नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने हरियाणा राजभाषा (संशोधन) अधिनियम, 2020 को चुनौती देने वाली एक दलील का निष्पादन किया है. शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा है.
न्यायालय पांच अधिवक्ताओं द्वारा दायर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उन्होंने हरियाणा सरकार के आदेश को चुनौती थी, जिसमें कहा गया था कि राज्य की अदालतों में केवल हिंदी का उपयोग करना होगा. अधिवक्ताओं में समीर जैन, संदीप बजाज, अंगद संधू, सुविज्ञा अवस्थी और अनंत गुप्ता शामिल हैं.
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता समीर जैन ने अदालत के समक्ष कहा कि हरियाणा में देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आकर बसे हैं और यह बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए एक केंद्र है, जो हिंदी के अच्छे जानकार नहीं हैं और हिंदी में कार्यवाही नहीं हो सकती है. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि केवल हिंदी की अनुमति होने पर वकील अपने पेशे का स्वतंत्र रूप से अभ्यास नहीं कर पाएंगे.
क्या है हरियाणा राजभाषा (संशोधन) अधिनियम ?
गौरतलब है कि हरियाणा सरकार ने 11 मई, 2020 को एक अधिसूचना जारी कर कहा था कि राज्य के सभी न्यायालयों और न्यायाधिकरणों में हिंदी का उपयोग किया जाना चाहिए. राज्य सरकार ने हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 1969 की धारा तीन में संशोधन किया था. इस अधिनियम को अब हरियाणा राजभाषा अधिनियम, 2020 के नाम से जाना जाता है.
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