भोपालः बात मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की है. जिले की बिजावर तहसील में केदारनाथ बिशवारी नाम के एक व्यक्ति रहते हैं. केदारनाथ की एक साधारण सी किराने की दुकान है. पर यह वो बात नहीं जो उनको खास बनाती है. उन्हें खास बनाती है गीता.
केदारनाथ के पास एक डेढ़ इंच चौड़ी और दो इंच लंबी एक भागवत गीता है. इस गीता की खास बात यह है कि बेहद छोटी होने के बावजूद इसमें लिखे शब्दों को बड़े आराम से बिना चश्मे के पढ़ा जा सकता है. यह भागवत गीता बेहद दुर्लभ पुस्तकों में से एक है.
केदारनाथ से जब यह पूछा गया कि, यह भागवत गीता उनके पास कहां से आई और कब से उनके पास है? केदारनाथ ने बताया कि उनके पिता को पुस्तकों को संग्रहित करने का शौक था. यह भागवत गीता उन्ही पुस्तकों में से एक है.
उन्होंने बताया कि यह गीता उन्हें 60 साल पहले उनके पिता से प्राप्त हुई थी. यह उन्हें विरासत में मिली, और तब से यह उनके पास सुरक्षित है. यह भागवत गीता उनके पिताजी के पास कहां से और कैसे पहुंची, इसकी उन्हें कोई भी जानकारी नहीं है.
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क्या है गीता
हिन्दू धर्म में श्रीमद्भागवत गीता का शीर्ष स्थान है. आधुनिक युग में भी गीता में लिखे उपदेशों को काफी अहम माना गया है. गौरतलब है कि, कौरवों और पांडवों के बीच हुए महाभारत युद्ध के समय भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिए थे. इसी उपदेश के 700 श्लोकों का संग्रह श्रीमद्भागवत गीता है.