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रामलीला मैदान पहुंचे 27 राज्यों के सेवानिवृत्त कर्मचारी, न्यूनतम पेंशन ₹ 7500 करने की मांग

सेवानिवृत्त पेंशनभोगियों ने न्यूनतम पेंशन ₹7500 मासिक किए जाने की मांग की है. पेंशनभोगियों ने सरकार से अपने अधिकारों की रक्षा का भी आह्वान किया है. अपनी मांगों को लेकर 27 राज्यों के पेंशन भोगियों ने दिल्ली के रामलीला मैदान में एक सम्मेलन किया. जानें पूरा विवरण...

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न्यूनतम पेंशन ₹7500 मासिक किए जाने की मांग
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Published : Dec 8, 2019, 9:42 AM IST

Updated : Dec 8, 2019, 11:23 AM IST

नई दिल्ली : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफ) के 'ईपीएस 95 नेशनल एजीटेशन कमेटी' पेंशन भोगियों ने दिल्ली के रामलीला मैदान में सम्मेलन किया. यह सम्मेलन न्यूनतम पेंशन ₹7500 मासिक किए जाने समेत विभिन्न मांगों को लेकर किया गया.

इस दौरान 27 राज्यों से आए पीड़ित पेंशन भोगियों ने सरकार से आह्वान किया कि उनके अधिकारों की रक्षा की जाए और उनकी मांगें जल्द से जल्द पूरी हों. गौरतलब है कि यह पेंशनभोगी अपनी मांगों को लेकर देशभर में लगातार विरोध प्रदर्शन करते आए हैं.

न्यूनतम पेंशन ₹7500 मासिक किए जाने की उठी मांग

ईपीएस 95 नेशनल एजीटेशन कमेटी के अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि वह अपनी समस्याओं को लेकर पेंशनभोगियों के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह से भी मुलाकात कर ज्ञापन सौंप चुके हैं और ईपीएफ की शिकायत की थी.

उन्होंने कहा कि अगर अगले साल 25 जनवरी तक उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो देशभर में जन-आंदोलन होंगे. उन्होंने कहा कि घर पर बैठने से तो अच्छा है कि हम विरोध प्रदर्शन करें और सरकार से न्याय की मांग करें.

पेंशन भोगियों ने ईटीवी भारत के जरिए सरकार से मांग की

हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार उनकी बात सुनेगी और पेंशन कि समस्या का हल ज़रूर निकलेगा. अशोक राउत ने बताया कि कर्मचारियों को प्रतिमाह ₹60- ₹2500 तक की पेंशन दी जा रही है.

सेवानिवृत्त हो चुके औरंगाबाद से आए कमलाकर पहलाकर ने कहा कि सरकार द्वारा पेंशन न दिए जाने के कारण उनके घरवाले उनकी ज़रूरते पूरी नहीं करते हैं और यहां तक कि उनकी पत्नी भी अब उनसे पैसे न मिलने पर नाराज रहती हैं.

पढे़ं : पुरानी पेंशन स्कीम के लिए साइकिल यात्रा पर निकले नर्सिंग ऑफिसर बसंत प्रकाश

कानपुर के अशोक कुमार अग्रवाल का कहना था कि 10 हज़ार रुपए की आय पाने वाला व्यक्ति जब रिटायर होता है और जब उसका देहांत होता है तब उसके शव को जलाने के लिये पैसे तक नहीं होते हैं और उसकी चिता को जलाने के लिये चंदे की जरूरत पड़ती है क्योंकि उसे ना ही स्वास्थ्य सेवाएं मिली और ना ही उसके पीएफ खाते में जमा हुए 10 से 15 लाख रुपए की जमा राशि.

महाराष्ट्र से आए हुए विलास पाटील का कहना था कि उन्होंने अपनी नौकरी के दौरान प्रति माह ₹541 पीएफ खाते में दिए. यदि सरकार सिर्फ उतने पैसे ही वापस कर दे तो हमारी समस्याओं का हल हो जाएगा.

हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है और अब हम दिल्ली में ही अपनी जान दे देंगे लेकिन अपनी मेहनत की कमाई वापस लेकर रहेंगे.

ज्ञात हो कि पिछले दिनों केंद्रीय श्रम और रोजगार मामलों के राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने कहा था कि श्रम और रोजगार मंत्रालय में नागरिकों के लिए प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना को लांच किया है. यह एक स्वैच्छिक पेंशन स्कीम है जिसके तहत 60 साल की आयु के व्यक्ति को प्रति माह ₹3000 की पेंशन राशि निर्धारित की गई है.

उल्लेखनीय है कि कोशियारी कमेटी ने 2013 में ही तत्कालीन सरकार को अपनी सिफारिशें सुपुर्द कर दी थीं. इसके तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन की गारंटी और महंगाई भत्ता देने का प्रावधान है.

रिपोर्ट में किसी कर्मचारी की असमय मृत्यु के बाद उसके पति या पत्नी को सहायता राशि देने की भी सिफारिश इस कमिटी ने ही की थी.

नई दिल्ली : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफ) के 'ईपीएस 95 नेशनल एजीटेशन कमेटी' पेंशन भोगियों ने दिल्ली के रामलीला मैदान में सम्मेलन किया. यह सम्मेलन न्यूनतम पेंशन ₹7500 मासिक किए जाने समेत विभिन्न मांगों को लेकर किया गया.

इस दौरान 27 राज्यों से आए पीड़ित पेंशन भोगियों ने सरकार से आह्वान किया कि उनके अधिकारों की रक्षा की जाए और उनकी मांगें जल्द से जल्द पूरी हों. गौरतलब है कि यह पेंशनभोगी अपनी मांगों को लेकर देशभर में लगातार विरोध प्रदर्शन करते आए हैं.

न्यूनतम पेंशन ₹7500 मासिक किए जाने की उठी मांग

ईपीएस 95 नेशनल एजीटेशन कमेटी के अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि वह अपनी समस्याओं को लेकर पेंशनभोगियों के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह से भी मुलाकात कर ज्ञापन सौंप चुके हैं और ईपीएफ की शिकायत की थी.

उन्होंने कहा कि अगर अगले साल 25 जनवरी तक उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो देशभर में जन-आंदोलन होंगे. उन्होंने कहा कि घर पर बैठने से तो अच्छा है कि हम विरोध प्रदर्शन करें और सरकार से न्याय की मांग करें.

पेंशन भोगियों ने ईटीवी भारत के जरिए सरकार से मांग की

हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार उनकी बात सुनेगी और पेंशन कि समस्या का हल ज़रूर निकलेगा. अशोक राउत ने बताया कि कर्मचारियों को प्रतिमाह ₹60- ₹2500 तक की पेंशन दी जा रही है.

सेवानिवृत्त हो चुके औरंगाबाद से आए कमलाकर पहलाकर ने कहा कि सरकार द्वारा पेंशन न दिए जाने के कारण उनके घरवाले उनकी ज़रूरते पूरी नहीं करते हैं और यहां तक कि उनकी पत्नी भी अब उनसे पैसे न मिलने पर नाराज रहती हैं.

पढे़ं : पुरानी पेंशन स्कीम के लिए साइकिल यात्रा पर निकले नर्सिंग ऑफिसर बसंत प्रकाश

कानपुर के अशोक कुमार अग्रवाल का कहना था कि 10 हज़ार रुपए की आय पाने वाला व्यक्ति जब रिटायर होता है और जब उसका देहांत होता है तब उसके शव को जलाने के लिये पैसे तक नहीं होते हैं और उसकी चिता को जलाने के लिये चंदे की जरूरत पड़ती है क्योंकि उसे ना ही स्वास्थ्य सेवाएं मिली और ना ही उसके पीएफ खाते में जमा हुए 10 से 15 लाख रुपए की जमा राशि.

महाराष्ट्र से आए हुए विलास पाटील का कहना था कि उन्होंने अपनी नौकरी के दौरान प्रति माह ₹541 पीएफ खाते में दिए. यदि सरकार सिर्फ उतने पैसे ही वापस कर दे तो हमारी समस्याओं का हल हो जाएगा.

हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है और अब हम दिल्ली में ही अपनी जान दे देंगे लेकिन अपनी मेहनत की कमाई वापस लेकर रहेंगे.

ज्ञात हो कि पिछले दिनों केंद्रीय श्रम और रोजगार मामलों के राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने कहा था कि श्रम और रोजगार मंत्रालय में नागरिकों के लिए प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना को लांच किया है. यह एक स्वैच्छिक पेंशन स्कीम है जिसके तहत 60 साल की आयु के व्यक्ति को प्रति माह ₹3000 की पेंशन राशि निर्धारित की गई है.

उल्लेखनीय है कि कोशियारी कमेटी ने 2013 में ही तत्कालीन सरकार को अपनी सिफारिशें सुपुर्द कर दी थीं. इसके तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन की गारंटी और महंगाई भत्ता देने का प्रावधान है.

रिपोर्ट में किसी कर्मचारी की असमय मृत्यु के बाद उसके पति या पत्नी को सहायता राशि देने की भी सिफारिश इस कमिटी ने ही की थी.

Intro:नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफ) के 'ईपीएस 95 नेशनल एजीटेशन कमेटी' पेंशन भोगियों ने शनिवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में न्यूनतम पेंशन ₹7500 मासिक किए जाने समेत विभिन्न मांगों को लेकर सम्मेलन किया। इस दौरान 27 राज्यों से आए पीड़ित पेंशन भोगियों ने सरकार से आह्वान किया कि उनके अधिकारों की रक्षा की जाए और उनकी मांगें जल्द से जल्द पूरी हों।

यह पेंशनभोगी अपनी मांगों को लेकर देशभर में लगातार विरोध प्रदर्शन करते आए हैं। ईपीएस 95 नेशनल एजीटेशन कमेटी के अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि वह अपनी समस्याओं को लेकर पेंशनभोगियों के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह से भी मुलाकात कर ज्ञापन सौंप चुके हैं और ईपीएफ की शिकायत की थी।


Body:उन्होंने कहा कि अगर अगले साल 25 जनवरी तक उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो देशभर में जन-आंदोलन होंगे। उन्होंने कहा कि घर पर बैठने से तो अच्छा है कि हम विरोध प्रदर्शन करें और सरकार से न्याय की मांग करें। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार उनकी बात सुनेगी और पेंशन कि समस्या का हल ज़रूर निकलेगा। अशोक राउत ने बताया कि कर्मचारियों को प्रतिमाह ₹60- ₹2500 तक की पेंशन दी जा रही है।

सेवानिवृत्त हो चुके औरंगाबाद से आए कमलाकर पहलाकर ने कहा कि सरकार द्वारा पेंशनर दिए जाने के कारण उनके घरवाले उनकी ज़रूरते पूरी नहीं करते हैं और यहां तक कि उनकी पत्नी भी अब उनसे पैसे न मिलने पर नाराज़ रहती हैं।

कानपुर के अशोक कुमार अग्रवाल का कहना था कि 10 हज़ार रुपए की आय पाने वाला व्यक्ति जब रिटायर होता है और जब उसका देहांत होता है तब उसके शव को जलाने के लिये पैसे तक नहीं होते हैं और उसकी चिता को जलाने के लिये चंदे की ज़रूरत पड़ती है क्योंकि उसे ना ही स्वास्थ्य सेवाएं मिली और ना ही उसके पीएफ खाते में जमा हुए 10 से 15 लाख रुपए की जमा राशि।

महाराष्ट्र से आए हुए विलास पाटील का कहना था कि उन्होंने अपनी नौकरी के दौरान प्रति माह ₹541 पीएफ खाते में दिए यदि सरकार सिर्फ उतने पैसे ही वापस कर दे तो हमारी समस्याओं का हल हो जाएगा। हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है और अब हम दिल्ली में हूं अपनी जान दे देंगे लेकिन अपनी मेहनत की कमाई वापस लेकर रहेंगे।


Conclusion:ज्ञात हो कि पिछले दिनों केंद्रीय श्रम और रोजगार मामलों के राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने कहा था कि श्रम और रोजगार मंत्रालय में नागरिकों के लिए प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना को लांच किया है। यह एक स्वैच्छिक पेंशन स्कीम है जिसके तहत 60 साल की आयु के व्यक्ति को प्रति माह ₹3000 की पेंशन राशि निर्धारित की गई है।

उल्लेखनीय है कि कोशियारी कमेटी ने 2013 में ही तत्कालीन सरकार को अपनी सिफारिशें सुपुर्द कर दी थीं। इसके तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन की गारंटी और महंगाई भत्ता देने का प्रावधान है। रिपोर्ट में किसी कर्मचारी की असमय मृत्यु के बाद उसके पति या पत्नी को सहायता राशि देने की भी सिफारिश इस कमिटी ने ही की थी।
Last Updated : Dec 8, 2019, 11:23 AM IST
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