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तेलंगाना पुलिस इस्तेमाल करेगी पैपिलॉन तकनीक, जानें खासियत

अपराधियों की पहचान जल्द हो सके इसलिए तेलंगाना फिंगरप्रिंट ब्यूरो जांच के लिए नई तकनीक 'पैपिलॉन' का उपयोग कर रहा है. इससे लावारिस शवों की पहचान, नए पासपोर्ट जारी करने के लिए की जाने वाली एसबी जांच आदि में पुलिस को मदद मिलेगी.

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पैपिलॉन तकनीक.
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Published : Jul 10, 2020, 4:23 PM IST

हैदराबाद : तेलंगाना का फिंगरप्रिंट ब्यूरो आपराधिक मामलों की जांच के लिए अब 'पैपिलॉन' का उपयोग कर रहा है. इससे अपराधों की जांच, अपराधियों की पहचान, लावारिस शवों की पहचान, नए पासपोर्ट जारी करने के लिए की जाने वाली जांच आदि में पुलिस विभाग के लिए यह बहुत उपयोगी साबित होने वाली है.

इस तकनीक से क्षत विक्षत शवों की भी पहचान की जा सकती है. पिछले साल इस तकनीक से 41 शवों की पहचान की गई थी और अब तक 17 शवों की पहचान की जा चुकी है.

पहले पासपोर्ट जारी करने संबंधी जांच में गंभीर निगरानी नहीं होती थी, जो कि पासपोर्ट जारी करने में महत्वपूर्ण होती है. आवेदक द्वारा दिए गए पते के आधार पर, उस स्थान पर उसके व्यवहार की जांच की जाती है. यदि उसका व्यवहार वहां पर सही पाया जाता है तो उसे क्लीन चिट दे दी जाती है. इस तकनीक के आने से स्थिति बदल जाएगी.

इस तकनीक में पुराने अपराधियों के मामले में सभी स्टेशनों में दर्ज किए गए मामले पैपिलॉन तकनीक से इकट्ठे किए जाते हैं. इसके बाद लाइव स्कैनर के साथ फिंगरप्रिंट स्कैन कर सकता है और इसे डेटा के साथ आसानी से मैच कर सकता है.

पढ़ें :- दिल्ली पुलिस की नजरों से नहीं बच पाएंगे अपराधी, इस खास मशीन से तुरंत मिलेगा फिंगरप्रिंट

पिछले डेढ़ साल में इससे 111 ऐसे संदिग्धों की पहचान की गई है. तेलंगाना फिंगरप्रिंट ब्यूरो डेटाबेस में नौ लाख के करीब पुराने अपराधियों के फिंगरप्रिंट हैं. इस तकनीक के इस्तेमाल से उंगलियों के निशान को स्कैन करते ही परिणाम आना शुरू हो जाऐंगे.

हैदराबाद : तेलंगाना का फिंगरप्रिंट ब्यूरो आपराधिक मामलों की जांच के लिए अब 'पैपिलॉन' का उपयोग कर रहा है. इससे अपराधों की जांच, अपराधियों की पहचान, लावारिस शवों की पहचान, नए पासपोर्ट जारी करने के लिए की जाने वाली जांच आदि में पुलिस विभाग के लिए यह बहुत उपयोगी साबित होने वाली है.

इस तकनीक से क्षत विक्षत शवों की भी पहचान की जा सकती है. पिछले साल इस तकनीक से 41 शवों की पहचान की गई थी और अब तक 17 शवों की पहचान की जा चुकी है.

पहले पासपोर्ट जारी करने संबंधी जांच में गंभीर निगरानी नहीं होती थी, जो कि पासपोर्ट जारी करने में महत्वपूर्ण होती है. आवेदक द्वारा दिए गए पते के आधार पर, उस स्थान पर उसके व्यवहार की जांच की जाती है. यदि उसका व्यवहार वहां पर सही पाया जाता है तो उसे क्लीन चिट दे दी जाती है. इस तकनीक के आने से स्थिति बदल जाएगी.

इस तकनीक में पुराने अपराधियों के मामले में सभी स्टेशनों में दर्ज किए गए मामले पैपिलॉन तकनीक से इकट्ठे किए जाते हैं. इसके बाद लाइव स्कैनर के साथ फिंगरप्रिंट स्कैन कर सकता है और इसे डेटा के साथ आसानी से मैच कर सकता है.

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पिछले डेढ़ साल में इससे 111 ऐसे संदिग्धों की पहचान की गई है. तेलंगाना फिंगरप्रिंट ब्यूरो डेटाबेस में नौ लाख के करीब पुराने अपराधियों के फिंगरप्रिंट हैं. इस तकनीक के इस्तेमाल से उंगलियों के निशान को स्कैन करते ही परिणाम आना शुरू हो जाऐंगे.

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