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सीरो सर्वे में खुलासा, दिल्ली की 23.48 फीसद आबादी में एंटीबॉडीज विकसित

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Published : Jul 21, 2020, 3:31 PM IST

Updated : Jul 21, 2020, 6:12 PM IST

दिल्ली में कोरोना को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सीरो सर्वे कराया गया है, जिसमें सामने आया कि राष्ट्रीय राजधानी में 23.48 फीसदी लोगों में कोरोना वायरस के लिए एंटीबॉडीज विकसित हुई हैं.

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सीरो सर्वे में खुलासा, दिल्ली के 23.48 फीसदी लोगों विकसित हुई एंटीबॉ

नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगाम लगती दिख रही है. कुछ समय पहले दिल्ली में बढ़ रहे मामले चिंताजनक थे. लेकिन इस समय मामले कम आ रहे हैं. साथ ही रिकवरी रेट भी अच्छा है. ऐसे में पूरे प्रदेश में कोरोना को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सीरो सर्वे कराया गया है, जिसमें कई तरह की बातें निकलकर सामने आई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में 23.48 फीसदी लोगों में कोरोना वायरस के लिए एंटीबॉडीज विकसित हुई हैं.

बता दें, सीरो अध्ययन प्रदेश में 27 जून से 10 जुलाई तक आयोजित किया गया था. यह दिल्ली सरकार के सहयोग से नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल द्वारा किया गया.

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सीरो अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि दिल्ली में औसतन आईजीजी (IgG) एंटीबॉडीज का प्रतिशत 23.48 है. स्टडी में यह भी सामने आया है कि यहां बड़ी संख्या में संक्रमित लोगों में कोरोना के लक्षण ही नजर नहीं आ रहे.

कोरोना के घटते मामलों के लिए सरकार के सक्रिय प्रयास भी काफी हद तक जिम्मेदार हैं, जिनमें लॉकडाउन, प्रभावी रोकथाम और निगरानी के उपाय शामिल हैं.

आबादी का अहम अनुपात अब भी असुरक्षित
हालांकि सर्वे में एक और अहम बात, जो निकलकर सामने आई है, वह ये कि आबादी का अहम अनुपात अब भी असुरक्षित है. इसलिए रोकथाम के उपायों को अब भी कठोरता से जारी रखने की जरूरत है. अब भी शारीरिक दूरी, मास्क, हाथों की सफाई, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर सावधानियां बरतने जैसी बातों को ध्यान में रखना जरूरी है.

यह देश में एंजाइम-लिंक्ड इम्युनोसॉरबेंट ऐसे (ELISA) परीक्षण का उपयोग करते हुए सबसे बड़े सेरोप्रवलेंस ( sero-prevalence) अध्ययनों में से एक है.

दिल्ली के सभी ग्यारह जिलों के लिए सर्वेक्षण टीमों का गठन किया गया था. लिखित सहमति लेने के बाद चयनित लोगों के रक्त नमूने एकत्रित किए गए थे. लैब मानकों के अनुसार 21,387 नमूने एकत्र किए गए और उनका परीक्षण किया गया. परीक्षणों से सामान्य आबादी में एंटीबॉडी की उपस्थिति की पहचान हुई.

जून में जब मामले बढ़े तो कराया गया सीरो सर्वे
जून महीने के दूसरे पखवाड़े में कोरोना के मामले में जिस तरह इजाफा हुआ था, केंद्र सरकार ने कमान अपने हाथ में संभाल ली. गृहमंत्री अमित शाह के दखल देने के बाद संक्रमण को पकड़ने के लिए दिल्ली सेरोलॉजिकल सर्वे (सीरो) कराया गया. यह समझने की कवायद की गई कि आखिर कोरोना का संक्रमण किस-किस हिस्से में फैला है.

अलग-अलग जिलों में कोरोना का प्रसार अलग
सीरो सर्वे की जो रिपोर्ट एनसीडीसी में दी है, उसमें कोरोना का प्रसार अलग-अलग जिलों में अलग-अलग है. इसका मतलब है कि कोरोना लोकल लेवल पर फैला है. इससे पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने भी दिल्ली के कंटेनमेंट जोन में सीरो सर्वे किया था. मगर उसके नतीजे पब्लिक नहीं किए गए. हालांकि सूत्र बताते हैं कि उसमें कंटेनमेंट जोन के भीतर 10 से 30 फीसद का प्रसार का पता चला है.

क्या होता है सीरो सर्वे
सीरो सर्वे में खून के नमूने लिए जाते हैं. इसमें एंटीबॉडी टेस्ट से शरीर में एंटीबॉडीज का पता चलता है. जो बताती है कि आप वायरस के शिकार हुए थे या नहीं. एंटीबॉडीज दरअसल वह प्रोटीन है, जो इंफेक्शन से लड़ने में मदद करती है. सीरो सर्वे के दौरान 21 हजार से अधिक घरों से सैंपल टेस्ट उन लोगों के एंटीबॉडीज का पता लगाने के लिए लिए गए, जो कोविड-19 वायरस से लड़ती है. यह इंफेक्शन के 14 दिन बाद शरीर में मिलने लगती है और महीनों तक ब्लड सिरम में रहती है.

यह कोरोना का नियमित परीक्षण नहीं है. यह केवल लोगों में कोरोना के पिछले संक्रमण के बारे में जानकारी देता है.

नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगाम लगती दिख रही है. कुछ समय पहले दिल्ली में बढ़ रहे मामले चिंताजनक थे. लेकिन इस समय मामले कम आ रहे हैं. साथ ही रिकवरी रेट भी अच्छा है. ऐसे में पूरे प्रदेश में कोरोना को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सीरो सर्वे कराया गया है, जिसमें कई तरह की बातें निकलकर सामने आई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में 23.48 फीसदी लोगों में कोरोना वायरस के लिए एंटीबॉडीज विकसित हुई हैं.

बता दें, सीरो अध्ययन प्रदेश में 27 जून से 10 जुलाई तक आयोजित किया गया था. यह दिल्ली सरकार के सहयोग से नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल द्वारा किया गया.

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सीरो अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि दिल्ली में औसतन आईजीजी (IgG) एंटीबॉडीज का प्रतिशत 23.48 है. स्टडी में यह भी सामने आया है कि यहां बड़ी संख्या में संक्रमित लोगों में कोरोना के लक्षण ही नजर नहीं आ रहे.

कोरोना के घटते मामलों के लिए सरकार के सक्रिय प्रयास भी काफी हद तक जिम्मेदार हैं, जिनमें लॉकडाउन, प्रभावी रोकथाम और निगरानी के उपाय शामिल हैं.

आबादी का अहम अनुपात अब भी असुरक्षित
हालांकि सर्वे में एक और अहम बात, जो निकलकर सामने आई है, वह ये कि आबादी का अहम अनुपात अब भी असुरक्षित है. इसलिए रोकथाम के उपायों को अब भी कठोरता से जारी रखने की जरूरत है. अब भी शारीरिक दूरी, मास्क, हाथों की सफाई, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर सावधानियां बरतने जैसी बातों को ध्यान में रखना जरूरी है.

यह देश में एंजाइम-लिंक्ड इम्युनोसॉरबेंट ऐसे (ELISA) परीक्षण का उपयोग करते हुए सबसे बड़े सेरोप्रवलेंस ( sero-prevalence) अध्ययनों में से एक है.

दिल्ली के सभी ग्यारह जिलों के लिए सर्वेक्षण टीमों का गठन किया गया था. लिखित सहमति लेने के बाद चयनित लोगों के रक्त नमूने एकत्रित किए गए थे. लैब मानकों के अनुसार 21,387 नमूने एकत्र किए गए और उनका परीक्षण किया गया. परीक्षणों से सामान्य आबादी में एंटीबॉडी की उपस्थिति की पहचान हुई.

जून में जब मामले बढ़े तो कराया गया सीरो सर्वे
जून महीने के दूसरे पखवाड़े में कोरोना के मामले में जिस तरह इजाफा हुआ था, केंद्र सरकार ने कमान अपने हाथ में संभाल ली. गृहमंत्री अमित शाह के दखल देने के बाद संक्रमण को पकड़ने के लिए दिल्ली सेरोलॉजिकल सर्वे (सीरो) कराया गया. यह समझने की कवायद की गई कि आखिर कोरोना का संक्रमण किस-किस हिस्से में फैला है.

अलग-अलग जिलों में कोरोना का प्रसार अलग
सीरो सर्वे की जो रिपोर्ट एनसीडीसी में दी है, उसमें कोरोना का प्रसार अलग-अलग जिलों में अलग-अलग है. इसका मतलब है कि कोरोना लोकल लेवल पर फैला है. इससे पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने भी दिल्ली के कंटेनमेंट जोन में सीरो सर्वे किया था. मगर उसके नतीजे पब्लिक नहीं किए गए. हालांकि सूत्र बताते हैं कि उसमें कंटेनमेंट जोन के भीतर 10 से 30 फीसद का प्रसार का पता चला है.

क्या होता है सीरो सर्वे
सीरो सर्वे में खून के नमूने लिए जाते हैं. इसमें एंटीबॉडी टेस्ट से शरीर में एंटीबॉडीज का पता चलता है. जो बताती है कि आप वायरस के शिकार हुए थे या नहीं. एंटीबॉडीज दरअसल वह प्रोटीन है, जो इंफेक्शन से लड़ने में मदद करती है. सीरो सर्वे के दौरान 21 हजार से अधिक घरों से सैंपल टेस्ट उन लोगों के एंटीबॉडीज का पता लगाने के लिए लिए गए, जो कोविड-19 वायरस से लड़ती है. यह इंफेक्शन के 14 दिन बाद शरीर में मिलने लगती है और महीनों तक ब्लड सिरम में रहती है.

यह कोरोना का नियमित परीक्षण नहीं है. यह केवल लोगों में कोरोना के पिछले संक्रमण के बारे में जानकारी देता है.

Last Updated : Jul 21, 2020, 6:12 PM IST
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