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झारखंड की शर्मनाक तस्वीर : डेकची में स्कूल जाते हैं बच्चे, मरीजों के लिए 'वाटर खाट एंबुलेंस'

घाटशिला अनुमंडल के मुसाबनी प्रखंड के स्वासपुर गांव के लोग पुल नहीं होने से डेकची और खाट के सहारे गहरी नदी पार करते हैं. इस गांव के आस-पास करीब 10 गांव हैं. इसके बावजूद गांव को सड़क से जोड़ने का रास्ता नहीं है. 10 से 15 किलोमीटर घूमकर शहर जाने का रास्ता है. सबसे ज्यादा तकलीफ गर्भवती महिला, बुजुर्ग और बच्चों को होती है.

जमशेदपुर में 'वाटर खाट एंबुलेंस' का इस्तेमाल करते लोग
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Published : Sep 9, 2019, 9:35 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 1:24 AM IST

घाटशिला/पूर्वी सिंहभूम: घाटशिला अनुमंडल के मुसाबनी प्रखंड के स्वासपुर गांव के लोग पुल और सड़क नहीं होने पर झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव 2019 का बहिष्कार करेंगे. ग्रामीणों का दर्द उस वक्त छलकता है, जब ग्रामीण बताते हैं कि किस तरह से बच्चों को बड़े-बड़े डेकची में बैठाकर नदी पार कराते हैं. मरीजों को ट्यूब के ऊपर खटिया डालकर नदी पार करके जमशेदपुर लाते हैं.

ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि शादी के लिए घर में लड़का लड़की हैं, लेकिन लोग इस गांव में विकास नहीं होने से शादी भी नहीं कर पा रहे हैं. हम लोग काफी परेशान हैं. मरीज को खटिया में ले जाते हैं तो बच्चों को स्कूल डेकची में बैठाकर ले जाते हैं. इस गांव के आस-पास करीब 10 गांव हैं. इसके बावजूद गांव को सड़क से जोड़ने का रास्ता नहीं है. 10 से 15 किलोमीटर घूमकर लोग शहर जाने के लिए रास्ता लेते हैं.

घाटशिला के बदतर हालात, देखें रिपोर्ट

स्वासपुर गांव में ज्यादातर ग्रामीण किसान हैं. यहां सब्जी की खेती खूब होती है. इस गांव कोई पुल नहीं है. ग्रामीणों को नदी को पार करके आना-जाना करना पड़ता है.

सबसे ज्यादा तकलीफ गर्भवती महिलाओं को होती है. उनको जरुरत के समय लाने ले जाने में बेहद तकलीफ होती है. गांव में कोई बीमार हो जाए तो ग्रामीण उसको ट्यूब पर खटिया डालकर उसपर मरीज को लिटाकर डॉक्टर के पास ले जाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि 1976 से वो इस गांव में रह रहे हैं. उस वक्त नदी छोटी थी, लेकिन अब नदी बहुत गहरी हो गई है. ग्रामीण कई सालों से इस नदी पर पुल की मांग कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- सुनिए, बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़े पर क्या है केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत का तर्क

मामले को लेकर मुसाबनी के अनुमंडल विकास पदाधिकारी (बीडीओ) का कहना है कि यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) से कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के तहत यहां एक लोहे का ब्रिज बनाने को कहा गया है. हालांकि समय की कमी के कारण अब तक निर्माण नहीं हो सका है. जल्द ही पुल का निर्माण कराया जाएगा.

घाटशिला/पूर्वी सिंहभूम: घाटशिला अनुमंडल के मुसाबनी प्रखंड के स्वासपुर गांव के लोग पुल और सड़क नहीं होने पर झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव 2019 का बहिष्कार करेंगे. ग्रामीणों का दर्द उस वक्त छलकता है, जब ग्रामीण बताते हैं कि किस तरह से बच्चों को बड़े-बड़े डेकची में बैठाकर नदी पार कराते हैं. मरीजों को ट्यूब के ऊपर खटिया डालकर नदी पार करके जमशेदपुर लाते हैं.

ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि शादी के लिए घर में लड़का लड़की हैं, लेकिन लोग इस गांव में विकास नहीं होने से शादी भी नहीं कर पा रहे हैं. हम लोग काफी परेशान हैं. मरीज को खटिया में ले जाते हैं तो बच्चों को स्कूल डेकची में बैठाकर ले जाते हैं. इस गांव के आस-पास करीब 10 गांव हैं. इसके बावजूद गांव को सड़क से जोड़ने का रास्ता नहीं है. 10 से 15 किलोमीटर घूमकर लोग शहर जाने के लिए रास्ता लेते हैं.

घाटशिला के बदतर हालात, देखें रिपोर्ट

स्वासपुर गांव में ज्यादातर ग्रामीण किसान हैं. यहां सब्जी की खेती खूब होती है. इस गांव कोई पुल नहीं है. ग्रामीणों को नदी को पार करके आना-जाना करना पड़ता है.

सबसे ज्यादा तकलीफ गर्भवती महिलाओं को होती है. उनको जरुरत के समय लाने ले जाने में बेहद तकलीफ होती है. गांव में कोई बीमार हो जाए तो ग्रामीण उसको ट्यूब पर खटिया डालकर उसपर मरीज को लिटाकर डॉक्टर के पास ले जाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि 1976 से वो इस गांव में रह रहे हैं. उस वक्त नदी छोटी थी, लेकिन अब नदी बहुत गहरी हो गई है. ग्रामीण कई सालों से इस नदी पर पुल की मांग कर रहे हैं.

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मामले को लेकर मुसाबनी के अनुमंडल विकास पदाधिकारी (बीडीओ) का कहना है कि यूरेनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (यूसीआईएल) से कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के तहत यहां एक लोहे का ब्रिज बनाने को कहा गया है. हालांकि समय की कमी के कारण अब तक निर्माण नहीं हो सका है. जल्द ही पुल का निर्माण कराया जाएगा.

Intro:घाटशिला/पूर्वी सिंहभूम

घाटशिला अनुमंडल के मुसाबनी प्रखंड के स्वाश पुर गांव के लोग पुल , सड़क नहीं होने पर झारखण्ड में बिगत बिधान सभा चुनाव का करेगे बहिष्कार , ग्रामीण लोग का दर्द उस वक़्त छलकता है जो ग्रामीण बताते है की किस तरह से बच्चो को बड़े बड़े डेकची में बिठा कर नदी पार करवाते है और किस तरह बीमार इन्शान को ट्यूब के ऊपर खटिया डाल कर नदी पार कर जमशेदपुर लाते है ग्रामीण महिलाओं का कहना शादी के लिए घर में लड़का लड़की पड़ा है लेकिन जो भी लोग इस गांव में है वो दोबारा नहीं कारन यहां के बच्ची और बच्चों की शादी भी नहीं है ,हम लोग काफी परेशान है बीमार को खटिया में ले जाते है तो बच्चो को स्कूल डेकची में बिठा कर ले जाते है Body:इस गांव के अस्स पास करीबन दस ज्यादा गांव है और इस जगह करीबन दस हजार लोग रहते है , गांव को सड़क से जोड़ने का रास्ता नहीं है करीबन १० से 15 किलोमीटर घूम कर लोग शहर का रास्ता लेते है जाने के लिए , स्वाश पुर गांव में ज्यादा तक किसान लोग रहते है और यहाँ सब्जी की खेती खूब होती है इस गांव में न कोई कोई पुल पुलिया है की लोग आना जाना कर सके , ग्रामीणों के लिए रास्ता है वो है कर्रा नदी को पार कर के आना जाना करना लोग सब्जी भाजी से लेकर बच्चो का स्कुल का आना जाना और कोई बीमार हो तो उसको भी इसी नदी को पार कर जाना होता है सबसे ज्यादा तकलीफ गर्भवती महिलाओं को होता है उनको जरुरत के समय लाने लेजाने मे काफी तकलीफ होती है ,गांव में कोई बीमार हो जाए तो ग्रामीण उसको ट्यूब पर खटिया दाल कर उसपर मरीज को सुला कर डॉक्टर के पास ले जाते है , और बच्चो को हर दिन नदी मे जब पानी अधिक होता है तब बड़े बड़े डेकची में बिठा कर उनको नदी पार कर स्कुल भेजते है
Conclusion: सं 1976 से हम इस गांव में रह रहे है नदी छोटा था उस वक़्त अब बड़ा हो गया है बीमार इन्शान को ट्यूब के ऊपर खटिया डाल कर नदी पार कर जमशेदपुर लाते है इलाज के लिए ग्रामीण महिलाओं की घर पर बच्चे बड़े हो गए है, शादी कुटुम आते है लेकिन गांव की दसा देख कर वो जो जाते है फिर वापस नहीं आते है कोई बारात बिगत कई सालो से इस गांव में कोई बारात ना आई और न गयी है

मुसाबनी बीडीओ ने कहा हम को इस टोला के बारे जानकारी है , हम लोगो ने यू सी आई एल से सी एस आर के तहत यहा एक लोहे का ब्रिज बनवाने को कहा है लेकिन समय के कमी के कारण अब तक नहीं हो सका है हम सरकार के तरफ कोशिश कर रहे जल्द समस्या का संधान हो जएगा ----------

बाइट

1- कुंती देबी
2- कुंतला देबी
3- राजू सिंह
4- बीडीओ, मुसाबनी,संतोष गुप्ता

रिपोर्ट
कनाई राम हेंब्रम
घाटशिला
Last Updated : Sep 30, 2019, 1:24 AM IST
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