नई दिल्ली : देश में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामले और लॉकडाउन के बावजूद स्थिति नियंत्रित नहीं हो सकने पर केंद्र सरकार को लगातार विपक्ष की आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. लॉकडाउन की शुरुआत में जहां कुल कोरोना मरीजों की संख्या 566 थी, वहीं अब लॉकडाउन के तीसरे चरण और 42वें दिन में यह संख्या 70760 के ऊपर पहुंच गई है.
दरअसल प्रधानमंत्री ने जब लॉकडाउन की घोषणा की थी तब भारत में कोरोना की वजह से मौत की कुल संख्या केवल 10 थी, जो अब तक बढ़कर 2095 हो चुकी है.
इस पूरे मसले पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने आज फिर मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने जिम्मेदारी के साथ और वैज्ञानिक तरीके से काम किया होता तो हम बेहतर कर सकते थे.
हमने लगातार प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और वित्त मंत्री को पत्र लिखे और अपनी तरफ से इस परिस्थिति में अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के उपाय भी सुझाए, लेकिन हमारी तमाम बातों को सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया और हमारे पत्रों का कभी कोई जवाब नहीं दिया गया.
येचुरी ने आज लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मीडिया को संबोधित करते हुए मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह महामारी के बहाने देश की राजनीतिक व्यवस्था का केन्द्रीकरण कर रही है.
कल प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा की, जिनमें से कई ने आर्थिक पैकेज की मांग रखी और कई मुख्यमंत्रियों की ये भी शिकायत रही है कि लॉकडाउन से पहले उनके साथ कोई संवाद नहीं हुआ. अब सरकार उनकी तमाम मांगों को नजरअंदाज कर रही है और एकतरफा निर्णय ले कर राज्यों पर थोप रही है.
बकौल येचुरी, 'कोरोना महामारी से लड़ाई के नाम पर प्रधानमंत्री द्वारा बनाये गए पीएम केयर्स फंड पर येचुरी ने सवाल उठाते हुए कहा है कि इस फंड के माध्यम से हजारों करोड़ वसूले गए हैं तो इन्हें राज्यों को क्यों नहीं दिया जा रहा? एक प्राइवेट ट्रस्ट के माध्यम से दान के रूप में हजारों करोड़ वसूले जा रहे हैं और इसमें बड़ी राशी दान करने वाले वही लोग हैं जो लॉकडाउन के दौरान अपनी कंपनियों में से सैकड़ों लोगों को नौकरी से निकाल रहे हैं. अब तक लॉकडाउन में 14 करोड़ लोग बेरोजगार हो चुके हैं.'
प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर बोलते हुए येचुरी ने कहा कि 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा था कि कोई प्रवासी मजदूर सड़कों पर नहीं है लेकिन आज हजारों प्रवासी मजदूर सड़कों पर हैं. अब केंद्र सरकार को जवाब देना चाहिये कि क्यों उनकी व्यवस्था नहीं कर पाई.
प्रवासी मजदूरों की सड़क दुर्घटना और अन्य कारणों से हुई मौत पर ईटीवी भारत के सवाल का जवाब देते हुए वामपंथी नेता ने कहा कि ये मौतें मजदूरों ने खुद नहीं चुनी थी, बल्कि जब सरकार ने उनसे किनारा कर लिया तब उनके पास और कोई चारा नहीं था और वह जैसे भी हो सका अपने घर के लिए निकल पड़े. जिनकी भी इस दौरान मृत्यु हुई है उनको जरूर मुआवजा मिलना चाहिये.
केंद्र सरकार को नसीहत देते हुए येचुरी ने कहा है कि इस संकट के समय में सरकार का ध्यान सिर्फ महामारी से लड़ने में होना चाहिए न कि राजनीति और ध्रुवीकरण पर.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ से मांगों को एक बार फिर दोहराते हुए सभी गैर टैक्स पेयर्स को हर माह 7500 रुपये की आर्थिक मदद और देश के हर जरूरतमंद व्यक्ति को महीने में 10 किलो राशन अगले छः महीने तक सरकार की तरफ से दिए जाने की बात सीताराम येचुरी ने कही है.
वहीं मजदूरों को घर पहुंचाने की बात पर सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार को निःशुल्क उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था करनी चाहिए. श्रम कानून में राज्यों द्वारा बदलाव पर कड़ी आपत्ती जताते हुए येचुरी ने कहा है कि बिल्कुल स्वीकार्य नहीं होगा और इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी.