नई दिल्ली : महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बावजूद सियासी उठापटक लगातार जारी है. कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना सरकार बनाने के लिए अपनी पूरी कोशिशों में लगे हुए है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस और एनसीपी के हिस्से में 2.5 साल को ले कर दोनों पार्टियों में चर्चा होनी है, जिसके चलते जल्द ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एनसीपी चीफ शरद पवार से मुलाकात कर सकती हैं.
इस मुलाकात में महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार को लेकर अंतिम मसौदा तैयार हो सकता है. बताया जा रहा है कि बहुत जल्द कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल एनसीपी और शिवसेना से हुई चर्चा की रिपोर्ट सोनिया गांधी के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं.
माना जा रहा था कि शिवसेना को समर्थन देने के मामले में कांग्रेस पार्टी दो टुकड़ों में विभाजित हो चुकी है, जिसमें से एक तबका ऐसा भी है जो दोनों पार्टियों में विचारधाराओं का अंतर होने के कारण इस गठबंधन के समर्थन में नहीं है. शिवसेना से हाथ मिलाने के कारण ना सिर्फ महाराष्ट्र में बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी कांग्रेस के लिए इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ सकता है.
इन्हीं मुद्दों को ध्यान में रखते हुए गठबंधन से पहले कांग्रेस की तरफ से यह बात साफ कर दी गई है कि कोई भी फैसला लेने से पहले कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के साथ-साथ शिवसेना के मेनिफेस्टो के बारे में भी चर्चा की जाएगी. विचारधाराओं में अंतर होने के कारण कांग्रेस पार्टी शिवसेना के रुख का अभी भी इंतजार कर रही है, जिससे धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर शिवसेना की तरफ से स्पष्टता हो सके.
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कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो एनसीपी के साथ चर्चा होने के बाद ही कांग्रेस तय कर पाएगी कि महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार को पार्टी बाहर से समर्थन देगी या अंदर से. यही कारण है कि सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं करना चाहती है.