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मैच फिक्सिंग : 20 साल में पहली बार चावला से होगी पूछताछ

डीसीपी जी. रामगोपाल नायक के अनुसार वर्ष 2000 को नागपुर में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेला गया था. इस मैच में खिलाड़ियों द्वारा मैच फिक्सिंग की बात सामने आई थी. पढे़ं पूरा विवरण...

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20 साल में पहली बार संजीव चावला से होगी पूछताछ, दिल्ली लाने में लग गए 7 साल
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Published : Feb 14, 2020, 12:02 AM IST

Updated : Mar 1, 2020, 6:48 AM IST

नई दिल्ली : वर्ष 2000 के चर्चित मैच फिक्सिंग कांड के आरोपी संजीव चावला को सात साल की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार क्राइम ब्रांच दिल्ली ले आई है. पुलिस का दावा है कि उसे भारत लाने में सात साल तक उन्हें लगातार प्रयास करने पड़े.

वह लगातार कानूनी दांव पेंच इस्तेमाल कर बच रहा था. लेकिन बीते 12 फरवरी को लंदन की मेट्रोपोलिटन पुलिस ने हीथ्रो एयरपोर्ट पर संजीव चावला उन्हें सौंप दिया.

20 साल में पहली बार संजीव चावला से होगी पूछताछ

डीसीपी जी. रामगोपाल नायक के अनुसार वर्ष 2000 को नागपुर में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेला गया था. इस मैच में खिलाड़ियों द्वारा मैच फिक्सिंग की बात सामने आई थी. इसे लेकर क्राइम ब्रांच की टीम ने एफआईआर दर्ज की थी. इस मामले में दक्षिण अफ्रीका के तत्कालीन कप्तान हेंसी क्रोनिए, लंदन के कारोबारी संजीव चावला और चार अन्य लोगों का नाम शामिल था. शिकायत में बताया गया था कि किस तरीके से संजीव चावला ने हैंसी क्रोनिए के साथ मिलकर दक्षिण अफ्रीका के चार अन्य खिलाड़ियों को लेकर मैच फिक्सिंग की. इस घटना के कुछ वर्ष बाद हैंसी क्रोनिए की एक प्लेन क्रैश में मौत हो गई थी.

लंदन भाग गया था बुकी संजीव चावल
इस मामले की मुख्य कड़ी संजीव चावला इस टूर्नामेंट के फाइनल मैच से पहले ही भारत छोड़कर लंदन चला गया था. इस मामले में वर्ष 2013 में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अदालत के समक्ष आरोपपत्र भी दाखिल कर दिया था. लेकिन इस पूरी साजिश का मुख्य किरदार संजीव चावला अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर था. पुलिस आरोपपत्र दाखिल करने के बाद से ही यह प्रयास कर रही थी कि लंदन से संजीव चावला को पूछताछ के लिए लाया जा सके, ताकि पूरे मैच फिक्सिंग का सच सामने आ सके. लेकिन वह किसी न किसी तरीके से बच रहा था.

पढे़ं : क्रिकेट सट्टेबाज चावला अदालत के समक्ष पेश

फ्रांस स्थित यूरोपीय मानवाधिकार आयोग में भी की अपील
डीसीपी राम गोपाल नायक ने बताया कि आरोपी संजीव चावला पुलिस से बचने के लिए लगातार कानूनी हथकंडे अपना रहा था. वहां काफी समय तक उसने निचली अदालत एवं हाईकोर्ट में प्रत्यर्पण को टालने की कोशिश की . लेकिन भारत के गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की मदद से लगातार क्राइम ब्रांच इस केस में पैरवी करती रही. लंदन के हाईकोर्ट से भी जब उसे राहत नहीं मिली तो उसने फ्रांस स्थित यूरोपीय मानवाधिकार आयोग में अपील की थी. लेकिन वहां भी उसकी अपील खारिज हो गई, जिसके बाद उसके प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया.

20 साल बाद पहली बार होगी पूछताछ
डीसीपी ने बताया कि 9 फरवरी को क्राइम ब्रांच की एक टीम उसे लेने के लिए लंदन गई थी. 12 फरवरी को हीथ्रो एयरपोर्ट पर संजीव चावला को उन्हें सौंप दिया गया जिसके बाद दिल्ली पुलिस की एक टीम उसे लेकर दिल्ली आ गई है. उन्होंने बताया कि अदालत ने उसे 12 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है. उससे आरके पुरम स्थित क्राइम ब्रांच की टीम द्वारा 20 साल में पहली बार पूछताछ की जाएगी. उससे यह जानने की कोशिश की जाएगी कि इस मैच फिक्सिंग में कौन-कौन लोग शामिल थे. उस समय के कौन-कौन से खिलाड़ी उसके संपर्क में रहते थे. वह जिन खिलाड़ियों के नाम का खुलासा करेगा उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

नई दिल्ली : वर्ष 2000 के चर्चित मैच फिक्सिंग कांड के आरोपी संजीव चावला को सात साल की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार क्राइम ब्रांच दिल्ली ले आई है. पुलिस का दावा है कि उसे भारत लाने में सात साल तक उन्हें लगातार प्रयास करने पड़े.

वह लगातार कानूनी दांव पेंच इस्तेमाल कर बच रहा था. लेकिन बीते 12 फरवरी को लंदन की मेट्रोपोलिटन पुलिस ने हीथ्रो एयरपोर्ट पर संजीव चावला उन्हें सौंप दिया.

20 साल में पहली बार संजीव चावला से होगी पूछताछ

डीसीपी जी. रामगोपाल नायक के अनुसार वर्ष 2000 को नागपुर में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेला गया था. इस मैच में खिलाड़ियों द्वारा मैच फिक्सिंग की बात सामने आई थी. इसे लेकर क्राइम ब्रांच की टीम ने एफआईआर दर्ज की थी. इस मामले में दक्षिण अफ्रीका के तत्कालीन कप्तान हेंसी क्रोनिए, लंदन के कारोबारी संजीव चावला और चार अन्य लोगों का नाम शामिल था. शिकायत में बताया गया था कि किस तरीके से संजीव चावला ने हैंसी क्रोनिए के साथ मिलकर दक्षिण अफ्रीका के चार अन्य खिलाड़ियों को लेकर मैच फिक्सिंग की. इस घटना के कुछ वर्ष बाद हैंसी क्रोनिए की एक प्लेन क्रैश में मौत हो गई थी.

लंदन भाग गया था बुकी संजीव चावल
इस मामले की मुख्य कड़ी संजीव चावला इस टूर्नामेंट के फाइनल मैच से पहले ही भारत छोड़कर लंदन चला गया था. इस मामले में वर्ष 2013 में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अदालत के समक्ष आरोपपत्र भी दाखिल कर दिया था. लेकिन इस पूरी साजिश का मुख्य किरदार संजीव चावला अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर था. पुलिस आरोपपत्र दाखिल करने के बाद से ही यह प्रयास कर रही थी कि लंदन से संजीव चावला को पूछताछ के लिए लाया जा सके, ताकि पूरे मैच फिक्सिंग का सच सामने आ सके. लेकिन वह किसी न किसी तरीके से बच रहा था.

पढे़ं : क्रिकेट सट्टेबाज चावला अदालत के समक्ष पेश

फ्रांस स्थित यूरोपीय मानवाधिकार आयोग में भी की अपील
डीसीपी राम गोपाल नायक ने बताया कि आरोपी संजीव चावला पुलिस से बचने के लिए लगातार कानूनी हथकंडे अपना रहा था. वहां काफी समय तक उसने निचली अदालत एवं हाईकोर्ट में प्रत्यर्पण को टालने की कोशिश की . लेकिन भारत के गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की मदद से लगातार क्राइम ब्रांच इस केस में पैरवी करती रही. लंदन के हाईकोर्ट से भी जब उसे राहत नहीं मिली तो उसने फ्रांस स्थित यूरोपीय मानवाधिकार आयोग में अपील की थी. लेकिन वहां भी उसकी अपील खारिज हो गई, जिसके बाद उसके प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया.

20 साल बाद पहली बार होगी पूछताछ
डीसीपी ने बताया कि 9 फरवरी को क्राइम ब्रांच की एक टीम उसे लेने के लिए लंदन गई थी. 12 फरवरी को हीथ्रो एयरपोर्ट पर संजीव चावला को उन्हें सौंप दिया गया जिसके बाद दिल्ली पुलिस की एक टीम उसे लेकर दिल्ली आ गई है. उन्होंने बताया कि अदालत ने उसे 12 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है. उससे आरके पुरम स्थित क्राइम ब्रांच की टीम द्वारा 20 साल में पहली बार पूछताछ की जाएगी. उससे यह जानने की कोशिश की जाएगी कि इस मैच फिक्सिंग में कौन-कौन लोग शामिल थे. उस समय के कौन-कौन से खिलाड़ी उसके संपर्क में रहते थे. वह जिन खिलाड़ियों के नाम का खुलासा करेगा उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

Last Updated : Mar 1, 2020, 6:48 AM IST
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