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सरकार के पास हो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के गाइडलाइन्स की जानकारी : राजीव चंद्रशेखर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नकेल कसने के लिए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने पर विवाद खड़ा हो गया है. भारत में भी अक्सर सोशल मीडिया और अभिव्यक्ति की सीमा को लेकर सवाल होते रहते हैं. इस संबंध में राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर का मानना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की गाइडलाइन्स के बारे में सरकार को पूरी जानकारी होनी चाहिए, ताकि किसी के साथ कोई भेदभाव न किया जा सके.

ईटीवी भारत से बात करते राजीव चंद्रशेखर
ईटीवी भारत से बात करते राजीव चंद्रशेखर
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Published : May 31, 2020, 8:04 AM IST

नई दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्विटर से चल रही तनातनी के बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नकेल कसने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया है. इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि ट्विटर और अमेरिका विवाद कई महीनों से चल रहा है. कम्यूनिटी गाइडलाइन्स के बारे में जो यह तय करता है कि कौन से ट्वीट को बढ़ाना है और किसको म्यूट करना है. ट्रंप का आरोप है कि यह प्रक्रिया भेदभाव करने वाली है.

ट्विटर पर यह आरोप पिछले कई महीनों से लग रहे हैं. हालांकि ट्विटर ने अपने कम्यूनिटी गाइडलाइन्स को बदलने से इंकार कर दिया है. सोशल मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर ईटीवी भारत ने राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर से बात की.

चंद्रशेखर ने कहा कि मुझे लगता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्थिति पर प्रतिक्रिया दी है, क्योंकि अमेरिका में चुनाव भी होने वाले हैं और इस प्लेटफॉर्म पर वहां काफी प्रभाव है. इसलिए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि यदि आप एल्गोरिदम से पक्षपात खत्म नहीं करोगे, तो मैं एक आदेश पारित करूंगा, जो प्रकाशकों के रूप में आपकी सुरक्षा को छीन लेगा.

भारत के संदर्भ में सोशल मीडिया को लेकर चंद्रशेखर ने कहा कि हमारी जो स्थिति है, उसमें अंतर है. ट्विटर, फेसबुक कोई भी एल्गोरिदम हो आप उसका उपयोग करते हैं और वह भेदभाव कर रहा है तो आपको बताना पड़ेगा कि आप क्या तर्क इस्तेमाल कर रहे हैं.

ईटीवी भारत से बात करते राजीव चंद्रशेखर

उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कह रहा कि सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगना चाहिए या एक विचार हों और दूसरे न हों. बकौल चंद्रशेखर, 'सोशल मीडिया की गाइडलाइन्स के बारे में सरकार को जानकारी होनी चाहिए ताकि कोई भेदभाव न हो सके.'

उन्होंने कहा, सोशल मीडिया इस बात का निर्णय नहीं कर सकते कि वह लेफ्ट का स्पोर्ट करेंगे या राइट विंग का. चूंकि यह अनुच्छेद 19 के तहत फ्री स्पीच का उल्लंघन है, इसलिए कुछ परिस्थितियों में फ्री स्पीच पर प्रतिबंध हो सकता है.

चंद्रशेखर ने कहा कि पिछले साल जुलाई में मैंने सिफारिश की थी कि इस मुद्दे पर संसद में चर्चा होनी चाहिए और सरकार को संसद में एक एल्गोरिदम जवाबदेही बिल लाना चाहिए. सभी प्लेटफार्मों को अपने सामुदायिक दिशानिर्देशों का खुलासा करना चाहिए, ताकि सरकार या स्वतंत्र नियामक यह सुनिश्चित कर सके कि इसमें कोई भेदभाव नहीं है. साथ सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को शपथपत्र देना चाहिए कि इसमें कोई पक्षपात नहीं होगा.

पढ़ें- अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने किया डब्ल्यूएचओ से संबंध समाप्त करने का एलान

गौरतलब है कि बता दें कि ट्विटर ने ट्रंप के दो ट्विटों को भ्रामक बताते हुए उन्हें मेल-इन वोटिंग में चिन्हित किया था. ट्विटर द्वारा पहली बार ट्रंप के ट्वीटों की सत्यता की जांच किए जाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर हमला बोला था.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गत बुधवार को ट्विटर पर निशाना साधते हुए कहा, 'ट्विटर अब साल 2020 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दखल दे रहा है. वे कह रहे हैं कि मेल-इन बैलट्स के बारे में मैंने जो बयान दिया है, उससे एक बड़े भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े की उत्पत्ति होगी. यह गलत है. यह फेक न्यूज सीएनएन और एमेजॉन वॉशिंगटन पोस्ट की फैक्ट चेकिंग पर आधारित है.'

उन्होंने आगे यह भी कहा, 'ट्विटर पूरी तरह से हमारी स्वतंत्रता पर प्रहार कर रहा है. एक राष्ट्रपति के तौर पर मैं ऐसा करने की अनुमति नहीं दूंगा.'

नई दिल्ली : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्विटर से चल रही तनातनी के बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नकेल कसने के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया है. इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि ट्विटर और अमेरिका विवाद कई महीनों से चल रहा है. कम्यूनिटी गाइडलाइन्स के बारे में जो यह तय करता है कि कौन से ट्वीट को बढ़ाना है और किसको म्यूट करना है. ट्रंप का आरोप है कि यह प्रक्रिया भेदभाव करने वाली है.

ट्विटर पर यह आरोप पिछले कई महीनों से लग रहे हैं. हालांकि ट्विटर ने अपने कम्यूनिटी गाइडलाइन्स को बदलने से इंकार कर दिया है. सोशल मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर ईटीवी भारत ने राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर से बात की.

चंद्रशेखर ने कहा कि मुझे लगता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्थिति पर प्रतिक्रिया दी है, क्योंकि अमेरिका में चुनाव भी होने वाले हैं और इस प्लेटफॉर्म पर वहां काफी प्रभाव है. इसलिए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि यदि आप एल्गोरिदम से पक्षपात खत्म नहीं करोगे, तो मैं एक आदेश पारित करूंगा, जो प्रकाशकों के रूप में आपकी सुरक्षा को छीन लेगा.

भारत के संदर्भ में सोशल मीडिया को लेकर चंद्रशेखर ने कहा कि हमारी जो स्थिति है, उसमें अंतर है. ट्विटर, फेसबुक कोई भी एल्गोरिदम हो आप उसका उपयोग करते हैं और वह भेदभाव कर रहा है तो आपको बताना पड़ेगा कि आप क्या तर्क इस्तेमाल कर रहे हैं.

ईटीवी भारत से बात करते राजीव चंद्रशेखर

उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कह रहा कि सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगना चाहिए या एक विचार हों और दूसरे न हों. बकौल चंद्रशेखर, 'सोशल मीडिया की गाइडलाइन्स के बारे में सरकार को जानकारी होनी चाहिए ताकि कोई भेदभाव न हो सके.'

उन्होंने कहा, सोशल मीडिया इस बात का निर्णय नहीं कर सकते कि वह लेफ्ट का स्पोर्ट करेंगे या राइट विंग का. चूंकि यह अनुच्छेद 19 के तहत फ्री स्पीच का उल्लंघन है, इसलिए कुछ परिस्थितियों में फ्री स्पीच पर प्रतिबंध हो सकता है.

चंद्रशेखर ने कहा कि पिछले साल जुलाई में मैंने सिफारिश की थी कि इस मुद्दे पर संसद में चर्चा होनी चाहिए और सरकार को संसद में एक एल्गोरिदम जवाबदेही बिल लाना चाहिए. सभी प्लेटफार्मों को अपने सामुदायिक दिशानिर्देशों का खुलासा करना चाहिए, ताकि सरकार या स्वतंत्र नियामक यह सुनिश्चित कर सके कि इसमें कोई भेदभाव नहीं है. साथ सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को शपथपत्र देना चाहिए कि इसमें कोई पक्षपात नहीं होगा.

पढ़ें- अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने किया डब्ल्यूएचओ से संबंध समाप्त करने का एलान

गौरतलब है कि बता दें कि ट्विटर ने ट्रंप के दो ट्विटों को भ्रामक बताते हुए उन्हें मेल-इन वोटिंग में चिन्हित किया था. ट्विटर द्वारा पहली बार ट्रंप के ट्वीटों की सत्यता की जांच किए जाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर हमला बोला था.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गत बुधवार को ट्विटर पर निशाना साधते हुए कहा, 'ट्विटर अब साल 2020 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दखल दे रहा है. वे कह रहे हैं कि मेल-इन बैलट्स के बारे में मैंने जो बयान दिया है, उससे एक बड़े भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े की उत्पत्ति होगी. यह गलत है. यह फेक न्यूज सीएनएन और एमेजॉन वॉशिंगटन पोस्ट की फैक्ट चेकिंग पर आधारित है.'

उन्होंने आगे यह भी कहा, 'ट्विटर पूरी तरह से हमारी स्वतंत्रता पर प्रहार कर रहा है. एक राष्ट्रपति के तौर पर मैं ऐसा करने की अनुमति नहीं दूंगा.'

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