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PAK के विदेश मंत्री कुरैशी भ्रम की दुनिया में रहते हैं : जी पार्थसारथी - PoK

पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने भारत के सामने शर्त रखी है कि वह अपने निर्णय की समीक्षा तभी करेगा जब भारत अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा. इस पर पूर्व भारतीय उच्चायुक्त जी पार्थसारथी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि पाक के विदेश मंत्री भ्रम की दुनिया में रहते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

जी पार्थसार्थी
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Published : Aug 8, 2019, 11:44 PM IST

नई दिल्लीः भारत-पाकिस्तान के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ सकता है. जम्मू-कश्मीर पर भारत की संसद के फैसले से पाक तिलमिलाया हुआ है. पाक ने राजनयिक संबंध कम करने की पहल की है. पाक के इस फैसले की कई पूर्व राजनयिकों ने आलोचना की है. भारत-पाक संबंधों के वर्तमान हालात पर इस्लामाबाद के पूर्व भारतीय उच्चायुक्त जी पार्थसारथी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

दरअसल, पाक के विदेश मंत्री ने भारत के सामने शर्त रखी है कि वह राजनयिक संबंधों को कम करने के अपने निर्णय की समीक्षा तभी करेगा यदि भारत अपने कश्मीर के फैसले पर पुनर्विचार करता है.

पार्थसारथी ने पाक के फैसले पर कहा कि कुरैशी की विदेश नीतियों की साख पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा, 'बाकी दुनिया हमारे फैसले की संवैधानिक वैधता पर सवाल नहीं उठा रही है. वह केवल यह कह रहे हैं कि कृपया एकजुट होकर अपने मतभेदों को सुलझा लें.'

पाकिस्तान ने फैसला किया है कि वह भारतीय संविधान के आर्टिकल 370 के निरसन के मामले को UNSC में उठाएगा. पार्थसारथी ने पाक के इस फैसले पर भी चुटकी ली. उन्होंने कहा, अगर कुरैशी इमरान खान के इशारे पर UNSC जाने का विकल्प चुनते हैं तब उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत को सर्वसम्मति से UNSC में चुना गया है.

पढ़ें-आर्टिकल 370 हटाना जम्मू कश्मीर में पारदर्शिता लाने का प्रयास : PM मोदी

पार्थसारथी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान आश्चर्यचकित है क्योंकि उसके मित्र राष्ट्र यूएई ने हमारे कदम को स्वीकार्य माना है. उन्होंने भारतीय दूत को निष्कासित करने के पाकिस्तान के कदम पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा, मैं राजदूत को निष्कासित करने के इस फैसले को नहीं समझ पा रहा.

साल 2001 में भारत के एक फैसले का जिक्र करते हुए पार्थसारथी ने कहा 'हां, हमने एक बार ऐसा किया था. लेकिन वह संसद पर हमले के बाद था. लेकिन यहां, यह भारत के संविधान के अनुसार एक आंतरिक संवैधानिक संशोधन है.'

पार्थसारथी ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगित बल्टिस्तान को इस्लामाबाद और रावलपिंडी की आभासी कॉलोनी बताया. उन्होंने दावा किया कि पाक अधिकृत कश्मीर पर एक प्रशासनिक परिषद का शासन है जो सीधे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के अधीन है. उसकी अध्यक्षता न तो राज्यपाल ना ही मुख्यमंत्री करते हैं. उन्होंने यहा तक ​​कहा कि दोनों क्षेत्रों में कोई लोकतंत्र और स्वायत्तता नहीं है.

नई दिल्लीः भारत-पाकिस्तान के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ सकता है. जम्मू-कश्मीर पर भारत की संसद के फैसले से पाक तिलमिलाया हुआ है. पाक ने राजनयिक संबंध कम करने की पहल की है. पाक के इस फैसले की कई पूर्व राजनयिकों ने आलोचना की है. भारत-पाक संबंधों के वर्तमान हालात पर इस्लामाबाद के पूर्व भारतीय उच्चायुक्त जी पार्थसारथी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

दरअसल, पाक के विदेश मंत्री ने भारत के सामने शर्त रखी है कि वह राजनयिक संबंधों को कम करने के अपने निर्णय की समीक्षा तभी करेगा यदि भारत अपने कश्मीर के फैसले पर पुनर्विचार करता है.

पार्थसारथी ने पाक के फैसले पर कहा कि कुरैशी की विदेश नीतियों की साख पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा, 'बाकी दुनिया हमारे फैसले की संवैधानिक वैधता पर सवाल नहीं उठा रही है. वह केवल यह कह रहे हैं कि कृपया एकजुट होकर अपने मतभेदों को सुलझा लें.'

पाकिस्तान ने फैसला किया है कि वह भारतीय संविधान के आर्टिकल 370 के निरसन के मामले को UNSC में उठाएगा. पार्थसारथी ने पाक के इस फैसले पर भी चुटकी ली. उन्होंने कहा, अगर कुरैशी इमरान खान के इशारे पर UNSC जाने का विकल्प चुनते हैं तब उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत को सर्वसम्मति से UNSC में चुना गया है.

पढ़ें-आर्टिकल 370 हटाना जम्मू कश्मीर में पारदर्शिता लाने का प्रयास : PM मोदी

पार्थसारथी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान आश्चर्यचकित है क्योंकि उसके मित्र राष्ट्र यूएई ने हमारे कदम को स्वीकार्य माना है. उन्होंने भारतीय दूत को निष्कासित करने के पाकिस्तान के कदम पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा, मैं राजदूत को निष्कासित करने के इस फैसले को नहीं समझ पा रहा.

साल 2001 में भारत के एक फैसले का जिक्र करते हुए पार्थसारथी ने कहा 'हां, हमने एक बार ऐसा किया था. लेकिन वह संसद पर हमले के बाद था. लेकिन यहां, यह भारत के संविधान के अनुसार एक आंतरिक संवैधानिक संशोधन है.'

पार्थसारथी ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और गिलगित बल्टिस्तान को इस्लामाबाद और रावलपिंडी की आभासी कॉलोनी बताया. उन्होंने दावा किया कि पाक अधिकृत कश्मीर पर एक प्रशासनिक परिषद का शासन है जो सीधे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के अधीन है. उसकी अध्यक्षता न तो राज्यपाल ना ही मुख्यमंत्री करते हैं. उन्होंने यहा तक ​​कहा कि दोनों क्षेत्रों में कोई लोकतंत्र और स्वायत्तता नहीं है.

Intro:After Pakistan Foreign Minister put a condition ahead of India that it will only review its decision to downgrade diplomatic ties if India reconsiders its Kashmir move, former Indian high commissioner to Islamabad G Parthsarthy claimed that Shah Mehmood Qureshi lives in the world of illusion.


Body:Parthsarthy further went on to call Qureshi's Foreign policy credentials dubious. He said, 'rest of the world is not questioning the constitutional validity of what we have done. They are merely saying please get together and sort out your differences.'

He also took a jibe at Pakistan's decision to take the matter of revocation of Article 370 at the UNSC.

'If Qureshi at the behest of Imran Khan chooses to go to the UNSC. Then he should not forget that India has just been unanimously elected at the UNSC,' said G Parthsarthy.

He also asserted that Pakistan is also surprised as its friendly nation UAE have found our move acceptable.


Conclusion:Expressing surprise on Pakistan's move to expel Indian HC to Islamabad Ajay Basaria. He said, ' I can't understand this business of expelling The Ambassador. Yes, we did it once. But that was after the Parliament attack. But here, this is an internal constitutional amendment according to the constitution of India.'

Describing PoK and Gilgit Baliltistan as the virtually colonies of Islamabad and Rawalpindi. He claimed that PoK is ruled by an administrative council which comes directly under PM of Pakistan. It is neither headed by its governor or chief minister. He even went to say that no democracy and autonomy exists in both regions.


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