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शेहला रशीद का चुनावी राजनीति से संन्यास, J-K में BDC चुनाव का विरोध - शेहला रशीद चुनावी राजनीति छोड़ने की घोषणा

जेएनयू में कथित राष्ट्रविरोधी नारे लगाने और कश्मीर घाटी में तैनात सशस्त्र बलों के खिलाफ ट्वीट करने के बाद सुर्खियों में आईं शेहला रशीद ने चुनावी राजनीति छोड़ने का फैसला किया है. रशीद ने कुछ महीने पहले ही पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल की पार्टी जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट की सदस्यता ली थी.

शेहला रशीद
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Published : Oct 9, 2019, 9:58 PM IST

Updated : Oct 9, 2019, 10:27 PM IST

श्रीनगर : मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश करने के छह महीने बाद ही जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद ने कश्मीर में चुनावी राजनीति छोड़ने की घोषणा कर दी. इसके साथ ही शेहला ने जम्मू-कश्मीर में बीडीसी चुनाव कराने के कदम का विरोध भी किया.

शेहला ने एक ट्वीट कर जानकारी दी कि वह लोगों के 'दमन' को वैध ठहराने वाला एक पक्ष नहीं बन सकतीं.

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शेहला ने ट्वीट कर दी जानकारी

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 2016 में कथित राष्ट्रविरोधी नारों से उत्पन्न विवाद के बाद सुर्खियों में आईं रशीद इस साल के शुरू में पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल द्वारा गठित पार्टी जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट में शामिल हुई थीं.

जेएनयू छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष ने एक बयान में कहा कि वह इस महीने के अंत में जम्मू कश्मीर में खंड विकास परिषद (बीडीसी) के चुनाव कराने के केंद्र सरकार के कदम की वजह से कश्मीर में चुनावी मुख्य धारा से खुद को अलग करने को विवश हैं.

रशीद ने बीडीसी चुनावों को 'दिखावे की चुनावी कवायद' करार दिया.

पढ़ें-'अड़ियल' शहला बोलीं..सेना के खिलाफ दूंगी सबूत

उन्होंने एक बयान में कहा, 'मैं अपने लोगों के बर्बर दमन को वैध ठहराने की कवायद में पक्ष नहीं बन सकती. इसलिए मैं कश्मीर में चुनावी मुख्यधारा से अलग होना चाहूंगी.'

रशीद ने कहा, 'मैं कार्यकर्ता बनी रहूंगी और सभी मोर्चों पर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना जारी रखूंगी, जिसमें किसी समझौते की जरूरत न हो. मैं राज्य का विशेष दर्जा बहाल करने और राज्य को दो हिस्सों में बांटे जाने के फैसले को पलटने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय में अपने प्रयास जारी रखूंगी.'

उन्होंने कहा कि वह राजनीति में इसलिए आई थीं क्योंकि उन्हें लगता था कि इससे 'न्याय और सुशासन उपलब्ध कराना तथा जम्मू कश्मीर के लोगों की इच्छाओं के अनुरूप कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए काम करना संभव होगा.'

रशीद ने दावा किया कि राज्य में राजनीतिक नेताओं को केवल राज्य का दर्जा बहाल करने के मुद्दे पर चुनाव लड़ने को विवश किया जा रहा है और अनुच्छेद 370 को हटाने तथा राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट देने के मुद्दे पर चुप रहने को कहा जा रहा है.

पढ़ें-सेना को लेकर विवादत ट्वीट करने वाली शेहला पर देशद्रोह का केस दर्ज

उन्होंने कहा, 'यह स्पष्ट है कि कश्मीर में किसी राजनीतिक गतिविधि में भागीदारी के लिए समझौते की जरूरत है.'

रशीद ने मुख्यधारा की राजनीति छोड़ने की घोषणा उस दिन की है, जब कांग्रेस ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर में बीडीसी चुनाव नहीं लड़ेगी.

गौरतलब है कि कश्मीर घाटी में तैनात सशस्त्र बलों के खिलाफ ट्वीट करने पर रशीद के खिलाफ पिछले महीने राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.

श्रीनगर : मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश करने के छह महीने बाद ही जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद ने कश्मीर में चुनावी राजनीति छोड़ने की घोषणा कर दी. इसके साथ ही शेहला ने जम्मू-कश्मीर में बीडीसी चुनाव कराने के कदम का विरोध भी किया.

शेहला ने एक ट्वीट कर जानकारी दी कि वह लोगों के 'दमन' को वैध ठहराने वाला एक पक्ष नहीं बन सकतीं.

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शेहला ने ट्वीट कर दी जानकारी

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 2016 में कथित राष्ट्रविरोधी नारों से उत्पन्न विवाद के बाद सुर्खियों में आईं रशीद इस साल के शुरू में पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल द्वारा गठित पार्टी जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट में शामिल हुई थीं.

जेएनयू छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष ने एक बयान में कहा कि वह इस महीने के अंत में जम्मू कश्मीर में खंड विकास परिषद (बीडीसी) के चुनाव कराने के केंद्र सरकार के कदम की वजह से कश्मीर में चुनावी मुख्य धारा से खुद को अलग करने को विवश हैं.

रशीद ने बीडीसी चुनावों को 'दिखावे की चुनावी कवायद' करार दिया.

पढ़ें-'अड़ियल' शहला बोलीं..सेना के खिलाफ दूंगी सबूत

उन्होंने एक बयान में कहा, 'मैं अपने लोगों के बर्बर दमन को वैध ठहराने की कवायद में पक्ष नहीं बन सकती. इसलिए मैं कश्मीर में चुनावी मुख्यधारा से अलग होना चाहूंगी.'

रशीद ने कहा, 'मैं कार्यकर्ता बनी रहूंगी और सभी मोर्चों पर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना जारी रखूंगी, जिसमें किसी समझौते की जरूरत न हो. मैं राज्य का विशेष दर्जा बहाल करने और राज्य को दो हिस्सों में बांटे जाने के फैसले को पलटने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय में अपने प्रयास जारी रखूंगी.'

उन्होंने कहा कि वह राजनीति में इसलिए आई थीं क्योंकि उन्हें लगता था कि इससे 'न्याय और सुशासन उपलब्ध कराना तथा जम्मू कश्मीर के लोगों की इच्छाओं के अनुरूप कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए काम करना संभव होगा.'

रशीद ने दावा किया कि राज्य में राजनीतिक नेताओं को केवल राज्य का दर्जा बहाल करने के मुद्दे पर चुनाव लड़ने को विवश किया जा रहा है और अनुच्छेद 370 को हटाने तथा राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट देने के मुद्दे पर चुप रहने को कहा जा रहा है.

पढ़ें-सेना को लेकर विवादत ट्वीट करने वाली शेहला पर देशद्रोह का केस दर्ज

उन्होंने कहा, 'यह स्पष्ट है कि कश्मीर में किसी राजनीतिक गतिविधि में भागीदारी के लिए समझौते की जरूरत है.'

रशीद ने मुख्यधारा की राजनीति छोड़ने की घोषणा उस दिन की है, जब कांग्रेस ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर में बीडीसी चुनाव नहीं लड़ेगी.

गौरतलब है कि कश्मीर घाटी में तैनात सशस्त्र बलों के खिलाफ ट्वीट करने पर रशीद के खिलाफ पिछले महीने राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.

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LD SHEHLA-POLITICS-QUIT
Shehla Rashid announces decision to quit electoral politics, opposes BDC polls in JK
          New Delhi, Oct 9 (PTI) Six months after her foray into mainstream politics, former JNU student leader Shehla Rashid on Wednesday announced she is quitting electoral politics in Kashmir following the move to hold Block Development Council elections, saying she can't be a party to the exercise of legitimising the "suppression" of people.
          Rashid, who became a prominent face of student activism following a controversy over a 2016 event at the Jawaharlal Nehru University during which alleged anti-national slogans were raised, had earlier this year joined the Jammu and Kashmir People's Movement floated by former IAS officer Shah Faisal.
          In a statement, the former JNUSU vice-president said she was compelled to dissociate "with the electoral mainstream in Kashmir" due to the central government's move to hold Block Development Council elections later this month in Jammu and Kashmir,          which she termed as a "sham electoral exercise".
         "I cannot be party to the exercise of legitimizing the brutal suppression of my people. I would, therefore, like to make clear my dissociation with the electoral mainstream in Kashmir.
          "I will continue to be an activist and raise my voice against injustice on all fronts that do not require a compromise and I'll continue to put my energies behind the Supreme Court petition seeking the restoration of special status of the state, and the reversal of bifurcation of the state," she said in the statement.
          Restrictions have been imposed since August 5 in the Valley after the Centre scrapped Jammu and Kashmir's special status under Article 370 of the Constitution and bifurcated the state into two Union Territories.
          Rashid said she had joined politics as she believed it was "possible to deliver both justice as well as good governance, and also work for the resolution of the Kashmir issue as per the wishes of the people of Jammu and Kashmir".
          She claimed political leaders in the state are being forced to contest elections only on the issue of restoration of statehood, and asked to keep quiet about Article 370 and bifurcation of the state.
          "It is clear that participation in any political activity in Kashmir requires a compromise, she claimed.
          Rashid said the government keeps inviting the youth to join the mainstream but alleged its actions have only served to push people out of the mainstream.
          The former JNU Students Union leader's announcement of quitting mainstream politics came on the day the Congress party said it would not contest the Block Development Council polls.
          Rashid was a prominent face of the student movement in 2016 after the arrest of JNU student leader Kanhaiya Kumar in connection with an event on JNU campus against the hanging of Parliament attack convict Afzal Guru where anti-national slogans were allegedly raised.
         She was charged with sedition last month for her tweets levelling allegations against the armed forces in the Valley. PTI GJS MIJ NIT
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Last Updated : Oct 9, 2019, 10:27 PM IST
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