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सुप्रीम कोर्ट ने ईमेल, फैक्स, इन्स्टेंट मैसेजिंग ऐप के उपयोग की अनुमति दी

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मौजूदा कोविड-19 के हालात को देखते हुए न्यायिक कार्यवाही में प्रौद्योगिकी का और अधिक उपयोग करने का फैसला किया और निर्देश दिया कि अब अदालत के सम्मन तथा नोटिस लोगों को ईमेल, फैक्स और वाट्सएप जैसे एप्लीकेशन के माध्यम से भेजे जा सकते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 11, 2020, 10:27 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मौजूदा कोविड-19 के हालात को देखते हुए न्यायिक कार्यवाही में प्रौद्योगिकी का और अधिक उपयोग करने का फैसला किया और निर्देश दिया कि अब अदालत के सम्मन तथा नोटिस लोगों को 'ईमेल, फैक्स और वाट्सएप जैसे एप्लीकेशन' के माध्यम से भेजे जा सकते हैं.

शीर्ष अदालत ने इससे पहले वकीलों और वादियों को लॉकडाउन के दौरान आ रही मुश्किलों का स्वत: संज्ञान लिया था और मध्यस्थता कार्यवाही शुरू करने तथा चैक बाउंस होने के मामलों के लिए कानून के तहत निर्दिष्ट समयसीमा की अवधि 15 मार्च से अगले आदेश तक बढ़ाने का फैसला किया था.

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी तथा न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने मामले में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की याचिका पर आदेश जारी किया.

पीठ ने कहा, 'नोटिस और सम्मन जारी करने में देखा गया है कि लॉकडाउन के दौरान डाकघरों में जाना संभव नहीं है. हम निर्देश देते हैं कि इस तरह की सेवाएं ईमेल, फैक्स या इन्स्टेंट मैसेंजर सर्विस के माध्यम से की जा सकती हैं.'

हालांकि पीठ ने आदेश में वाट्सएप का नाम नहीं लिया.

पीठ ने जिरोक्स का उदाहरण दिया और कहा कि कंपनी के नाम का इस्तेमाल ‘फोटो स्टेट’ के लिए किया जाता रहा है.

पढ़ें - सुप्रीम कोर्ट का स्कूल फीस बढ़ाए जाने की याचिका पर सुनवाई से इनकार

शीर्ष अदालत ने वेणुगोपाल की इन आशंकाओं का निराकरण किया कि वह वाट्सएप से सम्मन और नोटिस भेजने में सहज महसूस नहीं करते.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मौजूदा कोविड-19 के हालात को देखते हुए न्यायिक कार्यवाही में प्रौद्योगिकी का और अधिक उपयोग करने का फैसला किया और निर्देश दिया कि अब अदालत के सम्मन तथा नोटिस लोगों को 'ईमेल, फैक्स और वाट्सएप जैसे एप्लीकेशन' के माध्यम से भेजे जा सकते हैं.

शीर्ष अदालत ने इससे पहले वकीलों और वादियों को लॉकडाउन के दौरान आ रही मुश्किलों का स्वत: संज्ञान लिया था और मध्यस्थता कार्यवाही शुरू करने तथा चैक बाउंस होने के मामलों के लिए कानून के तहत निर्दिष्ट समयसीमा की अवधि 15 मार्च से अगले आदेश तक बढ़ाने का फैसला किया था.

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी तथा न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने मामले में अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की याचिका पर आदेश जारी किया.

पीठ ने कहा, 'नोटिस और सम्मन जारी करने में देखा गया है कि लॉकडाउन के दौरान डाकघरों में जाना संभव नहीं है. हम निर्देश देते हैं कि इस तरह की सेवाएं ईमेल, फैक्स या इन्स्टेंट मैसेंजर सर्विस के माध्यम से की जा सकती हैं.'

हालांकि पीठ ने आदेश में वाट्सएप का नाम नहीं लिया.

पीठ ने जिरोक्स का उदाहरण दिया और कहा कि कंपनी के नाम का इस्तेमाल ‘फोटो स्टेट’ के लिए किया जाता रहा है.

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शीर्ष अदालत ने वेणुगोपाल की इन आशंकाओं का निराकरण किया कि वह वाट्सएप से सम्मन और नोटिस भेजने में सहज महसूस नहीं करते.

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