नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि तबलीगी जमात के विदेशी सदस्य अब तक भारत में क्यों हैं जबकि उनका वीजा रद्द कर दिए गए हैं. कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या विदेशियों को ब्लैकलिस्ट करने और उनके वीजा रद्द करने या सामान्य रूप से प्रत्येक को आदेश भेजे जाने पर कोई सामान्य निर्देश पारित किया गया था. कोर्ट ने केंद्र को दो जुलाई तक जवाब दाखिल करने को कहा है.
न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर की अगुआई वाली पीठ दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात कार्यक्रम में भाग लेने आए विदेशी नागरिकों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. वह कार्यक्रम ही कथित तौर पर देश में कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी का कारण बना. सरकार के मुताबिक विदेशी तबलीगियों ने लॉकडाउन के मापदंडों का उल्लंघन किया, इसलिए उन्हें ब्लैकलिस्ट कर उनके वीजा रद्द कर दिए गए.
तबलीगी जमात के सदस्यों ने याचिका में खुद पर से ब्लैकलिस्ट हटाने और स्वदेश लौटने की सुविधा देने की मांग की है. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि वीजा रद्द करने और उन्हें ब्लैकलिस्ट करने की कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई. साथ ही उन्हें सुनवाई का मौका भी नहीं दिया गया था.
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अधिवक्ता सीयू सिंह ने अदालत को बताया कि वीजा रद्द करने और विदेशी नागरिक को ब्लैकलिस्ट करने का कोई आदेश नहीं है. बस उनके पासपोर्ट जब्त किए गए हैं. आगे उन्होंने कहा कि 900 लोगों को ब्लैकलिस्ट करना एक सामान्य प्रक्रिया थी. सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि यदि विदेशी तबलीगियों के वीजा रद्द कर दिए गए हैं, तो रद्द करने के आदेश और भारत में उनके रहने के बारे में अदालत को सूचित करना चाहिए.