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जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है : रूस

यूएनएससी में कश्मीर का मुद्दा उठाने की चीन के कोशिश पर रूसी दूत ने आगे यह कहा कि यह पूरी तरह से भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है.

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Published : Jan 17, 2020, 12:16 PM IST

Updated : Jan 17, 2020, 12:45 PM IST

नई दिल्ली : भारत में रूसी राजदूत, निकोले कुदाशेव विदेशी राजनयिकों की कश्मीर यात्रा पर बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है.

उन्होंने कहा कि जिन्हें कश्मीर पर भारत के रुख को लेकर शंकाएं हैं वे वहां जा सकते हैं, हमें कोई शंका नहीं है. यह बात रूसी दूत ने जम्मू कश्मीर जाने के लिए आमंत्रित न किए जाने पर कहा है. यूएनएससी में कश्मीर का मुद्दा उठाने की चीन के कोशिश पर रूसी दूत ने आगे यह कहा कि यह पूरी तरह से भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है.

बता दें कि पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के बाद विदेशी राजनयिकों की पहली ऐसी यात्रा के तहत अमेरिका समेत 15 देशों के दूतों ने जम्मू कश्मीर की नागरिक संस्थाओं के सदस्यों से बातचीत की थी. और इस दल को मुख्य सचिव बी. वी. आर. सुब्रमण्यम और पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय दल ने स्थिति से अवगत कराया.

यह विदेशी दल 9 जनवरी को (बृहस्पतिवार) कश्मीर घाटी पहुंचा था, जहां उसने चुनिंदा राजनीतिक प्रतिनिधियों, नागरिक संस्थाओं के सदस्यों और शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ बातचीत की थी. सरकार ने यह आलोचना नकार दी है कि यह 'निर्देशित यात्रा' है.

पिछले वर्ष अक्टूबर में यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने श्रीनगर की यात्रा की थी लेकिन दूतों को अब तक घाटी में नहीं जाने दिया गया था.

पढ़ें: इसरो ने सफलतापूर्वक लॉन्च किया संचार उपग्रह जीसैट-30

पांच अगस्त के बाद किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल की यह दूसरी जम्मू कश्मीर यात्रा थी. इससे पहले दिल्ली के थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर नन एलाइंड स्टडीज यूरोपीय संघ के 23 सांसदों को केंद्रशासित प्रदेश की स्थिति का जायजा लेने के लिए दो दिनों की यात्रा करायी थी.

नई दिल्ली : भारत में रूसी राजदूत, निकोले कुदाशेव विदेशी राजनयिकों की कश्मीर यात्रा पर बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है.

उन्होंने कहा कि जिन्हें कश्मीर पर भारत के रुख को लेकर शंकाएं हैं वे वहां जा सकते हैं, हमें कोई शंका नहीं है. यह बात रूसी दूत ने जम्मू कश्मीर जाने के लिए आमंत्रित न किए जाने पर कहा है. यूएनएससी में कश्मीर का मुद्दा उठाने की चीन के कोशिश पर रूसी दूत ने आगे यह कहा कि यह पूरी तरह से भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है.

बता दें कि पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के बाद विदेशी राजनयिकों की पहली ऐसी यात्रा के तहत अमेरिका समेत 15 देशों के दूतों ने जम्मू कश्मीर की नागरिक संस्थाओं के सदस्यों से बातचीत की थी. और इस दल को मुख्य सचिव बी. वी. आर. सुब्रमण्यम और पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय दल ने स्थिति से अवगत कराया.

यह विदेशी दल 9 जनवरी को (बृहस्पतिवार) कश्मीर घाटी पहुंचा था, जहां उसने चुनिंदा राजनीतिक प्रतिनिधियों, नागरिक संस्थाओं के सदस्यों और शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ बातचीत की थी. सरकार ने यह आलोचना नकार दी है कि यह 'निर्देशित यात्रा' है.

पिछले वर्ष अक्टूबर में यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने श्रीनगर की यात्रा की थी लेकिन दूतों को अब तक घाटी में नहीं जाने दिया गया था.

पढ़ें: इसरो ने सफलतापूर्वक लॉन्च किया संचार उपग्रह जीसैट-30

पांच अगस्त के बाद किसी विदेशी प्रतिनिधिमंडल की यह दूसरी जम्मू कश्मीर यात्रा थी. इससे पहले दिल्ली के थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर नन एलाइंड स्टडीज यूरोपीय संघ के 23 सांसदों को केंद्रशासित प्रदेश की स्थिति का जायजा लेने के लिए दो दिनों की यात्रा करायी थी.

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Last Updated : Jan 17, 2020, 12:45 PM IST
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