंड के अधिकारी कम से कम 50 भारतीय लोगों की बैंक संबंधी सूचनाएं भारतीय अधिकारियों को सौंपने की प्रक्रिया में लगे हैं.

ऐसे लोगों में ज्यादातर जमीन-जायदाद , वित्तीय सेवा, प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, पेंट, घरेलू साज-सज्जा, कपड़ा, इंजीनियरिंग सामान और रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के कारोबार से जुड़े कारोबारी और कंपनियां शामिल हैं. इनमें से कुछ डमी कंपनियां भी हो सकती हैं.

देशों के बीच आपसी प्रशासनिक सहायता की प्रक्रिया में शामिल दोनों देशों के अधिकारियों ने दी है.

स्विट्जरलैंड की सरकार ने कुछ वर्षों से अपने देश की छवि में सुधार किए हैं.

वह इस संबंध में समझौते के तहत विभिन्न देशों के साथ संदिग्ध व्यक्तियों संबंधी बैंकिंग सूचनाओं को साझा करने में की व्यवस्था में जुड़ गयी है.

हाल में स्विट्जरलैंड सरकार ने कुछ देशों के साथ सूचनाएं साझा करने की प्रक्रिया तेज कर दी है.

पिछले कुछ सप्ताह के दौरान भारत से संबंधित मामलों में सूचनाओं के आदान प्रदान की प्रक्रिया में अधिक तेजी आयी है.

बता दें भारत में कालेधन का मामला राजनीतिक तौर पर संवेदनशील है.

स्विट्जरलैंड के अधिकारियों ने मार्च से अब तक कम से कम 50 भारतीय खाताधारकों को नोटिस जारी किया है, साथ ही वहां की सरकार ने सूचना भारत सरकार को देने से पहले उन्हें अपील का एक अंतिम मौका दिया है.

गौरतलब है कि स्विटजरलैंड अपने बैंकों में खाते रखने वाले भारतीयों की गोपनीयता को बनाए रखने के लिए जाना जाता रहा है. साथ ही यह एक बड़ा वैश्विक वित्तीय केंद्र भी है, लेकिन यदि आज के समय की बात की जाए तो कर चोरी के मामले में वैश्विक स्तर पर समझौते के बाद गोपनीयता की यह दीवार अब नहीं रही.

पढ़ेंः आरटीजीएस, एनईएफटी लेनदेन पर आरबीआई ने शुल्क हटाया; बैंकों को देना होगा ग्राहकों को लाभ

आपको बता दें, स्विट्जरलैंड ने खाताधारकों की सूचनाओं को साझा करने को लेकर भारत सरकार के साथ समझौता किया है, ऐसे समझौते अन्य देशों के साथ भी किए गए हैं.

स्विट्जरलैंड सरकार ने गजट के द्वारा उपभोक्ताओं की कुछ जानकारियां साझा की हैं, जिसके तहत उपभोक्ताओं का पूरा नाम न बताकर सिर्फ नाम के शुरुआती अक्षर बताए हैं.

इसके अलावा उपभोक्ता की राष्ट्रीयता और जन्म तिथि का जिक्र किया गया है.

गजट के अनुसार, सिर्फ 21 मई को 11 भारतीयों को नोटिस जारी किये गये हैं.

जिन दो भारतीयों का पूरा नाम बताया गया है उनमें मई 1949 में पैदा हुए कृष्ण भगवान रामचंद और सितंबर 1972 में पैदा हुए कल्पेश हर्षद किनारीवाला शामिल हैं.

हालांकि, इनके बारे में अन्य जानकारियों का खुलासा नहीं किया गया है.

अन्य नामों में जिनके शुरुआती अक्षर बताये गये हैं उनमें 24 नवंबर 1944 को पैदा हुए एएसबीके, नौ जुलाई 1944 को पैदा हुए एबीकेआई, दो नवंबर 1983 को पैदा हुई श्रीमती पीएएस, 22 नवंबर 1973 को पैदा हुई श्रीमती आरएएस, 27 नवंबर 1944 को पैदा हुए एपीएस, 14 अगस्त 1949 को पैदा हुई श्रीमती एडीएस, 20 मई 1935 को पैदा हुए एमएलए, 21 फरवरी 1968 को पैदा हुए एनएमए और 27 जून 1973 को पैदा हुए एमएमए शामिल हैं.

इन नोटिसों में कहा गया है कि संबंधित ग्राहक या उनका कोई प्राधिकृत प्रतिनिधि आवश्यक दस्तावेजी सबूतों के साथ 30 दिनों के भीतर अपील करने के लिये उपस्थित हों.

नई दिल्लीः अपने बैंक के खाताधारकों की गोपनीयता को बनाए रखने के लिए फेमस स्विस बैंक ने अघोषित खाते रखने वाले भारतीयों के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. इस सिलसिले में स्विट्जरलैंड के अधिकारी कम से कम 50 भारतीय लोगों की बैंक संबंधी सूचनाएं भारतीय अधिकारियों को सौंपने की प्रक्रिया में लगे हैं.

ऐसे लोगों में ज्यादातर जमीन-जायदाद , वित्तीय सेवा, प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, पेंट, घरेलू साज-सज्जा, कपड़ा, इंजीनियरिंग सामान और रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के कारोबार से जुड़े कारोबारी और कंपनियां शामिल हैं. इनमें से कुछ डमी कंपनियां भी हो सकती हैं.

देशों के बीच आपसी प्रशासनिक सहायता की प्रक्रिया में शामिल दोनों देशों के अधिकारियों ने दी है.

स्विट्जरलैंड की सरकार ने कुछ वर्षों से अपने देश की छवि में सुधार किए हैं.

वह इस संबंध में समझौते के तहत विभिन्न देशों के साथ संदिग्ध व्यक्तियों संबंधी बैंकिंग सूचनाओं को साझा करने में की व्यवस्था में जुड़ गयी है.

हाल में स्विट्जरलैंड सरकार ने कुछ देशों के साथ सूचनाएं साझा करने की प्रक्रिया तेज कर दी है.

पिछले कुछ सप्ताह के दौरान भारत से संबंधित मामलों में सूचनाओं के आदान प्रदान की प्रक्रिया में अधिक तेजी आयी है.

बता दें भारत में कालेधन का मामला राजनीतिक तौर पर संवेदनशील है.

स्विट्जरलैंड के अधिकारियों ने मार्च से अब तक कम से कम 50 भारतीय खाताधारकों को नोटिस जारी किया है, साथ ही वहां की सरकार ने सूचना भारत सरकार को देने से पहले उन्हें अपील का एक अंतिम मौका दिया है.

गौरतलब है कि स्विटजरलैंड अपने बैंकों में खाते रखने वाले भारतीयों की गोपनीयता को बनाए रखने के लिए जाना जाता रहा है. साथ ही यह एक बड़ा वैश्विक वित्तीय केंद्र भी है, लेकिन यदि आज के समय की बात की जाए तो कर चोरी के मामले में वैश्विक स्तर पर समझौते के बाद गोपनीयता की यह दीवार अब नहीं रही.

पढ़ेंः आरटीजीएस, एनईएफटी लेनदेन पर आरबीआई ने शुल्क हटाया; बैंकों को देना होगा ग्राहकों को लाभ

आपको बता दें, स्विट्जरलैंड ने खाताधारकों की सूचनाओं को साझा करने को लेकर भारत सरकार के साथ समझौता किया है, ऐसे समझौते अन्य देशों के साथ भी किए गए हैं.

स्विट्जरलैंड सरकार ने गजट के द्वारा उपभोक्ताओं की कुछ जानकारियां साझा की हैं, जिसके तहत उपभोक्ताओं का पूरा नाम न बताकर सिर्फ नाम के शुरुआती अक्षर बताए हैं.

इसके अलावा उपभोक्ता की राष्ट्रीयता और जन्म तिथि का जिक्र किया गया है.

गजट के अनुसार, सिर्फ 21 मई को 11 भारतीयों को नोटिस जारी किये गये हैं.

जिन दो भारतीयों का पूरा नाम बताया गया है उनमें मई 1949 में पैदा हुए कृष्ण भगवान रामचंद और सितंबर 1972 में पैदा हुए कल्पेश हर्षद किनारीवाला शामिल हैं.

हालांकि, इनके बारे में अन्य जानकारियों का खुलासा नहीं किया गया है.

अन्य नामों में जिनके शुरुआती अक्षर बताये गये हैं उनमें 24 नवंबर 1944 को पैदा हुए एएसबीके, नौ जुलाई 1944 को पैदा हुए एबीकेआई, दो नवंबर 1983 को पैदा हुई श्रीमती पीएएस, 22 नवंबर 1973 को पैदा हुई श्रीमती आरएएस, 27 नवंबर 1944 को पैदा हुए एपीएस, 14 अगस्त 1949 को पैदा हुई श्रीमती एडीएस, 20 मई 1935 को पैदा हुए एमएलए, 21 फरवरी 1968 को पैदा हुए एनएमए और 27 जून 1973 को पैदा हुए एमएमए शामिल हैं.

इन नोटिसों में कहा गया है कि संबंधित ग्राहक या उनका कोई प्राधिकृत प्रतिनिधि आवश्यक दस्तावेजी सबूतों के साथ 30 दिनों के भीतर अपील करने के लिये उपस्थित हों.

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.BERNE/NEWDELHI FGN2
BIZ-SWISSBANKS-INDIA
Noose tightens on Swiss account holders; Details of at least 50 Indians being shared
          Berne/New Delhi, Jun 16 (PTI) Swiss authorities are in process of sharing details of at least 50 Indian nationals having accounts in Switzerland-based banks, with regulatory and enforcement agencies in the two countries tightening their noose on individuals suspected to have amassed illicit wealth.
          These individuals largely include businessmen associated with companies, including the dummy ones, in sectors ranging from real estate, financial services, technology and telecom to paints, home decoration, textiles, engineering goods, gems and jewellery.
          Officials involved in the process of mutual administrative assistance between the two countries said.
          Switzerland has been striving hard for the past few years to shed a long-standing perception of it being a safe haven for black money, while the issue has been a politically sensitive one in India as well.
          When the Modi government first came to power in 2014, it had termed the crackdown on the black money, including those allegedly parked in Swiss banks, as a key focus area. Since then, the two countries have strengthened their framework for the exchange of information in cases of financial wrongdoings, including by signing the global automatic exchange of information framework.
          The two countries have also strengthened their bilateral pact on this front and the economic considerations for boosting the bilateral economic ties have further helped increase the cooperation when it comes to bringing to book the people with dubious records, especially in amassing illicit wealth.
          Citing the federal gazette notifications issued by the Swiss government to the concerned individuals, the officials said at least 50 Indian nationals have been issued notices in the past few weeks giving them one final opportunity to appeal against proposed sharing of their details with the Indian authorities.
          Some of these notices have followed after the preliminary appeals by the concerned clients of Swiss banks have already been rejected due to inadequate supporting facts and documents, leaving a limited chance of their further pleas getting heard, officials said.
          They said the sharing of details of Indian clients of Swiss banks with dubious records, showing suspected illegalities in amassing of funds deposited there, has been a continuing process in the recent months.
          While details of more than 100 Indians nationals have been shared in the past one year by the Swiss government with the Indian authorities, there is a high chance that a large majority of the cases currently under scrutiny would result in the administrative assistance being provided in the coming months, officials said.
          Under the Swiss laws, foreign clients of Swiss banks are given an opportunity to appeal against proposed sharing of their details within 30 days (only 10 days in some cases) after a country with a mutual assistance treaty, or party to the multilateral information exchange framework, seeks the details while giving sufficient proof of suspected financial wrongdoings.
          While the Swiss government federal gazette notifications are made public when a foreign client is given an appeal opportunity, in some cases their full names are redacted due to some secrecy clauses and only a few details such as their initials, date of birth and the nationality are made public.
          An analysis of such weekly notifications issued since the beginning of this year shows that Indian nationals have figured among these notices virtually every week, though full names have been redacted in a majority of the cases.
          The full names that have been made public in recent weeks in the Swiss government federal gazette include Krishna Bhagwan Ramchand, Potluri Rajamohan Rao, Kalpesh Harshad Kinariwala, Kuldip Singh Dhingra, Bhaskaran Nalini, Lalitaben Chimanbhai Patel, Sanjay Dalmia, Pankaj Kumar Saraogi, Anil Bhardwaj, Tharani Renu Tikamdas, Mahesh Tikamdas Tharani, Savani Vijay Kanaiyalal, Bhaskaran Tharur, Kalpeshbhai Patel Mahendrabhai, Ajoy Kumar and Dinesh Kumar Himatsingka, Ratan Singh Chowdhury and Kathotia Rakesh Kumar.
          However, there are many more cases where only initials have been disclosed for Indian nationals and these include NMA, MMA, PAS, RAS, ABKI, APS, ASBK, MLA, ADS, RPN, MCS, JNV, JD, AD, UG, YA, DM, SLS, UL, SS, RN, VL, UL, OPL, PM, PKK, BLS, SKN and JKJ.
          Several of these persons and their companies are said to be based in Kolkata, Gujarat, Bengaluru, Delhi and Mumbai.
          While a large number of Indians have been issued notices in recent weeks with Switzerland stepping up its process to share details of such individuals, many more such notices are in the offing in coming weeks as India has sought details about a large number of Indian clients of Swiss banks who are suspected to have indulged in illicit financial activities.
          These include people whose names figured in the HSBC and Panama lists, as also those being probed by the Income Tax Department and the Enforcement Directorate among other agencies.
          While Switzerland has always denied being a safe haven for black money, it has begun sharing details in recent years with several countries including India after submission of evidence about financial and tax-related wrongdoings of the Swiss bank clients.
          Besides, a new global framework of automatic information exchange is now in place, which Switzerland's State Secretariat for International Finance (SIF) believes will increase transparency and prevent cross-border tax evasion. PTI BJ
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