नई दिल्ली: एक देश, एक चुनाव पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक खत्म हो गई. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अधिकांश राजनीतिक दलों ने इस पर व्यापक सहमति जताई है. उनके अनुसार वाम पार्टियों की राय अलग है, लेकिन इस विचार का उन्होंने विरोध नहीं किया. इसे किस तरह से लागू किया जाए, इस पर वाम दलों की राय अलग है.
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि समयबद्ध तरीके से वन नेशन, वन इलेक्शन पर अपने सुझाव देने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा.
आपको बता दें कि बैठक से कई दल नदारद थे. टीएमसी, सपा, बसपा ने इसमें हिस्सा नहीं लिया.
बता दें, इस बैठक में शामिल होने के लिए सभी विपक्षी दलों को न्योता दिया गया था. YSR, BJD और TRS जैसी पार्टियां इस बैठक में शामिल हुईं. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी सहित NCP प्रमुख शरद पवार भी इस बैठक में शामिल हुए.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया. उन्होंने इस बैठक को छ्लावा बताया है.
मायावती ने कहा कि किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव कभी समस्या नहीं हो सकते और न ही चुनाव को धन के व्यय-अपव्यय से तौलना सही है.
उन्होंने कहा कि देश में 'एक देश, एक चुनाव' की बात वास्तव में गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी और बढ़ती हिंसा जैसे ज्वलंत राष्ट्रीय समस्याओं से ध्यान बांटने का प्रयास और छलावा मात्र है.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि बैलट पेपर के बजाय ईवीएम के माध्यम से चुनाव की सरकारी जिद से देश के लोकतंत्र व संविधान को असली खतरा है.
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उन्होंने कहा कि ईवीएम के प्रति जनता का विश्वास चिंताजनक स्तर तक घट चुका है. ऐसे में अगर इस घातक समस्या पर विचार करने के लिए बैठक बुलाई गई होती तो मैं जरूर उसमें शामिल होती.
वहीं इस बैठक के दौरान आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की पार्टी ने एक देश एक चुनाव का समर्थन किया. उनका कहना है कि इससे चुनाव खर्च कम होगा और समय भी बचेगा.
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बैठक से पहले इस बारे में जानकारी देती ईटीवी भारत की संवाददाता.
कहां-कहां यह व्यवस्था है लागू
इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी, स्पेन, हंगरी, स्लोवेनिया, अल्बानिया, पोलैंड, बेल्जियम में भी एक साथ चुनाव कराए जाते हैं.
स्वीडन में भी पिछले साल सितंबर में आम चुनाव, काउंटी और नगर निगम के चुनाव एक साथ कराए गए थे.