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मध्यप्रदेश के केदारनाथ ने 60 साल से संजो रखी है गीता, जानें क्या है खासियत

मध्य प्रदेश के छतरपुर में एक व्यक्ति के पास एक अनोखी गीता है. यह गीता 80 साल से ज्यादा पुरानी है. गीता के बारे में और जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 19, 2019, 11:26 PM IST

यह हो सकती है देश की सबसे छोटी भागवत गीता

भोपालः बात मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की है. जिले की बिजावर तहसील में केदारनाथ बिशवारी नाम के एक व्यक्ति रहते हैं. केदारनाथ की एक साधारण सी किराने की दुकान है. पर यह वो बात नहीं जो उनको खास बनाती है. उन्हें खास बनाती है गीता.

केदारनाथ के पास एक डेढ़ इंच चौड़ी और दो इंच लंबी एक भागवत गीता है. इस गीता की खास बात यह है कि बेहद छोटी होने के बावजूद इसमें लिखे शब्दों को बड़े आराम से बिना चश्मे के पढ़ा जा सकता है. यह भागवत गीता बेहद दुर्लभ पुस्तकों में से एक है.

80 साल पुरानी भागवत गीता

केदारनाथ से जब यह पूछा गया कि, यह भागवत गीता उनके पास कहां से आई और कब से उनके पास है? केदारनाथ ने बताया कि उनके पिता को पुस्तकों को संग्रहित करने का शौक था. यह भागवत गीता उन्ही पुस्तकों में से एक है.

उन्होंने बताया कि यह गीता उन्हें 60 साल पहले उनके पिता से प्राप्त हुई थी. यह उन्हें विरासत में मिली, और तब से यह उनके पास सुरक्षित है. यह भागवत गीता उनके पिताजी के पास कहां से और कैसे पहुंची, इसकी उन्हें कोई भी जानकारी नहीं है.

पढ़ें-रंग लाई ईटीवी भारत की मुहिम, आजादी के बाद पहली बार इस स्कूल को मिलेगा भवन

क्या है गीता
हिन्दू धर्म में श्रीमद्भागवत गीता का शीर्ष स्थान है. आधुनिक युग में भी गीता में लिखे उपदेशों को काफी अहम माना गया है. गौरतलब है कि, कौरवों और पांडवों के बीच हुए महाभारत युद्ध के समय भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिए थे. इसी उपदेश के 700 श्लोकों का संग्रह श्रीमद्भागवत गीता है.

भोपालः बात मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की है. जिले की बिजावर तहसील में केदारनाथ बिशवारी नाम के एक व्यक्ति रहते हैं. केदारनाथ की एक साधारण सी किराने की दुकान है. पर यह वो बात नहीं जो उनको खास बनाती है. उन्हें खास बनाती है गीता.

केदारनाथ के पास एक डेढ़ इंच चौड़ी और दो इंच लंबी एक भागवत गीता है. इस गीता की खास बात यह है कि बेहद छोटी होने के बावजूद इसमें लिखे शब्दों को बड़े आराम से बिना चश्मे के पढ़ा जा सकता है. यह भागवत गीता बेहद दुर्लभ पुस्तकों में से एक है.

80 साल पुरानी भागवत गीता

केदारनाथ से जब यह पूछा गया कि, यह भागवत गीता उनके पास कहां से आई और कब से उनके पास है? केदारनाथ ने बताया कि उनके पिता को पुस्तकों को संग्रहित करने का शौक था. यह भागवत गीता उन्ही पुस्तकों में से एक है.

उन्होंने बताया कि यह गीता उन्हें 60 साल पहले उनके पिता से प्राप्त हुई थी. यह उन्हें विरासत में मिली, और तब से यह उनके पास सुरक्षित है. यह भागवत गीता उनके पिताजी के पास कहां से और कैसे पहुंची, इसकी उन्हें कोई भी जानकारी नहीं है.

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क्या है गीता
हिन्दू धर्म में श्रीमद्भागवत गीता का शीर्ष स्थान है. आधुनिक युग में भी गीता में लिखे उपदेशों को काफी अहम माना गया है. गौरतलब है कि, कौरवों और पांडवों के बीच हुए महाभारत युद्ध के समय भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिए थे. इसी उपदेश के 700 श्लोकों का संग्रह श्रीमद्भागवत गीता है.

Intro:स्पेशल
बिजावर-म.प्र-
डेढ़ इंच चौड़ी दो इंच लंबी भागवत गीता-देश की सबसे छोटी गीता साबित हो सकती है ----

छतरपुर जिले की बिजावर तहसील में साधारण सी एक छोटी किराने की दुकान चलाने वाले केदारनाथ बिशवारी के पास एक डेढ़ इंच चौड़ी और दो इंच लंबी भागवत गीता है यह गीता खास इसीलिए है क्योंकि बेहद छोटी होने के बावजूद भी इसमें लिखे शब्दों को साफ़ तौर पर बिना चश्मे के इसे पढ़ सकते हैं यह भागवत गीता बेहद दुर्लभ पुस्तको में से एक है इसीलिए इस भागवत गीता को देश की सबसे छोटी भागवत गीता माना जा सकता है!




Body:
हिन्दू धर्म मान्यता के अनुसार भागवत गीता का सर्बश्रेष्ठ स्थान है आधुनिक युग मे भी एक बार पड़ने मात्र से और गीता में लिखे उपदेशो से इंसानो का जीवन ही बदल जाता है

ग्रंथो के अनुसार कौरवों और पांडवों के बीच हुए महाभारत युद्ध के समय भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को धर्म-अधर्म के जो उपदेश दिए गए उसका इस भगवत गीता में पूर्णवर्णन किया गया है,जिसे इस गीता में स्पष्ठ रूप से पढ़ना आसान है



Conclusion:

बिजावर निवासी केदारनाथ विशवारी से जब यह जाना गया कि यह भगवद्गीता उनके पास कहां से आई और कब से उनके पास है तो केदारनाथ बिशवारी में बताया कि उनके पिता को पुस्तके संग्रह करने का बड़ा शौक था उन्ही पुस्तको में से एक है यह भागवद गीता साठ साल पहले उनके पिता से प्राप्त हुई थी उन्हें उनके पिता के द्वारा विरासत में मिली है और तब से ही यह भगवत गीता उनके पास सुरक्षित है यह भगवद गीता उनके पास लगभग 80 वर्ष पहले से सुरक्षित है साथ ही उन्होंने बताया कि उनके पिताजी के पास यह भागवत गीता कहां से और कैसे पहुंची इसकी कोई जानकारी नहीं है
इतनी छोटी भागवत गीता का सुरक्षित रखना भी खास बात है साथ ही परिवार के सदस्यों का भी पूर्ण सहयोग मिलता है

बाईट-1-केदारनाथ बिशवारी
बाईट-2- गोल्डी बिशवारी (पुत्री केदारनाथ बिशबारी )

स्पेशल-
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