नई दिल्ली: प्रशासकों की समिति (सीओए) ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) से अपील करते हुए कहा कि वे विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी के दस्तानों पर बने सेना के चिह्न् को मंजूरी दे. वहीं, खेल जगत के साथ साथ अन्य हस्तियों ने भी विकेटकीपर के दस्तानों पर बने चिन्ह संबंधित मुद्दे पर उनका समर्थन किया.
पूर्व सेनाध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने धोनी का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि बलिदान बैज से धोनी के सुरक्षाबलों के प्रति स्नेह और आदर का पता चलता है. उन्होंने आगे कहा कि आईसीसीसी को समझने की जरूरत है कि यह किसी भी राजनीतिक और धार्मिक नहीं है. यह राष्ट्रीय गर्व से जुड़ा हुआ है.
खेल मंत्री किरण रिजिजू ने बीसीसीआई से महेंद्र सिंह धोनी के मामले को निपटाने को कहा. रिजिजू ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'यह देश की भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है, देश के हित का ध्यान रखा जाना चाहिए. मैं बीसीसीआई से महेंद्र सिंह धोनी के संबंध में सही कदम उठाने का अनुरोध करूंगा.'
तारेक फतह की आईसीसी को फटकार
धोनी का समर्थन करते हुए पाकिस्तानी मूल के लेखक तारेक फतह ने आईसीसी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. फतह ने ट्वीट करते हुए लिखा कि यह मजाक है, आईसीसी ने भारतीय विकेटकीपर और लेफ्टिनेंट कर्नल एमएस धोनी से अपने दस्तानों से सैन्य प्रतीक को हटाने के लिए कहा है. बीसीसीआई को धोनी का समर्थन करना चाहिए और उन्हें ग्लव्स पहनने चाहिए. उन्होंने आगे लिखा कि इस विश्व कप में जहां बिना मूंछ के दाढ़ी रखने वाले इस्लामिक लोगों को बर्दाश्त किया जा रहा है, वहां धोनी के दस्ताने क्या नुकसान पहुंचाएंगे.
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि आईसीसी को क्रिकेट के मैदान पर नमाज पढ़ने वाली पूरी पाकिस्तानी टीम से कोई दिक्कत नहीं है, जो यहूदियों और ईसाइयों को बदनाम करती है. लेकिन धोनी के दस्ताने उसे गलत लगते हैं.
स्वामी बोले धोनी विवाद खत्म करें
वहीं, बीजेपी नेता स्वामी ने भी ग्लव्स विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि महेंद्र सिंह धोनी को बिना मांगी गई सलाह है कि अगर वे आईसीसी के नियमों से सहमत हैं, तो आपका कुछ भी नुकसान नहीं होता है. इस विवाद को खत्म करो. इसका आपके क्रिकेट से कोई लेना देना नहीं है. इस विवाद को देश विरोधी ताकतें तूल देना चाहती हैं.
कांग्रेस ने धोनी का किया समर्थन
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने 'धोनी कीप द ग्लव्स' हैशटैग के साथ ट्वीट किया और कहा, 'एम.एस. धोनी भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल हैं. इसके अलावा उनके पास विशेष बल की मानद उपाधि है. आईसीसी का नियम कहता है कि किसी भी प्रकार का राजनीतिक, धार्मिक या नस्लभेदी चिह्न् या संकेत प्लेयिंग आउटफिट के साथ जुड़ा नहीं होना चाहिए. चिह्न् इनमें से एक भी नहीं है.'
बता दें, धोनी पैराशूट रेजीमेंट में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल हैं और कृपाण उनका प्रतीक चिन्ह है.
दरअसल, इंग्लैंड एंड वेल्स में जारी विश्व कप में भारत के पहले मैच में धोनी को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ विकेटकीपिंग दस्तानों पर भारतीय पैरा स्पेशल फोर्स के चिह्न् का इस्तेमाल करते देखा गया था. इसके बाद, आईसीसी ने बीसीसीआई से कहा था कि वह धोनी के दस्तानों पर से यह चिह्न् हटवाए.
प्रशंसको ने जहां उनके इस कदम की प्रशंसा की तो विश्व में क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था आईसीसी ने बीसीसीआई से धोनी को दस्ताने से चिन्ह हटाने के लिये कहने को कहा था. इस संदर्भ में उसने नियमों का हवाला दिया जो खिलाड़ियों को 'राजनीतिक, धार्मिक या जातीय गतिविधियों या किसी उद्देश्य के लिये संदेश का प्रदर्शन करने से रोकते हैं.'
प्रशासकों की समिति (सीओए) प्रमुख विनोद राय ने कहा कि महेंद्र सिंह धोनी विकेटकीपिंग के अपने दस्तानों पर कृपाण वाला चिन्ह लगाना जारी रख सकते हैं क्योंकि यह सेना से जुड़ा नहीं है. उन्होंने इसके साथ ही कहा कि बीसीसीआई ने इसको लेकर आईसीसी से मंजूरी देने के लिये कहा है जिस पर विश्व संस्था विचार कर रही है.
राय ने कहा, 'बीसीसीआई पहले ही मंजूरी के लिये आईसीसी को औपचारिक अनुरोध कर चुका है. आईसीसी के नियमों के अनुसार खिलाड़ी कोई व्यावसायिक, धार्मिक या सेना का लोगो नहीं लगा सकता है. हम सभी जानते हैं कि इस मामले में व्यावसायिक या धार्मिक जैसा कोई मामला नहीं है.'
उन्होंने कहा, 'और यह अर्द्धसैनिक बलों का चिन्ह भी नहीं है और इसलिए धोनी ने आईसीसी के नियमों को उल्लंघन नहीं किया है.'