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किसानों के साथ एकजुटता दिखाने को हैदराबाद में निकाली गई शांतिपूर्ण रैली

केंद्र द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को और नई दिल्ली में प्रदर्शनकारी किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए मंगलवार को तेलंगाना राष्ट्र रायथू संघम ने रैली का आयोजन किया.

हैदराबाद में निकाली गई शांतिपूर्ण रैली
हैदराबाद में निकाली गई शांतिपूर्ण रैली
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Published : Jan 27, 2021, 8:17 AM IST

हैदराबाद : नई दिल्ली में प्रदर्शनकारी किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए मंगलवार को यहां शांतिपूर्वक तरीके से एक रैली का आयोजन हुआ. दो पहिया वाहनों पर सवार प्रदर्शनकारियों ने शहर के बाहरी इलाके सरूरनगर से उप्पल तक रैली निकाली. प्रदर्शनकारियों ने मोदी सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए और तख्तियां लेकर प्रदर्शनकारी किसानों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की.

केंद्र द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर तेलंगाना राष्ट्र रायथू संघम ने रैली का आयोजन किया. इसे वाम दलों, उनके फ्रंटल संगठनों और तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) ने भी समर्थन दिया. किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे. राष्ट्रीय राजधानी में किसानों के विरोध के दौरान हुई हिंसा के बाद पुलिस ने शांति सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किए.

पुलिस ने शुरू में रैली के लिए अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा था कि गणतंत्र दिवस पर होने वाला विरोध प्रदर्शन शहर में कानून और व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ सकता है. हालांकि तेलंगाना हाईकोर्ट ने प्रदर्शन के लिए दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कुछ शर्तो के साथ रैली की अनुमति दी. आयोजकों को दोपहर दो बजे से लेकर तीन बजे के बीच सरूरनगर से उप्पल के बीच रैली आयोजित करने की अनुमति दी गई थी.

इस अवसर पर बोलते हुए मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव टी. वीरभद्रम ने दोहराया कि केंद्र को बिना शर्त अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक कानूनों को रद्द करना चाहिए. उन्होंने कहा ये कानून कृषि समुदाय के हितों के खिलाफ हैं और इसलिए केंद्र को इन्हें तुरंत वापस लेना चाहिए. उन्होंने कृषि कानूनों पर तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के 'यू-टर्न' की निंदा भी की. उन्होंने आरोप लगाया कि शुरू में विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन करने के बाद टीआरएस ने मोदी सरकार के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. माकपा नेता ने कहा हम मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव द्वारा लिए गए यू-टर्न की निंदा करते हैं. अगर वह किसान समर्थक रुख पर वापस नहीं लौटते हैं, तो वे लोगों के विरोध का सामना करेंगे.

पढ़ें : संयुक्त किसान मोर्चा ने ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा से खुद को अलग किया

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता चाडा वेंकट रेड्डी ने कहा कि केंद्र को किसानों की मांग को तुरंत स्वीकार कर लेना चाहिए और उन कानूनों को वापस लेना चाहिए, जिनका उद्देश्य कृषि के निजीकरण है. तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) के अध्यक्ष एम. कोदंडाराम ने कहा कि केंद्र को किसानों को स्पष्ट आश्वासन देना चाहिए कि कानूनों को निरस्त किया जाएगा. उन्होंने कहा केंद्र को कानूनों को रद्द करना चाहिए, किसानों के साथ बातचीत करनी चाहिए और किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए नए कानून बनाने चाहिए. उन्होंने दावा किया कि किसानों का रुख न्यायसंगत है, क्योंकि कानून बिना उनकी सलाह के और कॉरपोरेट क्षेत्र के हितों को देखते हुए बनाए गए हैं.

हैदराबाद : नई दिल्ली में प्रदर्शनकारी किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए मंगलवार को यहां शांतिपूर्वक तरीके से एक रैली का आयोजन हुआ. दो पहिया वाहनों पर सवार प्रदर्शनकारियों ने शहर के बाहरी इलाके सरूरनगर से उप्पल तक रैली निकाली. प्रदर्शनकारियों ने मोदी सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए और तख्तियां लेकर प्रदर्शनकारी किसानों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की.

केंद्र द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर तेलंगाना राष्ट्र रायथू संघम ने रैली का आयोजन किया. इसे वाम दलों, उनके फ्रंटल संगठनों और तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) ने भी समर्थन दिया. किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे. राष्ट्रीय राजधानी में किसानों के विरोध के दौरान हुई हिंसा के बाद पुलिस ने शांति सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किए.

पुलिस ने शुरू में रैली के लिए अनुमति देने से इनकार करते हुए कहा था कि गणतंत्र दिवस पर होने वाला विरोध प्रदर्शन शहर में कानून और व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ सकता है. हालांकि तेलंगाना हाईकोर्ट ने प्रदर्शन के लिए दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कुछ शर्तो के साथ रैली की अनुमति दी. आयोजकों को दोपहर दो बजे से लेकर तीन बजे के बीच सरूरनगर से उप्पल के बीच रैली आयोजित करने की अनुमति दी गई थी.

इस अवसर पर बोलते हुए मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव टी. वीरभद्रम ने दोहराया कि केंद्र को बिना शर्त अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक कानूनों को रद्द करना चाहिए. उन्होंने कहा ये कानून कृषि समुदाय के हितों के खिलाफ हैं और इसलिए केंद्र को इन्हें तुरंत वापस लेना चाहिए. उन्होंने कृषि कानूनों पर तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के 'यू-टर्न' की निंदा भी की. उन्होंने आरोप लगाया कि शुरू में विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन करने के बाद टीआरएस ने मोदी सरकार के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. माकपा नेता ने कहा हम मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव द्वारा लिए गए यू-टर्न की निंदा करते हैं. अगर वह किसान समर्थक रुख पर वापस नहीं लौटते हैं, तो वे लोगों के विरोध का सामना करेंगे.

पढ़ें : संयुक्त किसान मोर्चा ने ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा से खुद को अलग किया

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता चाडा वेंकट रेड्डी ने कहा कि केंद्र को किसानों की मांग को तुरंत स्वीकार कर लेना चाहिए और उन कानूनों को वापस लेना चाहिए, जिनका उद्देश्य कृषि के निजीकरण है. तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) के अध्यक्ष एम. कोदंडाराम ने कहा कि केंद्र को किसानों को स्पष्ट आश्वासन देना चाहिए कि कानूनों को निरस्त किया जाएगा. उन्होंने कहा केंद्र को कानूनों को रद्द करना चाहिए, किसानों के साथ बातचीत करनी चाहिए और किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए नए कानून बनाने चाहिए. उन्होंने दावा किया कि किसानों का रुख न्यायसंगत है, क्योंकि कानून बिना उनकी सलाह के और कॉरपोरेट क्षेत्र के हितों को देखते हुए बनाए गए हैं.

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