हैदराबाद : भारत में 2018 के मुकाबले 2019 में आत्महत्या के मामलों में वृद्धि देखने को मिली है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 2019 में भारत में 1,39,123 आत्महत्याएं हुईं, जबकि 2018 में 1,34,516 आत्महत्या के मामले सामने आए थे.
आंकड़ों के मुताबिक, भारत में आत्महत्या दर (10.4) की तुलना में शहरों में आत्महत्या दर (13.9) अधिक था.
परिवारिक समस्या (शादी से संबंधित समस्याओं के अलावा) (32.4%), विवाह संबंधी समस्या (5.5%) और बीमारी (17.1%) के कारण वर्ष 2019 में देश में कुल 55 प्रतिशत मामले आत्महत्याओं के हैं.
पुरुष और महिला आत्महत्या का अनुपात 70.2: 29.8 था.
आत्महत्या करने वाले लगभग 68.4 प्रतिशत पुरुष विवाहित थे, जबकि महिला पीड़ितों में 62.5 प्रतिशत विवाहित थीं.
आत्महत्या करने वालों में से 12.6 प्रतिशत अशिक्षित (illiterate) थे, 16.3 प्रतिशत प्राथमिक स्तर तक शिक्षित थे, 19.6 प्रतिशत मध्यम स्तर तक शिक्षित थे और 23.3 प्रतिशत हाईस्कूल तक शिक्षित थे. कुल आत्महत्या करने वालों में से केवल 3.7 प्रतिशत स्नातक और उससे अधिक शिक्षित थे.
53.6 प्रतिशत लोगों ने फांसी लगाकर आत्महत्या की, 25.8 प्रतिशत ने जहर खाकर, 5.2 प्रतिशत ने पानी में डूब कर और 3.8 प्रतिशत ने हथियार के जरिए आत्महत्या की.
2019 में सामूहिक या परिवार सहित आत्महत्या के सबसे अधिक मामले में तमिलनाडु (16) में दर्ज किए गए. इसके बाद आंध्र प्रदेश (14), केरल (11), पंजाब (9) और राजस्थान (7) नंबर आता है.
2019 में 116 कैदियों ने आत्महत्या की, उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या सबसे अधिक (20) दर्ज की गई. इसके बाद पंजाब (13) और पश्चिम बंगाल (11) का नंबर आता है.
किसानों की आत्महत्याएं
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2019 में 42,480 किसानों और दिहाड़ी मजदूरों ने आत्महत्या की, जोकि साल 2018 के मुकाबले करीब छह प्रतिशत अधिक है. हालांकि, किसानों की आत्महत्या के मामलों में मामूली गिरावट आई है, जबकि दिहाड़ी मजदूरों के आत्महत्या के मामले करीब आठ प्रतिशत बढ़ गए हैं.
आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में कृषि क्षेत्र से जुड़े 10,281 लोगों (जिसमें 5,957 किसान और 4,324 खेतिहर मजदूर शामिल हैं) ने आत्महत्या की. यह संख्या देश में 2019 के आत्महत्या के कुल 1,39,123 मामलों का 7.4 प्रतिशत है. इससे पहले 2018 में खेती किसानी करने वाले कुल 10,357 लोगों ने आत्महत्या की थी. यह संख्या उस साल के कुल आत्महत्या के मामलों का 7.7 प्रतिशत था. वहीं, 2019 में दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या के मामले बढ़कर 32,559 हो गए, जबकि 2018 में यह आंकड़ा 30,132 था.
वर्ष 2019 में आत्महत्या करने वाले 5,957 किसानों में से 5,563 पुरुष और 394 महिलाएं थीं. वहीं वर्ष के दौरान आत्महत्या करने वाले कुल 4,324 खेतिहर मजदूरों में से, 3,749 पुरुष और 575 महिलाएं थीं.
आंकड़ों के मुताबिक आत्महत्या करने वाले सबसे ज्यादा किसान महाराष्ट्र (38.2 प्रतिशत), कर्नाटक (19.4 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (10 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (5.3 प्रतिशत) और तेलंगाना (4.9 प्रतिशत) से हैं.
2019 में पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तराखंड, मणिपुर, चंडीगढ़, दमन-दीव, दिल्ली, लक्षद्वीप और पुदुचेरी जैसे राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में किसानों और कृषि श्रमिकों की आत्महत्या के कोई मामले सामने नहीं आए.
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में आत्महत्याएं
केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली में सबसे अधिक आत्महत्या के मामले (2,526) दर्ज किए गए, इसके बाद पुडुचेरी (493) का नंबर आता है. अन्य केंद्र शासित प्रदेशों में देश में आत्महत्या के कुल मामलों में से 2.2% केस सामने आए. 2019 में देश के 53 बड़े शहरों में 22,390 आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए.
2019 में लिंग और आयु वर्ग द्वारा आत्महत्याएं
केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) में दुर्घटनाएं और आत्महत्याएं
- 2019 में विभिन्न घटनाओं में सीएपीएफ के 104 कर्मियों को जान गंवानी पड़ी.
- सीएपीएफ में 59.6% मौतें अन्य कारणों से हुईं, जबकि 23.1% मौतें सड़क और रेल दुर्घटनाओं के कारण हुईं.
- साल 2019 में सीएपीएफ के कुल 36 कर्मियों ने आत्महत्या की.
- सीएपीएफ कर्मियों द्वारा की गई कुल आत्महत्याओं में से 38.9% पारिवारिक समस्या के कारण हुईं.
- राजस्थान में पांच आत्महत्याएं, तमिलनाडु में चार, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर नगालैंड, त्रिपुरा और दिल्ली में तीन-तीन आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए.
साल 2019 में सीएपीएफ कर्मियों की आत्महत्या के कारण
- 38.9% (14) आत्महत्याएं पारिवारिक समस्याओं के कारण हुईं.
- कुल तीन आत्महत्याएं सेवा संबंधी मुद्दे के कारण हुईं.