नई दिल्ली : रेलवे ने कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते पूर्वी रेलवे और पश्चिमी डेडीकेटेड फ्रंट कॉरिडोर को पूरा करने की समय सीमा छह महीने के लिए बढ़ा दी है. इसे अब जून 2022 तक पूरा किया जाएगा. रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने इस बात की जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि इससे पहले इस कॉरिडोर को दिसंबर 2021 तक पूरा करने की योजना थी, जिसका उद्देश्य रेलवे नेटवर्क को कम करना, माल की क्षमता बढ़ाना और माल की तेज आवाजाही सुनिश्चित करना था.
वीके यादव ने कहा कि यह परियोजना राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण दो महीने के लिए बंद हो गई थी. हम अपने सभी कर्मचारियों को वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं.
आंकड़ों के अनुसार, 19 अगस्त, 2020 को रेलवे द्वारा किया जाने वाला माल लोडिंग 3.11 मिलियन टन था, जो पिछले साल 2.97 मिलियन टन था.
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी के यादव ने कहा कि देशभर में घर तक सामान पहुंचाने के लिए रेलवे, भारतीय डाक की सेवाओं के इस्तेमाल पर विचार कर रहा है. महाराष्ट्र में मध्य रेलवे द्वारा इस प्रकार की परियोजना चलाई गई थी.
मध्य रेलवे और भारतीय डाक की संयुक्त सेवा भारतीय डाक रेलवे पार्सल सेवा का इस्तेमाल लॉकडाउन के दौरान दो वेंटिलेटर को नागपुर से मुंबई भेजने के लिए किया गया था. घर से घर तक सामान पहुंचाने की इस सेवा में चौबीस घंटे लगे थे.
यादव ने संवाददाताओं से कहा कि यह घर से घर तक सामान पहुंचाने की सेवा है. मध्य रेलवे ने पायलट परियोजना शुरू की थी और अब हम इसे पूरे देश में शुरू करना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि इसे डाक सेवा के सहयोग से शुरू किया जा सकता है. रेलवे एक छोर से दूसरे छोर तक लंबी दूरी के लिए सेवा में लगी हुई है.
रेलवे बोर्ड चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने कहा कि पिछले और इस फाइनेंशियल ईयर में रेलवे एक्सीडेंट्स में जीरो डेथ रही है. 2018- 19 में 16 डेथ हुई थीं. पिछले तीन सालों में 29000-30000 दुखद मृत्यु (ट्रेन से झांकते हुए और रेलवे ट्रैक पर गिरने से) हुई हैं. इन्हें कम करने के लिए हम पूरी तरह से प्रयासरत हैं.
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यादव ने कहा कि रेलवे में होने वाले एक्सीडेंट्स की वजह से 2010-11 में 235 मौतें, 2011-12 में 100, 2014-15 में 118, 2016-17 में 195 मौतें हुई थीं. सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों की वजह से 2019-20 में घटकर जीरो हुई हैं.
उन्होंने बताया कि रेलवे पटरियों पर अनधिकृत प्रवेश और अप्रिय घटनाओं के कारण पिछले ती वर्षों में लगभग 30,000 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.