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महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की पटकथा पहले ही तैयार थी : शिवसेना - सामना

शिवसेना के सामना मराठी पत्र में कहा गया है कि राज्यपाल ने 13वीं विधानसभा खत्म होने का इंतजार किया. अगर उन्होंने पहले महाराष्ट्र में सरकार गठन की प्रक्रिया शुरू की होती तो राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने का उनका कदम 'नैतिक रूप से सही' प्रतीत होता. यह भी आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की 'पटकथा पहले ही लिख' दी गयी थी. जानें विस्तार से...

शिवसेना
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Published : Nov 14, 2019, 12:46 PM IST

मुंबई : शिवसेना ने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की 'पटकथा पहले ही लिख' दी गयी थी. उन्होंने राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने अब पार्टियों को सरकार बनाने के लिए छह महीने का समय दे दिया है.

पार्टी ने यह भी कहा कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस राष्ट्रपति शासन लगाए जाने पर 'मगरमच्छ के आंसू' बहा रहे हैं क्योंकि सत्ता अब भी परोक्ष रूप से भाजपा के हाथ में ही है.

शिवसेना को सरकार बनाने का दावा जताने के लिए महज 24 घंटे का वक्त दिए जाने तथा अतिरिक्त समय दिए जाने से इनकार करने पर राज्यपाल की आलोचना करते हुए शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में संपादकीय में कहा, 'ऐसा लग रहा है कि कोई अदृश्य शक्ति इस खेल को नियंत्रित कर रही है और उसके अनुसार फैसले लिए गए.'

बता दें कि महाराष्ट्र में राजनीतिक गतिरोध के बीच मंगलवार शाम को राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने केन्द्र को भेजी गयी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मौजूदा हालात में राज्य में स्थिर सरकार के गठन के उनके तमाम प्रयासों के बावजूद यह असंभव प्रतीत हो रहा है.

इसे भी पढे़- महाराष्ट्र: भाजपा अपने विधायकों और पदाधिकारियों की बैठक बुलाएगी

राज्यपाल को कोसा

शिवसेना ने आरोप लगाया कि जब वह सरकार गठन के लिए दावा जताने के वास्ते और समय मांगने राज भवन गयी तो प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया.

मराठी पत्र में कहा गया है कि राज्यपाल ने 13वीं विधानसभा खत्म होने का इंतजार किया. अगर उन्होंने पहले सरकार गठन की प्रक्रिया शुरू की होती तो राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने का उनका कदम 'नैतिक रूप से सही' प्रतीत होता.

शिवसेना ने तंज किया, 'राज्यपाल इतने दयालु हैं कि उन्होंने अब हमें छह महीने का वक्त दिया है.'

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन लगाने की पटकथा पहले ही तैयार थी. यह पहले ही तय था.

उसने कहा कि राज्यपाल पहले आरएसएस कार्यकर्ता थे और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं लेकिन महाराष्ट्र भूगोल और इतिहास की दृष्टि से बड़ा राज्य है.

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा, 'जब राज्यपाल ने सरकार गठन का दावा जताने के लिए 48 घंटे का समय देने से इनकार कर दिया तब लोगों को लगा कि जिस तरह से वह काम कर रहे हैं उसमें कुछ तो गलत है.'

इसे भी पढे़- महाराष्ट्र राजनीतिक संकट पर बोले शाह - 'हमें मंजूर नहीं शिवसेना की नई मांगें'

'फड़णवीस मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं'

शिवसेना ने कहा कि राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद फड़णवीस ने इसे 'दुर्भाग्यपूर्ण' घटना बताया है.

संपादकीय में कहा गया है कि अगर फड़णवीस ने राष्ट्रपति शासन के फैसले की निंदा की होती तो यह कहा जा सकता था कि उनके इरादे नेक हैं.

'सामना' में कहा गया है, 'पूर्व मुख्यमंत्री ने चिंता जतायी कि क्या राष्ट्रपति शासन से महाराष्ट्र में निवेश पर असर पड़ेगा. फड़णवीस मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं. अगर कोई राज्य में राष्ट्रपति शासन पर मगरमच्छ के आंसू बहा रहा है तो यह तमाशा है.'

इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भी सत्ता परोक्ष रूप से भाजपा के हाथों में है.

मुंबई : शिवसेना ने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की 'पटकथा पहले ही लिख' दी गयी थी. उन्होंने राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने अब पार्टियों को सरकार बनाने के लिए छह महीने का समय दे दिया है.

पार्टी ने यह भी कहा कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस राष्ट्रपति शासन लगाए जाने पर 'मगरमच्छ के आंसू' बहा रहे हैं क्योंकि सत्ता अब भी परोक्ष रूप से भाजपा के हाथ में ही है.

शिवसेना को सरकार बनाने का दावा जताने के लिए महज 24 घंटे का वक्त दिए जाने तथा अतिरिक्त समय दिए जाने से इनकार करने पर राज्यपाल की आलोचना करते हुए शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में संपादकीय में कहा, 'ऐसा लग रहा है कि कोई अदृश्य शक्ति इस खेल को नियंत्रित कर रही है और उसके अनुसार फैसले लिए गए.'

बता दें कि महाराष्ट्र में राजनीतिक गतिरोध के बीच मंगलवार शाम को राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने केन्द्र को भेजी गयी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मौजूदा हालात में राज्य में स्थिर सरकार के गठन के उनके तमाम प्रयासों के बावजूद यह असंभव प्रतीत हो रहा है.

इसे भी पढे़- महाराष्ट्र: भाजपा अपने विधायकों और पदाधिकारियों की बैठक बुलाएगी

राज्यपाल को कोसा

शिवसेना ने आरोप लगाया कि जब वह सरकार गठन के लिए दावा जताने के वास्ते और समय मांगने राज भवन गयी तो प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया.

मराठी पत्र में कहा गया है कि राज्यपाल ने 13वीं विधानसभा खत्म होने का इंतजार किया. अगर उन्होंने पहले सरकार गठन की प्रक्रिया शुरू की होती तो राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने का उनका कदम 'नैतिक रूप से सही' प्रतीत होता.

शिवसेना ने तंज किया, 'राज्यपाल इतने दयालु हैं कि उन्होंने अब हमें छह महीने का वक्त दिया है.'

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन लगाने की पटकथा पहले ही तैयार थी. यह पहले ही तय था.

उसने कहा कि राज्यपाल पहले आरएसएस कार्यकर्ता थे और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं लेकिन महाराष्ट्र भूगोल और इतिहास की दृष्टि से बड़ा राज्य है.

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा, 'जब राज्यपाल ने सरकार गठन का दावा जताने के लिए 48 घंटे का समय देने से इनकार कर दिया तब लोगों को लगा कि जिस तरह से वह काम कर रहे हैं उसमें कुछ तो गलत है.'

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'फड़णवीस मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं'

शिवसेना ने कहा कि राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद फड़णवीस ने इसे 'दुर्भाग्यपूर्ण' घटना बताया है.

संपादकीय में कहा गया है कि अगर फड़णवीस ने राष्ट्रपति शासन के फैसले की निंदा की होती तो यह कहा जा सकता था कि उनके इरादे नेक हैं.

'सामना' में कहा गया है, 'पूर्व मुख्यमंत्री ने चिंता जतायी कि क्या राष्ट्रपति शासन से महाराष्ट्र में निवेश पर असर पड़ेगा. फड़णवीस मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं. अगर कोई राज्य में राष्ट्रपति शासन पर मगरमच्छ के आंसू बहा रहा है तो यह तमाशा है.'

इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भी सत्ता परोक्ष रूप से भाजपा के हाथों में है.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 11:6 HRS IST




             
  • महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की पटकथा पहले ही तैयार थी : शिवसेना



मुंबई, 14 नवंबर (भाषा) शिवसेना ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की ‘‘पटकथा पहले ही लिख’’ दी गयी थी और उन्होंने राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने अब पार्टियों को सरकार बनाने के लिए छह महीने का समय दे दिया है।



पार्टी ने यह भी कहा कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस राष्ट्रपति शासन लगाए जाने पर ‘‘मगरमच्छ के आंसू’’ बहा रहे हैं क्योंकि सत्ता अब भी परोक्ष रूप से भाजपा के हाथ में ही है।



शिवसेना को सरकार बनाने का दावा जताने के लिए महज 24 घंटे का वक्त दिए जाने तथा अतिरिक्त समय दिए जाने से इनकार करने पर राज्यपाल की आलोचना करते हुए शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में संपादकीय में कहा, ‘‘ऐसा लग रहा है कि कोई अदृश्य शक्ति इस खेल को नियंत्रित कर रही है और उसके अनुसार फैसले लिए गए।’’



महाराष्ट्र में राजनीतिक गतिरोध के बीच मंगलवार शाम को राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने केन्द्र को भेजी गयी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मौजूदा हालात में राज्य में स्थिर सरकार के गठन के उनके तमाम प्रयासों के बावजूद यह असंभव प्रतीत हो रहा है।



शिवसेना ने आरोप लगाया कि जब वह सरकार गठन के लिए दावा जताने के वास्ते और समय मांगने राज भवन गयी तो प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया।



मराठी पत्र में कहा गया है कि राज्यपाल ने 13वीं विधानसभा खत्म होने का इंतजार किया। अगर उन्होंने पहले सरकार गठन की प्रक्रिया शुरू की होती तो राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने का उनका कदम ‘‘नैतिक रूप से सही’’ प्रतीत होता।



शिवसेना ने तंज किया, ‘‘राज्यपाल इतने दयालु हैं कि उन्होंने अब हमें छह महीने का वक्त दिया है।’’



उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन लगाने की पटकथा पहले ही तैयार थी। यह पहले ही तय था।’’



उसने कहा कि राज्यपाल पहले आरएसएस कार्यकर्ता थे और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं लेकिन महाराष्ट्र भूगोल और इतिहास की दृष्टि से बड़ा राज्य है।



उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा, ‘‘जब राज्यपाल ने सरकार गठन का दावा जताने के लिए 48 घंटे का समय देने से इनकार कर दिया तब लोगों को लगा कि जिस तरह से वह काम कर रहे हैं उसमें कुछ तो गलत है।’’



शिवसेना ने कहा कि राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद फड़णवीस ने इसे ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ घटना बताया है।



संपादकीय में कहा गया है कि अगर फड़णवीस ने राष्ट्रपति शासन के फैसले की निंदा की होती तो यह कहा जा सकता था कि उनके इरादे नेक हैं।



‘सामना’ में कहा गया है, ‘‘पूर्व मुख्यमंत्री ने चिंता जतायी कि क्या राष्ट्रपति शासन से महाराष्ट्र में निवेश पर असर पड़ेगा। फड़णवीस मगरमच्छ के आंसू बहा रहे हैं। अगर कोई राज्य में राष्ट्रपति शासन पर मगरमच्छ के आंसू बहा रहा है तो यह तमाशा है।’’



इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भी सत्ता परोक्ष रूप से भाजपा के हाथों में है।


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