नई दिल्ली: 27 सितम्बर 2019 का दिन संयुक्त राष्ट्र संघ के इतिहास में काले दिन के तौर पर दर्ज किया जाएगा. अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीतयुद्ध के जमाने में भी संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच को परमाणु धमकी देने के लिए कभी इस्तेमाल नहीं किया गया. यह मंच गंभीर से गंभीर समस्याओं को शिष्ट संवाद के माध्यम से सुलझाने के लिए गठित किया गया था. आपसी मतभेदों को शालीनता के साथ प्रकट किया जाता रहा है.
क्यूबन मिसाइल संकट का समाधान भी संयुक्त राष्ट्र के मंच पर ही संभव हुआ था. संयुक्त राष्ट्र संघ के इतिहास में पहली बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत को परमाणु युद्ध की धमकी देकर इस संस्था की बुनियाद को ही हिला दिया है. जब इमरान खान संयुक्त राष्ट्र संघ की आमसभा को संबोधित कर रहे थे, तब कई बार यह लगा कि आतंकी संगठन लश्करे-ए-तोइबा के संस्थापक हाफिज सईद तो नहीं बोल रहे हैं?
इमरान खाने के इस भड़काऊ व जहरीले भाषण का लक्ष्य यह था कि किसी तरह कश्मीर के सवाल पर अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया जाए. पिछले सात दिनों के दौरान न्यूयार्क में इमरान खान ने कश्मीर के सवाल पर भारत के खिलाफ वातावरण बनाने की जी-तोड़ कोशिश की, लेकिन वे बुरी तरह विफल हुए. चीन और तुर्की को छोड़कर किसी भी देश ने पाकिस्तान का साथ नहीं दिया.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय में दक्षिण एशिया मामलों की अधिकारी एलिस वेल्स ने इमरान के मुस्लिम-राग का यह कहकर पर्दाफाश कर दिया था कि वे चीन में उइगर मुसलमानों के साथ हो रहे अत्याचारों पर पूरी तरह खामोश क्यों हैं? उन्होंने पाकिस्तान से कहा था कि वह अपनी भाषा ठीक करें. चीन ओर तुर्की के नेता भी इमरान के इस मत से सहमत नहीं हैं कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज के हिटलर व मुसोलिनी हैं.
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इमरान ने पत्रकार-वार्ता में इस बात पर निराशा जाहिर की थी कि अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय कश्मीर के सवाल को नजरअंदाज कर रहा है. पूरी तरह से हताश व निराश इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र संघ की आमसभा में भारत और नरेन्द्र मोदी के खिलाफ जमकर जहर उगला. पिछले 15 दिनों से पाकिस्तान की तरफ से कश्मीर के सवाल को मानव अधिकारों के उल्लंघन के माध्यम से उठाया जा रहा था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ के भाषण में कश्मीर का सवाल पूरी तरह से मुसलमानों का मुद्दा बन गया. भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने 17 मिनट के संक्षिप्त भाषण में दुनिया को यह संदेश दिया कि भारत ने कभी भी टकराव और युद्ध का रास्ता नहीं अपनाया है और सदैव शांति व सदभाव के पक्ष में रहा है.
वहीं इमरान खान ने कश्मीर पर परमाणु युद्ध की धमकी देकर विध्वंस का संदेश दिया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान शायद इस बात से भी बेहद परेशान थे कि नरेन्द्र मोदी ने अपनी सात दिवसीय अमेरिकी यात्रा के दौरान एक बार भी पाकिस्तान या इमरान खान का जिक्र तक नहीं किया. मोदी ने दुनिया को न्यौता दिया कि भारत अपनी विकास यात्रा के अनुभवों को अन्य देशों के साथ बांटने के लिए तैयार है. वहीं इमरान खान दुनिया को यह बता रहे थे कि यदि भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध हो गया तो अन्य देश भी इससे प्रभावित होंगे.
आश्चर्य की बात यह भी 'आतंकवाद' शब्द का जिक्र आते ही इमरान खान का मूड खराब हो जाता है. अब वह पाकिस्तान में आतंकवाद के लिए अमेरिका को दोषी ठहरा रहे हैं. वह कह रहे हैं कि पश्चिमी देश 'इस्लामीफोबिया' के शिकार हो गए हैं. ह्यूस्टन की हाउदी रैली में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रेडिकल इस्लामिक टेररिज्म के खिलाफ अभियान जारी रखने का ऐलान किया था. भारत सरकार ने कभी भी आतंकवाद को धर्म के साथ नहीं जोड़ा है. भारत का कहना है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है. अमेरिका व अन्य पश्चिमी देश मानते हैं कि आतंकवाद की समस्या मूलतः इस्लामिक टेरर से जुड़ी है.
इमरान खान ने यह हास्यास्पद दावा किया कि पाकिस्तान में कोई आतंकवादी संगठन सक्रिय नहीं है. भारत, ईरान और अफगानिस्तान का कहना है पाकिस्तान से आतंकवादियों का निर्यात हो रहा है. पाकिस्तान में आतंकवादियों के ट्रेनिंग केम्प पाकिस्तानी सेना द्वारा चलाए जा रहे हैं. इमरान खान के बदहवास भाषण का जवाब देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय की सचिव विदिशा मैत्रा ने तथ्यों के माध्यम से स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान में आतंकवाद का उद्योग किस तरह फलफूल रहा है. आतंकवाद के सवाल पर पाकिस्तान की विश्वनीयता शून्य के बराबर है.
इमरान खान का बदहवास भाषण भारत के लिए चिन्ता का विषय होना चाहिए कि पाकिस्तान भारत में आतंकवादी गतिविधियों बढ़ाने के लिए कई स्तरों पर कोशिश करेगा. इमरान खान कश्मीर घाटी में लाशों के अंबार देखना चाहते हैं. उनका मानना है कि जितना अधिक रक्तपात होगा, उतना ही अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय का हस्तक्षेप बढ़ाने में सफलता मिलेगी. इसलिए भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी कि कश्मीर घाटी में शांति बनी रहे और पाकिस्तानी आंतकियों को सीमा पर ही खदेड़ दिया जाए.
संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई राजनयिक जंग से यह भी स्पष्ट हो गया कि तुर्की व चीन को छोड़कर लगभग सभी देश यह स्वीकार करते हैं कि अनुच्छेद 370 व 35ए का खात्मा भारत का आतंरिक मामला है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भी भारत के इस मत पर मुहर लगाई है. संयुक्त राज्य अमीरात और सऊदी अरब जैसे मुस्लिम देशों ने भी भारत का खुलकर समर्थन कर पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया है. इमरान खान अब कश्मीर की लड़ाई मुस्लिम बनाम अन्य के आधार पर लड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें उनको सफलता नहीं मिलेगी.
(वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बाफना)