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सुशील मोदी ने ममता और विजयन को CAA-NPR लागू नहीं करने की चुनौती दी

भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन को एनपीआर और सीएए को लेकर चुनौती दी है. जानें क्या कुछ कहा उन्होंने...

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सुशील कुमार मोदी
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Published : Jan 4, 2020, 10:30 PM IST

पटना : बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने पश्चिम बंगाल और केरल के मुख्यमंत्रियों क्रमश: ममता बनर्जी और पी विजयन को चुनौती दी कि वे संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) लागू नहीं करें, यदि वे ऐसा कर सकते हैं.

सुशील मोदी बिहार के उप मुख्यमंत्री भी हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के मुद्दे पर चर्चा करने का कोई सवाल नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि सरकार ने इस पर कभी चर्चा नहीं की.

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, 'एनपीआर और एनआरसी दो अलग अलग चीजें हैं.' उन्होंने कांग्रेस और राजद पर इसको लेकर और सीएए को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, 'पश्चिम बंगाल, केरल, राजस्थान सहित कोई भी राज्य सीएए या एनपीआर लागू करने से इनकार नहीं कर सकता क्योंकि केंद्र को नागरिकता को लेकर कानून लाने का अधिकार है. एनपीआर तैयार करना एक वैधानिक प्रावधान है और कोई भी राज्य इसे लागू करने से इनकार नहीं कर सकता.'

उन्होंने कहा, 'कोई भी मुख्यमंत्री सीएए और एनपीआर लागू करने से इनकार नहीं कर सकता, चाहे वह इनके विरोध में क्यों न हो. ना पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ना केरल के मुख्यमंत्री वी विजयन ही यह कह सकते हैं कि वे अपने राज्यों में एनपीआर लागू नहीं करेंगे. वे जनता के लिए कुछ भी कह सकते हैं. लेकिन वे सीएए और एनपीआर को ना नहीं कह सकते...पश्चिम बंगाल सहित प्रत्येक राज्य में जनगणना निदेशक की पहले ही नियुक्ति की जा चुकी है.'

एनपीआर तैयार करने की प्रक्रिया 2010 में संप्रग शासन के दौरान शुरू हुई थी जो उस वर्ष एक अप्रैल से 30 सितम्बर तक पूरी हुई.'

केंद्र 2010 के एनपीआर को 2021 में जनगणना के पहले 2020 में केवल 'अद्यतन' कर रहा है.

सुशील मोदी ने कहा कि देश में एनपीआर प्रक्रिया 2020 में एक अप्रैल से 30 सितम्बर तक चलायी जाएगी. बिहार में यह 15 मई और 28 मई 2020 के बीच होगी.

उन्होंने कहा कि यदि अधिकारियों ने एनपीआर करने से इनकार किया तो उनके खिलाफ प्रशासनिक एवं दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.

सुशील मोदी ने संवाददाता सम्मेलन शुरूआत में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम की एक आडियो वीडियो क्लिप चलायी जिसमें वह एनपीआर के समर्थन में बोल रहे हैं और जिसका उद्देश्य निवास कार्ड जारी करना है जो अंतत: नागरिकता कार्ड की ओर बढ़ेगा.

एक ही सिक्के के दो पहलू हैं NRC और CAA : पी चिदंबरम

उपमुख्यमंत्री ने संतोष जताया कि हिंसा की कोई बड़ी घटना नहीं हुई क्योंकि लोग, विशेष तौर पर मुस्लिम समझे कि सीएए किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है.

यह पूछे जाने पर कि क्या प्रतिवादियों को एनपीआर में अपने अभिभावकों के जन्मस्थान और जन्मतिथि का खुलासा करना होगा, सुशील मोदी ने कहा कि इसके लिए कोई अनिवार्य प्रावधान नहीं है.

उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि प्रतिवादियों से जन्म प्रमाणपत्र, भूमि दस्तावेज जैसे कोई दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे.

एक सवाल के जवाब में सुशील मोदी ने जनगणना 2021 में जाति कॉलम जोड़े जाने का पक्ष लिया और कहा कि वह इसके लिए केंद्र सरकार से अनुरोध करेंगे क्योंकि राज्य विधानमंडल ने इस संबंध में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इस बयान को लेकर पूछे गए सवाल पर कि 2024 तक पूरे देश में एनआरसी लागू की जाएगी, उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री के यह कहने के बाद किसी के भी बयान का कोई मतलब नहीं कि सरकार ने इस पर कभी चर्चा नहीं की है.'

पटना : बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने पश्चिम बंगाल और केरल के मुख्यमंत्रियों क्रमश: ममता बनर्जी और पी विजयन को चुनौती दी कि वे संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) लागू नहीं करें, यदि वे ऐसा कर सकते हैं.

सुशील मोदी बिहार के उप मुख्यमंत्री भी हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के मुद्दे पर चर्चा करने का कोई सवाल नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि सरकार ने इस पर कभी चर्चा नहीं की.

उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, 'एनपीआर और एनआरसी दो अलग अलग चीजें हैं.' उन्होंने कांग्रेस और राजद पर इसको लेकर और सीएए को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, 'पश्चिम बंगाल, केरल, राजस्थान सहित कोई भी राज्य सीएए या एनपीआर लागू करने से इनकार नहीं कर सकता क्योंकि केंद्र को नागरिकता को लेकर कानून लाने का अधिकार है. एनपीआर तैयार करना एक वैधानिक प्रावधान है और कोई भी राज्य इसे लागू करने से इनकार नहीं कर सकता.'

उन्होंने कहा, 'कोई भी मुख्यमंत्री सीएए और एनपीआर लागू करने से इनकार नहीं कर सकता, चाहे वह इनके विरोध में क्यों न हो. ना पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ना केरल के मुख्यमंत्री वी विजयन ही यह कह सकते हैं कि वे अपने राज्यों में एनपीआर लागू नहीं करेंगे. वे जनता के लिए कुछ भी कह सकते हैं. लेकिन वे सीएए और एनपीआर को ना नहीं कह सकते...पश्चिम बंगाल सहित प्रत्येक राज्य में जनगणना निदेशक की पहले ही नियुक्ति की जा चुकी है.'

एनपीआर तैयार करने की प्रक्रिया 2010 में संप्रग शासन के दौरान शुरू हुई थी जो उस वर्ष एक अप्रैल से 30 सितम्बर तक पूरी हुई.'

केंद्र 2010 के एनपीआर को 2021 में जनगणना के पहले 2020 में केवल 'अद्यतन' कर रहा है.

सुशील मोदी ने कहा कि देश में एनपीआर प्रक्रिया 2020 में एक अप्रैल से 30 सितम्बर तक चलायी जाएगी. बिहार में यह 15 मई और 28 मई 2020 के बीच होगी.

उन्होंने कहा कि यदि अधिकारियों ने एनपीआर करने से इनकार किया तो उनके खिलाफ प्रशासनिक एवं दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.

सुशील मोदी ने संवाददाता सम्मेलन शुरूआत में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम की एक आडियो वीडियो क्लिप चलायी जिसमें वह एनपीआर के समर्थन में बोल रहे हैं और जिसका उद्देश्य निवास कार्ड जारी करना है जो अंतत: नागरिकता कार्ड की ओर बढ़ेगा.

एक ही सिक्के के दो पहलू हैं NRC और CAA : पी चिदंबरम

उपमुख्यमंत्री ने संतोष जताया कि हिंसा की कोई बड़ी घटना नहीं हुई क्योंकि लोग, विशेष तौर पर मुस्लिम समझे कि सीएए किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है.

यह पूछे जाने पर कि क्या प्रतिवादियों को एनपीआर में अपने अभिभावकों के जन्मस्थान और जन्मतिथि का खुलासा करना होगा, सुशील मोदी ने कहा कि इसके लिए कोई अनिवार्य प्रावधान नहीं है.

उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि प्रतिवादियों से जन्म प्रमाणपत्र, भूमि दस्तावेज जैसे कोई दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे.

एक सवाल के जवाब में सुशील मोदी ने जनगणना 2021 में जाति कॉलम जोड़े जाने का पक्ष लिया और कहा कि वह इसके लिए केंद्र सरकार से अनुरोध करेंगे क्योंकि राज्य विधानमंडल ने इस संबंध में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इस बयान को लेकर पूछे गए सवाल पर कि 2024 तक पूरे देश में एनआरसी लागू की जाएगी, उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री के यह कहने के बाद किसी के भी बयान का कोई मतलब नहीं कि सरकार ने इस पर कभी चर्चा नहीं की है.'

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 20:47 HRS IST




             
  • सुशील मोदी ने प.बंगाल, केरल के मुख्यमंत्रियों को सीएए, एनपीआर लागू नहीं करने की चुनौती दी



पटना, चार जनवरी (भाषा) बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने शनिवार को पश्चिम बंगाल और केरल के मुख्यमंत्रियों क्रमश: ममता बनर्जी और पी विजयन को चुनौती दी कि वे संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) लागू नहीं करें, यदि वे ऐसा कर सकते हैं।



सुशील मोदी बिहार के उप मुख्यमंत्री भी हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के मुद्दे पर चर्चा करने का कोई सवाल नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि सरकार ने इस पर कभी चर्चा नहीं की।



उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘एनपीआर और एनआरसी दो अलग अलग चीजें हैं।’’ उन्होंने कांग्रेस और राजद पर इसको लेकर और सीएए को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया।



उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल, केरल, राजस्थान सहित कोई भी राज्य सीएए या एनपीआर लागू करने से इनकार नहीं कर सकता क्योंकि केंद्र को नागरिकता को लेकर कानून लाने का अधिकार है। एनपीआर तैयार करना एक वैधानिक प्रावधान है और कोई भी राज्य इसे लागू करने से इनकार नहीं कर सकता।’’



उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी मुख्यमंत्री सीएए और एनपीआर लागू करने से इनकार नहीं कर सकता, चाहे वह इनके विरोध में क्यों न हो। ना पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ना केरल के मुख्यमंत्री वी विजयन ही यह कह सकते हैं कि वे अपने राज्यों में एनपीआर लागू नहीं करेंगे। वे जनता के लिए कुछ भी कह सकते हैं। लेकिन वे सीएए और एनपीआर को ना नहीं कह सकते...पश्चिम बंगाल सहित प्रत्येक राज्य में जनगणना निदेशक की पहले ही नियुक्ति की जा चुकी है।’’



एनपीआर तैयार करने की प्रक्रिया 2010 में संप्रग शासन के दौरान शुरू हुई थी जो उस वर्ष एक अप्रैल से 30 सितम्बर तक पूरी हुई।’’



केंद्र 2010 के एनपीआर को 2021 में जनगणना के पहले 2020 में केवल ‘‘अद्यतन’’ कर रहा है।



सुशील मोदी ने कहा कि देश में एनपीआर प्रक्रिया 2020 में एक अप्रैल से 30 सितम्बर तक चलायी जाएगी। बिहार में यह 15 मई और 28 मई 2020 के बीच होगी।



उन्होंने कहा कि यदि अधिकारियों ने एनपीआर करने से इनकार किया तो उनके खिलाफ प्रशासनिक एवं दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।



सुशील मोदी ने संवाददाता सम्मेलन शुरूआत में पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम की एक आडियो वीडियो क्लिप चलायी जिसमें वह एनपीआर के समर्थन में बोल रहे हैं और जिसका उद्देश्य निवास कार्ड जारी करना है जो अंतत: नागरिकता कार्ड की ओर बढ़ेगा।



उपमुख्यमंत्री ने संतोष जताया कि हिंसा की कोई बड़ी घटना नहीं हुई क्योंकि लोग, विशेष तौर पर मुस्लिम समझे कि सीएए किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है।



यह पूछे जाने पर कि क्या प्रतिवादियों को एनपीआर में अपने अभिभावकों के जन्मस्थान और जन्मतिथि का खुलासा करना होगा, सुशील मोदी ने कहा कि इसके लिए कोई अनिवार्य प्रावधान नहीं है।



उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि प्रतिवादियों से जन्म प्रमाणपत्र, भूमि दस्तावेज जैसे कोई दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे।



एक सवाल के जवाब में सुशील मोदी ने जनगणना 2021 में जाति कॉलम जोड़े जाने का पक्ष लिया और कहा कि वह इसके लिए केंद्र सरकार से अनुरोध करेंगे क्योंकि राज्य विधानमंडल ने इस संबंध में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है।



केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इस बयान को लेकर पूछे गए सवाल पर कि 2024 तक पूरे देश में एनआरसी लागू की जाएगी, उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के यह कहने के बाद किसी के भी बयान का कोई मतलब नहीं कि सरकार ने इस पर कभी चर्चा नहीं की है।’’


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